MNREGA के तहत काम की मांग में आई तेजी से वृद्धि, प्रवासी मजदूरों को मिली मदद
इस रोजगार योजना के तहत कुल 1.01 लाख करोड़ रुपये के आवंटन में से करीब 42 फीसद राज्यों को वितरित किया जा चुका है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना वायरस महामारी की वजह से चालू वित्त वर्ष में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत काम या रोजगार की मांग में भारी इजाफा हुआ है। सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि इस रोजगार योजना के तहत कुल 1.01 लाख करोड़ रुपये के आवंटन में से करीब 42 फीसद राज्यों को वितरित किया जा चुका है। मनरेगा के तहत चालू वित्त वर्ष में रोजगार की मांग जितनी तेजी से बढ़ी है उसके मद्देनजर मांग को पूरा करने के लिए अच्छी-खासी राशि की जरूरत होगी।
लॉकडाउन के कारण अपने गृह राज्यों को वापस लौटे प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए सरकार ने मनरेगा का दायरा बढ़ाया है। अब शौचालय निर्माण एवं अन्य को भी इसके तहत लाया गया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय के निर्माण पर श्रम की लागत मनरेगा के तहत दी जाएगी।सूत्रों ने बताया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय का कहना है कि इस योजना के तहत चालू वित्त वर्ष में अतिरिक्त कोष की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि पिछले साल की तुलना में रोजगार की मांग दोगुना से अधिक हो गई है।
योजना के तहत कुल आवंटित राशि 1.01 लाख करोड़ रुपये में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत आवंटित 40,000 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। कुल आवंटित राशि में 43,000 करोड़ रुपये राज्यों को वितरित की जा चुकी है।
रोजगार देने में अव्वल रहा देश का ये राज्य
कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण देश में स्थिति बेहाल है। इस बीच देश का ऐसा भी राज्य है जहां इस साल सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) कार्यों में छत्तीसगढ़ का उत्कृष्ट प्रदर्शन लगातार जारी है। चालू वित्तीय वर्ष में जॉबकॉर्ड धारी परिवारों को 100 दिनों का रोजगार देने में छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर है। अप्रैल, मई और जून में कुल 55 हजार 981 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया गया है। देश में 100 दिनों का रोजगार हासिल करने वाले कुल परिवारों में अकेले छत्तीसगढ़ की हिस्सेदारी करीब 41 फीसद है।