श्रीलंका में आतंकी संगठन आइएसआइएस की गहरी साजिश बनी भारत के लिए सबक
पिछले दो दिनों से श्रीलंका विस्फोटों से होने वाली एक-एक खुलासे पर भारतीय एजेंसियों की बेहद पैनी नजर है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत की खुफिया एजेंसियों ने आतंकी संगठन आइएसआइएस के खतरे से श्रीलंका सरकार को समय रहते एलर्ट तो कर दिया था लेकिन उस संगठन की तैयारी इस स्तर की है इसका एहसास इन्हें भी नहीं था। यही वजह है कि पिछले दो दिनों से श्रीलंका विस्फोटों से होने वाली एक एक खुलासे पर भारतीय एजेंसियों की बेहद पैनी नजर है।
पिछले छह महीने में देश के भीतर आइएस के चार बड़े माड्यूल का भंडाफोड़ कर चुकी भारतीय एजेंसियों की चिंता इस बात की भी है कि जिस तौहीद जमात नाम के एक संगठन का नाम आइएस से जोड़ा गया है वह भारत के दक्षिणी राज्यों में भी सक्रिय थी। पिछले पांच वर्षों में भारत में आइएसआइएस से प्रभावित दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी मानते हैं कि श्रीलंका की घटना के बाद नए सिरे से चाक चौबंद होने की जरूरत है।
छह महीने से चेतावनी दे रहा था भारत
इस्लामिक आतंकी संगठन कोलंबो स्थित चर्च व अन्य स्थानों पर कुछ बड़े हमले करने की तैयारी में है, इसकी सबसे पहले जानकारी भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ की तरफ से श्रीलंका सरकार को दी गई थी। यह सूचना तमिलनाडु पुलिस की तरफ से वर्ष 2018 में किये गये एक खास आपरेशन के दौरान मिली थी। स्थानीय पुलिस कोयम्बटूर में आइएस से प्रभावित कुछ युवाओं को जब हिरासत में लिया तब उन्हें श्रीलंका में संभावित हमलों की जानकारी मिली थी।
पिछले रविवार को विस्फोट में मुखिया के तौर पर काम करने वाले जहरान हाशमी का भी नाम लिया था। इसकी जानकारी कूटनीतिक रास्ते से तत्काल श्री लंका सरकार को दे दी गई थी। उसके बाद दो बार चेतावनी और भेजी गई। बुधवार को वहां के उप रक्षा मंत्री रुवान विजयवर्द्धने ने भी यह बात स्वीकार की है कि कुछ हफ्ते पहले ही भारत से इस तरह की सूचना मिली थी।
श्रीलंका में हुए हमले के लिए तौहीद जमात नाम की जिस संगठन का नाम सामने आया है उस नाम से एक संगठन तमिलनाडु में भी काम कर रहा है। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि दोनों संगठनों के बीच संपर्क को लेकर सूचना पहले भी मिली थी। दरअसल, इस संगठन के बैनर तले कुछ लोग भारत, श्री लंका, दुबई व खाड़ी के अन्य देशों के अलावा अमेरिका में भी सक्रिय है। सही इस्लाम को बढ़ावा देने और जातीय हिंसा से प्रभावित मुस्लिमों को आर्थिक व अन्य मदद देने के लिए इनकी तरफ से अभियान भी चलाया जाता है।
संपन्न वर्ग से ताल्लुक है आतंकियों का
बुधवार को श्रीलंका सरकार ने हमले में शामिल आत्मघाती दस्ते के जिन नौ लोगों के बारे में सूचना सार्वजनिक की है वह भी भारतीय एजेंसियों के लिए चिंता की बात है। जो सूचनाएं आई हैं उसके मुताबिक आत्मघाती दश्ते में शामिल दो भाई इंसाफ इब्राहिम व इल्हाम इब्राहिम और इंसाफ इब्राहिम की पत्नी फातिमा इब्राहिम भी आत्मघाती दस्ते में शामिल थे। इंसाफ और इल्हाम श्री लंका के एक बड़े मसाला कारोबारी के मोहम्मद युसूफ इब्राहिम के पुत्र हैं जो राजनीतिक तौर पर बेहद सक्रिय हैं।
अभी तक आठ आत्मघाती हमलावरों की पहचान हो चुकी है और सभी के सभी खाते पीते परिवार के हैं। सनद रहे कि भारत में भी अभी आइएस से प्रभावित जितने युवाओं को गिरफ्तार किया गया है उनमें से अधिकांश पढ़े लिखे हैं और कई तो विदेश में कार्यरत रहे हैं। हालांकि यह राहत की बात है कि ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों के मुकाबले भारत में आईएस से प्रभावित युवाओं की संख्या बेहद कम रही है। वर्ष 2017 में सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से यह बताया गया था बहुत बड़ी मुस्लिम आबादी होने के बावजूद आइएस में शामिल होने के लिए सीरिया व इराक जाने वाले भारतीयों की संख्या बमुश्किल से 50 थी जबकि ब्रिटेन व फ्रांस जैसे देशों से सैकड़ों युवा वहां पहुंचे थे।
सनद रहे कि रविवार को इस्टर के दिन श्रीलंका के कई शहरों के चर्चों व पांच सितारा होटलों में आईएस से प्रभावित नौ इस्लामिक आतंकियों ने विस्फोट से 359 लोगों की जान ली है। यह आइएस की तरफ से दुनिया के किसी भी हिस्से में किया गया अभी तक का सबसे घातक हमला है। इससे पहले इनका सबसे बड़ा हमला कराडा (बगदाद) में था जिसमें 340 लोगों की जान गई थी।