देश में कोरोना की बढ़ती रफ्तार: बंद हो कोरोना टेस्ट का ये खेल, ताकि जंग में हम न हों फेल
सरकारी लैब की तुलना में निजी लैंब में हो रही जांच में पॉजिटिविटी दर अधिक होने का है। उत्तराखंड में तो निजी लैबों में यह दर 50 फीसद तक पहुंच गई है।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। देश में कोरोना की बढ़ती रफ्तार के बीच व्यवस्था की खामियां भी सामने आने लगी हैं। ताजा मामला सरकारी लैब की तुलना में निजी लैंब में हो रही जांच में पॉजिटिविटी दर अधिक होने का है। उत्तराखंड में तो निजी लैबों में यह दर 50 फीसद तक पहुंच गई है, जिसके बाद राज्य सरकार ने जांच बिठा दी है।
कोरोना के खिलाफ जंग में सरकारी एजेंसियों ने ली निजी लैबों की मदद
कोरोना के खिलाफ जंग में सभी सरकारी एजेंसियां ज्यादा से ज्यादा जांच पर जोर दे रही हैं। लिहाजा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों मे इस कार्य में निजी लैबों की मदद ली। राजधानी दिल्ली में तो इसको लेकर काफी जोरआजमाइश हुई।
कोरोना जांच की बढ़ती रफ्तार के बीच सामने आने लगा सिस्टम का सच
निजी लैबों को जांच का अधिकार दिए जाने के बाद टेस्टिंग की गति ने रफ्तार पकड़ी और नतीजे अच्छे भी आए, लेकिन बाद में निजी लैबों की शिकायतें भी आने लगीं।
पंजाब में निजी लैब और प्राइवेट अस्पताल की मिलीभगत
पंजाब में जून माह में ही निजी लैब और प्राइवेट अस्पताल की मिलीभगत पकड़ी गई। हरियाणा में भी सरकार को एक लैब पर केस दर्ज करने के आदेश देने पड़े।
यूपी में कई लैबों से जांच का अधिकार छीना गया
उत्तर प्रदेश में कई लैबों से जांच का अधिकार छीना गया और कुछ को जिला प्रशासन ने सील भी किया है। निगेटिव और पॉजिटिव रिपोर्ट के घालमेल ने जांच रिपोर्ट की विश्वसनीयता को लेकर नई बहस छेड़ दी है। वीआइपी से लेकर आमजन इसकी जद में आ रहे हैं।
उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष हृदयेश की स्थिति गंभीर, फिर भी अस्पताल से डिस्चार्ज
उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश का मामला ज्यादा गंभीर है। कोरोना संक्रमित हृदयेश की स्थिति गंभीर होने के बावजूद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। उन्हें 18 सितंबर को शाम को हल्द्वानी स्थित डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में भर्ती किया गया। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप पर उनको एयर लिफ्ट करके देहरादून ले जाया गया। अब उन्हें गुरुग्राम स्थित मेदांता में दाखिल कराया गया है।
गणेश शंकर पांडेय की रिपोर्ट निकली गलत, निजी लैब ने पॉजिटिव बताया, मेंदाता ने दी निगेटिव रिपोर्ट
सबसे चर्चित मामला विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडेय का रहा। उन्होंने 26 अगस्त को तिलक पैथालॉजी में नमूना दिया था। उसी दिन प्रशासन के सहयोग से उन्होंने बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में भी नमूना जांच के लिए भेजवाया था। 26 अगस्त को निजी लैब ने उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव बताई। आननफानन में 27 अगस्त को उन्हें लखनऊ स्थित मेंदाता में भर्ती कराया गया। पांच घंटे बाद ही मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट निगेटिव आई। अस्पताल से छुट्टी से पहले मेंदाता ने भी उनकी जांच की तो वहां भी रिपोर्ट निगेटिव आई।