राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई को लेकर दायर खारिज, हुई थी उम्रकैद की सजा
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका गुरुवार को खारिज कर दी।
नई दिल्ली, प्रेट्र/आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। 21 मई, 1991 को राजीव गांधी के साथ मारे गए लोगों के परिजनों ने यह याचिका दायर की थी। याचिका में इस मामले में सजा पाने वाले सातों दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के 2014 के फैसले को चुनौती दी गई थी।
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि संविधान पीठ ने 2015 के अपने फैसले में याचिका में उठाए गए संभी प्रासंगिक मुद्दों का निपटारा कर दिया था।
पीठ ने कहा कि संविधान पीठ के फैसले के मद्देनजर इस याचिका में कुछ भी नया नहीं है। तमिलनाडु सरकार के फैसले के खिलाफ केंद्र की याचिका पर संविधान पीठ ने फैसला दिया था।
इस मामले में पेरारिवलन, वी श्रीहरन उर्फ मुरुगन, टी सुतेंद्रराजा उर्फ संतन, जयकुमार, रॉबर्ट पायस, पी रविचंद्रन और नलिनी को उम्रकैद की सजा हुई थी और ये सभी 25 साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं।
द्रमुक ने रिहाई की मांग की
द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि सभी दोषियों की तत्काल रिहाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कैबिनेट द्वारा इनकी रिहाई के संबंध में प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित इनकी रिहाई में विलंब कर रहे हैं। राज्यपाल के पास दो साल से यह मामला लंबित पड़ा है।
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