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काबुल धमाका: दूसरे देशों के साथ भारत की भी बढ़ी चिंता

भारत के लिए थोड़ी राहत की बात यह है कि उसके दूतावास से महज 100 मीटर दूर विस्फोट होने के बावजूद उसके किसी नागरिक को कोई नुकसान नहीं हुआ है।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 31 May 2017 09:20 PM (IST)Updated: Wed, 31 May 2017 09:20 PM (IST)
काबुल धमाका: दूसरे देशों के साथ भारत की भी बढ़ी चिंता
काबुल धमाका: दूसरे देशों के साथ भारत की भी बढ़ी चिंता

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बुधवार को तड़के अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुए बेहद घातक बम विस्फोट में 80 लोगों के मारे जाने के बाद भारत समेत दुनिया के अन्य कई देशों के माथे पर चिंता की लकीरें और गहरी हो गई है। यह विस्फोट काबुल के सबसे सुरक्षित समझे जाने वाले इलाके में हुआ है और भारतीय, फ्रांसीसी, अमेरिकी, जर्मनी दूतावास से महज कुछ मीटर की दूरी पर विस्फोट हुआ है। अफगानिस्तान में इस वर्ष एक के बाद एक बड़े विस्फोट से साफ है कि वहां की सरकार आंतरिक व्यवस्था कायम नहीं कर पा रही है। यही भारत के लिए चिंता की बात है कि उसके सुरक्षा हितों पर भी इसका असर पड़ेगा।

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भारत के लिए थोड़ी राहत की बात यह है कि उसके दूतावास से महज 100 मीटर दूर विस्फोट होने के बावजूद उसके किसी नागरिक को कोई नुकसान नहीं हुआ है। दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत ने इसकी कड़ी भ‌र्त्सना की है। विस्फोट के कुछ ही देर बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्विट कर यह जानकारी दी कि किसी भी भारतीय को आंच नहीं आई है। बाद में विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने यह बताया कि भारतीय दूतावास के बाहरी दीवार के एक हिस्से को थोड़ी क्षति पहुंची है। स्पेन पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा है भारत इस समय अफगानिस्तान के साथ खड़ा है। आतंक की मदद करने वाले हर शक्तियों को नष्ट करना जरुरी है।

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी विस्फोट को एक कायराना हरकत करार दिया है और इसमें मारे गये निर्दोष नागरिकों के लिए अफसोस जताया है। अफगानिस्तानी राष्ट्रपति अशरफ घनी को भेजे गये संदेश में उन्होंने कहा है कि इस तरह की हिंसा का किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता। भारत सरकार के और भी तमाम वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों ने विस्फोट की निंदा की है।

उल्लेखनीय तथ्य यह है विस्फोट जर्मनी दूतावास के एकदम सामने हुआ है। इससे जर्मनी दूतावास को बहुत क्षति भी पहुंची है। मोदी दो दिन पहले ही आधिकारिक यात्रा पर जर्मनी पहुंचे थे और मंगलवार को सुबह उनकी चांसलर एजेंला मर्केल के बीच द्विपक्षीय वार्ता में हुई जिसमें अफगानिस्तान के मुद्दे पर काफी विचार विमर्श हुआ है। दोनों नेताओं ने संयुक्त बयान के जरिए अफगानिस्तान में बाहरी तत्वों के हस्तक्षेप को खत्म करने का आह्वान किया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक हमला में चाहे तालिबान का हाथ हो या आइएसआइएस का, दोनों मामलों में यह भारत के लिए काफी चिंता की बात है। तालिबान ने वैसे इस घटना में शामिल होने से इनकार किया है लेकिन पाकिस्तान सरकार व सेना की तरफ से हर तरह की मदद ले रहा यह संगठन पहले भी इस तरह की हरकत कर उसकी निंदा करता रहा है। दूसरी तरफ अगर आइएसआइएस का हाथ है तो यह और भी चिंताजनक है क्योंकि इससे अफगानिस्तान के भी लंबे समय तक अस्थिरता में जाने का खतरा पैदा हो गया है। भारत यह कतई नहीं चाहेगा।

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