चीन से चल रही तनातनी के बीच भारत को रक्षा क्षेत्र में एक और हासिल हुई उपलब्धि
सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के नौसैनिक वर्जन का रविवार को किया गया परीक्षण सफल रहा। इसके साथ ही चीन से चल रही तनातनी के बीच भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और उपलब्धि हासिल कर ली। रक्षा मंत्री डीआरडीओ चेयरमैन ने दी बधाई।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के नौसैनिक वर्जन का रविवार को किया गया परीक्षण सफल रहा। इसके साथ ही चीन से चल रही तनातनी के बीच भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और उपलब्धि हासिल कर ली।
युद्धपोतों की मारक क्षमता बढ़ाने वाली इस मिसाइल ने परीक्षण में अपने लक्ष्य को भेदा
अधिकारियों ने बताया कि अरब सागर में नौसेना के एक स्वदेशी युद्धपोत से फायर किए जाने के बाद मिसाइल अपने लक्ष्य को भेदने में सफल रही। अधिकारियों ने कहा कि स्टील्थ डिस्ट्रायर आइएनएस चेन्नई से फायर की गई मिसाइल ने बेहतरीन प्रदर्शन के बाद अत्यंत सटीक तरीके से अपने लक्ष्य को भेद दिया।
प्रमुख हमलावर हथियार के रूप में लंबी दूरी तक नौसैनिक युद्धपोत को बनाएगी अजेय
रक्षा मंत्रालय ने कहा, 'प्रमुख हमलावर हथियार के रूप में ब्रह्मोस लंबी दूरी तक नौसैनिक युद्धपोत को अजेय बनाएगी। इस तरह यह मिसाइल पोत को हमारी नौसेना का एक और हमलावर मंच प्रदान करेगी।' भारत-रूस संयुक्त उपक्रम ब्रह्मोस एयरोस्पेस, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल तैयार करता है जिसे पनडुब्बी, पोत, विमान या जमीन से लांच किया जा सकता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, डीआरडीओ चेयरमैन ने दी बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), ब्रह्माोस एयरोस्पेस और नौसेना को मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए बधाई दी है। डीआरडीओ चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने भी विज्ञानियों और मिसाइल के परीक्षण में शामिल सभी कर्मियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इससे भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमता में कई तरीकों से वृद्धि होगी।
हाल के सप्ताह में हुए कई मिसाइलों के परीक्षण
पिछले कुछ सप्ताह में कई मिसाइलों के सफल परीक्षण किए गए हैं। इनमें सतह-से-सतह मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का नया वर्जन और रेडिएशन-रोधी मिसाइल रुद्रम-1 भी शामिल हैं। भारत ने लेजर गाइडेड टैंक-रोधी गाइडेड मिसाइल और परमाणु क्षमता से लैस हाइपरसोनिक मिसाइल शौर्य का भी सफल परीक्षण किया है।
चीन से जारी विवाद के बीच फ्लाइट परीक्षण उपलब्धि
रुद्रम-1 के सफल परीक्षण को एक मील के पत्थर के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह भारत का पहला स्वदेशी विकसित रेडिएशन-रोधी हथियार है। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद के बीच मिसाइल का फ्लाइट परीक्षण किया जाना एक उपलब्धि है।
पिछले साल हुआ था हवाई वर्जन का परीक्षण
भारतीय वायुसेना ने पिछले साल मई में सुखोई-30 एमकेआइ लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस मिसाइल के हवाई वर्जन का सफल परीक्षण किया था। 30 सितंबर को ब्रह्मोस के सतह-से-सतह के नए वर्जन का सफल परीक्षण किया गया था। मिसाइल की मारक क्षमता को मूल 290 किलोमीटर से बढ़ाकर 400 किलोमीटर किया गया है।