दुर्गम रास्ता और घनघोर अंधेरा, महिला को खाट में ढोकर मशाल की रोशनी के सहारे पहुंचे अस्पताल
घटना जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड के ग्राम जबला तांबा कछार है जहां एक गंभीर बीमार महिला को खाट में ढोकर मशाल की रोशनी के सहारे लगभग 4 किलोमीटर का सफर पैदल मुख्य मार्ग तक लाया गया।
जशपुर, हिमांशु। छत्तीसगढ के जशपुर जिले में एक बार फिर विकास के बड़े-बड़े दावे फेल होते नजर आए। लाचार सिस्टम की लचर व्यवस्था उजागर हुई जहां एक गंभीर रूप से बीमार महिला को खाट में ढोकर मशाल की रोशनी के सहारे लगभग 4 किलोमीटर चल निजी वाहन तक लाया गया। यहां से महिला को अस्पताल पहुंचाया गया, तब जाकर उसकी जान बची।
घटना जिले के बगीचा विकासखंड के ग्राम जबला, तांबा कछार है जहां एक गंभीर बीमार महिला को खाट में ढोकर मशाल की रोशनी के सहारे लगभग 4 किलोमीटर का सफर पैदल मुख्य मार्ग तक लाया गया। जिसके बाद निजी वाहन से उसे इलाज के लिए बगीचा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। जब परिजन बगीचा अस्पताल पंहुचे तो यहां भी बीमार महिला का इलाज नहीं हुआ। यहां डाक्टर ने उसकी गंभीर स्थिति को देखने के बाद भी उसकी प्राथमिक चिकित्सा भी नहीं की और उसे बाहर जाने की सलाह दी। परिजन तड़के उसे लेकर होलीक्रॉस अस्पताल पहुंचे जहां उसका इलाज शुरु किया गया। जानकारी के अनुसार ग्राम तांबा कछार निवासी यह महिला कई दिनों से मासिक धर्म से जुड़ी बीमारी से पीड़ित है।
आप को बता दें गांव में ना सिर्फ सड़क का आभाव है बल्कि बिजली भी अब तक यहां नही पहुंची है। शासन प्रशासन के बड़े- बड़े दावों की पोल खोलने को यह तस्वीरें काफी हैं। सत्ता बदलती रही है लेकिन गांव की तस्वीर नहीं बदली, जिसके परिणाम स्वरूप स्थिति देखने को मिल रही है कि खाट पर किस प्रकार मरीज को अस्पताल ले जाया जाता है। जशपुर विधानसभा क्षेत्र की शर्मसार करने वाली तस्वीर है क्षेत्र के जनप्रतिनिधि विधायक हर भाषण में कहते हैं कि कि ग्रामीणों को उनके पास आने की जरूरत नहीं है हर समस्या पर वे खुद जाकर खड़े हो जाएंगे, लेकिन यहां स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है कि किस प्रकार ग्रामीण समस्याओं का दंश झेल रहे हैं।
जशपुर जिला स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर वर्षों से जूझ रहा है। लगातार ऐसी तस्वीर आ रही है जहां ग्रामीण क्षेत्र से मरीज को खाट में ढोकर अस्पताल लाया जा रहा है। ऐसे दूरस्थ गांव में आज भी पुल और सड़क का भाव है जिसके कारण मरीज अपनी जिंदगी बचाने के लिए भी स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं पहुंच पाते हैं।