ग्लोबल टेक्नोलाजी समिट में ब्रिटिश पीएम ने भारत को बताया स्वाभाविक सहयोगी और अहम जिम्मेदार
जानसन ने कहा कि पीएम मोदी के साथ उन्होंने भारत व ब्रिटेन के रिश्तों के लिए वर्ष 2030 तक का एक रोडमैप बनाया है जिसमें टेक्नोलोजी की खास भूमिका होगी। यह समझौता मई 2021 में मोदी और जानसन के बीच हुई वर्चुअल बैठक के दौरान किया गया था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ब्रिटेन के पीएम बोरिस जानसन ने भारत को एक स्वाभाविक सहयोगी बताते हुए कहा है कि दोनों देश टेक्नोलाजी के क्षेत्र में अहम साझेदार बनने की तरफ अग्रसर हैं। दोनों देश 5जी, स्टार्टअप समेत कई दूसरी महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं, जिनका व्यापक असर होगा। जानसन ने ग्लोबल टेक्नोलाजी समिट को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए यह बात कही। इस सम्मेलन का आयोजन विदेश मंत्रालय और गैर सरकारी संगठन कार्नेजी इंडिया की तरफ से किया गया। सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी हिस्सा लिया और वैश्विक कूटनीति में तकनीक के बढ़ते महत्व का उल्लेख किया।
जानसन ने कहा कि पीएम मोदी के साथ उन्होंने भारत व ब्रिटेन के रिश्तों के लिए वर्ष 2030 तक का एक रोडमैप बनाया है, जिसमें टेक्नोलोजी की खास भूमिका होगी। यह समझौता मई, 2021 में मोदी और जानसन के बीच हुई वर्चुअल बैठक के दौरान किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के मौजूदा रणनीतिक गठजोड़ को और मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि हम कई शानदार परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। कई स्टार्ट अप भारत की दिग्गज कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं। मकसद यह है कि सिर्फ कंपनियों के बीच ही काम न हो बल्कि इस तरह के गठबंधन से दोनों देशों की जनता के जीवन में भी बदलाव लाया जाए। उन्होंने यह भी कहा, 'ऐसी नई तकनीकी को बढ़ावा दिया जाएगा जो आजादी, खुलेपन व शांति के सिद्धांत पर आधारित हो। यही वजह है कि इस साल के शुरुआत में मैं और पीएम मोदी इस बात पर राजी हुए हैं कि हम उन तकनीक पर साथ काम करेंगे जो भविष्य को बदलने वाली होंगी।'
टेक्नोलाजी के साथ कुछ चुनौतियां भी आती हैं: एस जयशंकर
इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वैश्विक संबंधों में टेक्नोलाजी के बढ़ते महत्व की चर्चा की। साथ ही चेताया भी कि तकनीक कई तरह से लोकतंत्र के लिए चुनौतियां भी पैदा कर रही है। हालांकि उन्होंने खुलकर चुनौतियों का जिक्र नहीं किया। पीएम मोदी ने हाल के दिनों में दो बार इंटरनेट मीडिया व क्रिप्टोकरेंसी जैसी तकनीक को लोकतंत्र के लिए चुनौती बताया है। मोदी ने इस बारे में वैश्विक स्तर पर एक नियम बनाने की भी बात कही है। विदेश मंत्री का इशारा भी इसी ओर माना जा रहा है। जयशंकर ने कहा कि तकनीक हमेशा से दोधारी तलवार रही है। यह प्रगति के नए रास्ते खोलती है लेकिन कई तरह के नए भय भी पैदा कर देती है। वैश्विक स्तर पर हमें इनके बीच सामंजस्य लाना होगा। तकनीक ने कई बार देशों का भविष्य तय किया है और कई बार कुछ देशों को इसकी वजह से खामियाजा भी भुगतना पड़ा है।