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आमदनी बढ़ाने की रणनीति: छोटी दूरी की ढुलाई को प्राथमिकता, भाड़े में 50 फीसद तक की रियायत

50 किमी तक की दूरी वाली ढुलाई के लिए भाड़े में 50 फीसद तक की छूट तक का प्रावधान किया गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 10:05 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 10:05 PM (IST)
आमदनी बढ़ाने की रणनीति: छोटी दूरी की ढुलाई को प्राथमिकता, भाड़े में 50 फीसद तक की रियायत
आमदनी बढ़ाने की रणनीति: छोटी दूरी की ढुलाई को प्राथमिकता, भाड़े में 50 फीसद तक की रियायत

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। आमदनी बढ़ाने की रणनीति के तहत रेलवे की नजर छोटी दूरियों की ढुलाई पर है, जो सड़क मार्ग से हो रही हैं। ढुलाई के इस कारोबार को रिझाने के लिए रेलवे ने भारी रियायत देने का फैसला किया है। इसके लिए रेलवे बोर्ड ने जोनल स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को नामित किया है, जो इस तरह के स्थानीय कारोबार को कुछ शर्तो के साथ आगे बढ़ाएंगे। रणनीति के तहत उन छोटे पैकेट वाले खुदरा वस्तुओं की ढुलाई को और प्रोत्साहित करने की योजना है, जिसे कोरोना संक्रमण घटाने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान शुरू किया गया।

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50 किमी तक की दूरी वाली ढुलाई के लिए भाड़े में 50 फीसद तक की छूट

ताजा फैसले में 50 किमी तक की दूरी वाली ढुलाई के लिए भाड़े में 50 फीसद तक की छूट तक का प्रावधान किया गया है। जबकि 75 किमी की दूरी तक माल पहुंचाने के लिए भाड़े में 25 फीसद तक की रियायत दी जाएगी। इस तरह के फैसले पर इस वर्ष जुलाई से अमल भी शुरू कर दिया गया है। ऐसे उपभोक्ता प्रतिष्ठानों को अपनी बैंक गारंटी देनी जरूरी होगी। रेलवे ने इस आशय का एक आदेश जारी किया है। हालांकि इस तरह की रियायतों का लाभ प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता प्रतिष्ठानों को रेलवे के साथ 10 वर्षो का करार करना होगा। आमतौर पर छोटी दूरी की माल ढुलाई की मात्रा अधिक होने के बावजूद इसका फायदा कभी रेलवे को नहीं मिल पाया।

देशव्यापी लॉकडाउन के चलते माल ढुलाई हुआ बुरी तरह प्रभावित

कोविड-19 की महामारी से बचने के लिए इस वर्ष 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था। इससे सड़क मार्ग की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई, जिससे माल ढुलाई बुरी तरह प्रभावित हुई। जबकि रेलवे ट्रैक से माल ढुलाई निरंतर जारी रही। इसके मद्देनजर औद्योगिक व व्यापारिक संगठनों के आग्रह पर भारतीय रेलवे ने स्वतंत्र रूप से पार्सल ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया। छोटी दूरी के साथ छोटे पैकेटों की ढुलाई का अधिकार रेलवे बोर्ड ने जोनल स्तर के वरिष्ठ अफसरों को सौंपा। देश के सभी जोन में इस तरह की ढुलाई कुछ शर्तो के साथ चालू कर दी गई। इस तरह की ढुलाई के लिए संबंधित कंपनियों या इकाइयों से कम से कम एक वर्ष का अनुबंध किया गया।

भारतीय रेलवे की परंपरागत माल ढुलाई में होने वाली गिरावट गंभीर चुनौती 

दरअसल, भारतीय रेलवे की परंपरागत माल ढुलाई में होने वाली गिरावट गंभीर चुनौती बनने लगी है। जुलाई में कुल माल ढुलाई 9.52 करोड़ टन हुई है, जो पिछले वर्ष इसी महीने के मुकाबले 4.57 फीसद कम है। कार्गो लोडिंग में भी 7.73 फीसद तक की गिरावट दर्ज की गई है। इसी के मद्देनजर रेलवे ने अपनी आमदनी बढ़ाने की अपनी रणनीति में व्यापक बदलाव का फैसला किया है।


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