पूर्वी लद्दाख में चीन से जारी तनाव के बीच भारत ने स्वदेशी लेजर गाइडेड एंटी टैंक मिसाइल का सफल परीक्षण किया
पूर्वी लद्दाख में चीन से जारी तनाव के बीच रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेशी लेजर गाइडेड एंटी टैंक मिसाइल (Laser-Guided Anti Tank Guided Missile) का दोबारा सफल परीक्षण किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके लिए डीआरडीओ को बधाई दी है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन से जारी तनाव के बीच रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research Development Organisation, DRDO) ने गुरुवार को स्वदेशी लेजर गाइडेड एंटी टैंक मिसाइल (Laser-Guided Anti Tank Guided Missile) का दोबारा सफल परीक्षण किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके लिए डीआरडीओ को बधाई दी है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस मिसाइल को महाराष्ट्र के अहमदनगर में एमबीटी अर्जुन टैंक से फायर किया गया।
केके रेंज में हुए परीक्षण के दौरान मिसाइल ने लक्ष्य को सफलतापूर्व नष्ट किया। इससे पहले 22 सितंबर को अहमदनगर में ही इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था। यह मिसाइल 1.5 से 5 किमी तक बख्तरबंद वाहनों को ध्वस्त करने की क्षमता रखती है। इसे कई प्लेटफार्मों के जरिए लॉन्चिंग की क्षमता के साथ विकसित किया गया है। मौजूदा वक्त में यह अर्जुन टैंक की 120 मिमी बंदूक के जरिए परीक्षण से गुजर रही है। इस मिसाइल को डीआरडीओ के आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (ARDE) पुणे ने विकसित किया है।
भारत ने कल बुधवार को बालेश्वर में जमीन से जमीन पर मार करने वाली क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। इसे डीआरडीओ और रूस के वैज्ञानिकों के साझा प्रयास से विकसित किया गया है। यह सुपरसोनिक प्रक्षेपास्त्र आवाज की गति से भी 2.8 गुना तेज गति से अपने लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखता है। इस प्रक्षेपास्त्र को किसी भी दिशा एवं लक्ष्य की ओर मनचाहे तरीके से छोड़ा जा सकता है। घनी आबादी में भी छोटे लक्ष्यों को सटीक भेदने में यह मिसाइल माहिर है। प्रक्षेपास्त्र 8.4 मीटर लंबा और 0.6 मीटर चौड़ा है। इसका वजन 3000 किलोग्राम है।
ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र 300 किलोग्राम वजन तक विस्फोटक ढोने और 300 से 500 किलोमीटर तक प्रहार करने की क्षमता रखता है। इसे जमीन, हवा, पानी और मोबाइल लांचर से दागा जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल एक दो चरणीय मिसाइल है जिसमें ठोस प्रोप्लेट बूस्टर और एक तरल प्रोप्लेट रेमजेम सिस्टम है। ब्रह्मोस का पहला परीक्षण 12 जून, 2001 को आइटीआर चांदीपुर से ही किया गया था। हाल के दिनों में चीन से जारी तनाव के बीच भारत नई-नई किस्म की मिसाइलों के साथ पुरानी मिसाइलों का भी प्रायोगिक परीक्षण कर रहा है।