जलवायु प्रभावित देशों पर सामने आयी रिपोर्ट, 80 हजार लोगों की मौत का आंकड़ा; भारत की क्या है रैंकिंग?
भारत जलवायु आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित देशों में नौवें स्थान पर है। 1995 से 2024 तक, इन आपदाओं के कारण 80,000 से अधिक लोगों की मौत हुई और 1.3 अरब लोग प्रभावित हुए।

जलवायु प्रभावित देशों में नौवें स्थान पर भारत (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत दुनिया के उन दस देशों में शामिल है, जो बीते तीन दशकों में जलवायु आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। 1995 से 2024 की तीन दशक की अवधि के दौरान जलवायु आपदाओं के कारण भारत में 80,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है। इसके साथ ही इन घटनाओं ने 1.3 बिलियन लोगों को प्रभावित किया।
जर्मनवॉच की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन दशकों में जलवायु आपदाओं से सर्वाधिक प्रभावित देशों में भारत नौवें स्थान पर है। ब्राजील के बेलेम में COP30 में जारी, क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2026 में बताया गया है कि 430 बार प्राकृतिक रूप से असहनीय मौसमी घटनाओं के कारण 80,000 से अधिक लोगों की जान चली गई। 1995 से 2024 तक लगभग 170 बिलियन अमरीकी डालर का आर्थिक नुकसान हुआ है।
1.3 बिलियन लोगों को किया प्रभावित
ब्राजील के बेलेम में COP30 में पर्यावरण थिंक टैंक जर्मनवाच द्वारा मंगलवार को जारी जलवायु जोखिम सूचकांक (CRI) 2026 के अनुसार, जलवायु आपदाओं ने 1.3 बिलियन लोगों को प्रभावित किया और 1995 से 2024 तक लगभग 170 बिलियन अमरीकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ।
बाढ़ चक्रवात और सूखा से हुआ नुकसान
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि देश में होने वाला नुकसान मुख्यतः बार-बार आने वाली बाढ़, चक्रवात, सूखा और गर्म हवाओं के कारण हुआ है, जो वैश्विक तापमान वृद्धि के साथ और भी बढ़ गए हैं। इसमें 1998 के गुजरात चक्रवात, 1999 के ओडिशा सुपर चक्रवात, 2013 के उत्तराखंड बाढ़ और हाल ही में आई घातक गर्मी की लहरें उन घटनाओं में शामिल हैं, जिन्होंने सूचकांक में भारत की उच्च रैंकिंग में योगदान दिया।
खतने में आजीविका
भारत में बार-बार होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के कारण विकास की उपलब्धियों पर असर पड़ रहा है और करोड़ों लोगों की आजीविका खतरे में है। रिपोर्ट के अनुसार, कि हर साल करोड़ों लोग किसी न किसी रूप में भीषण मौसम की चपेट में आते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की स्थिति लगातार खतरे जैसी है।
जर्मनवाच की रिपोर्ट में बताया गया कि साल 2024 में अकेले भारी मानसूनी बारिश और अचानक आई बाढ़ों ने गुजरात, महाराष्ट्र और त्रिपुरा में करीब 80 लाख लोगों को प्रभावित किया। पिछले वर्ष दुनियाभर में सबसे ज्यादा नुकसान बाढ़ और तूफानों से हुआ, जिन्होंने वैश्विक स्तर पर अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचाया।
दुनियाभर में 8.3 लाख लोगों की मौत
जर्मनवाच के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 1995 से 2024 के बीच 9,700 से अधिक मौसमी आपदाओं ने 8.3 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली, लगभग 5.7 अरब लोगों को प्रभावित किया और लगभग 4.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रत्यक्ष आर्थिक क्षति पहुंचाई।
सबसे अधिक प्रभावित देश
पिछले तीन दशकों में डोमिनिका सबसे अधिक प्रभावित देश था, उसके बाद म्यांमार, होंडुरास, लीबिया, हैती, ग्रेनाडा, फिलीपींस, निकारागुआ, भारत और बहामास का स्थान था।
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