सैकड़ों चमगादड़ों की मौत से लोगों में दहशत, जांच में जुटा वन विभाग
चमगादड़ों के अचानक पेड़ों से गिरने की घटना से ग्रामीण दहशत में आ गए। इस पर वन विभाग के पशु चिकित्सकों को बुलाकर शवों का परीक्षण कराया और जांच के लिए सैंपल भेजे गए।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश के बैतूल और सिंगरौली में सैकड़ों की संख्या में चमगादड़ों की मौत से दहशत फैल गई है। चमगादड़ों की मौत को लोग इसे कोरोना संक्रमण से जोड़कर देख रहे हैं। चमगादड़ों को कोरोना वायरस का संवाहक माना जाता है। इसको लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। ऐसे में वन विभाग ने दोनों जिलों में टीमें गठित कर जांच शुरू कर दी है और संबंधित डीएफओ (डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर) से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। चमगादड़ों का पोस्टमार्टम कराकर सैंपल जांच के लिए वेटरनरी कॉलेज जबलपुर और उच्च सुरक्षा पशु रोग प्रयोगशाला (एचएसएडीएल) भोपाल भेजे गए हैं। पशु चिकित्सक इनकी मौत का कारण हीट स्ट्रोक मानकर चल रहे हैं।
इससे पहले बिहार और यूपी के गोरखपुर में हो चुकी है चमगादड़ों की मौत
बिहार और यूपी के जौनपुर और गोरखपुर के बाद मध्य प्रदेश में भी चमगादड़ों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया है। करीब छह दिन पहले बैतूल के भीमपुर ब्लॉक के बेहड़ा धाना गांव में 20 चमगादड़ों की मौत से सिलसिला शुरू हुआ। दो दिन पहले सिंगरौली जिले की माड़ा तहसील के पड़री गांव में भी मौत हुई हैं। चमगादड़ों के अचानक पेड़ों से गिरकर मरने की घटना से ग्रामीण दहशत में आ गए। इस पर वन विभाग के पशु चिकित्सकों को बुलाकर शवों का परीक्षण कराया और जांच के लिए सैंपल भेजे गए। विभाग ने अन्य जिलों के डीएफओ को भी नजर रखने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले साल इसी मौसम में गुना जिले में 2500 से अधिक और नरसिंहगढ़ में करीब पांच सौ चमगादड़ों की मौत हुई थी। लोगों का मानना है कि अचानक गर्मी बढ़ी है। आसपास तालाबों में पानी भी नहीं है। आशंका जताई जा रही है कि गर्मी के चलते चमगादड़ों की मौत हो गई हो।
हीट स्ट्रोक से मौत का अनुमान
वन व पशुपालन विभाग के अफसरों का अनुमान है कि चमगादड़ों की मौत हीट स्ट्रोक से हो रही है। पक्षी विशेषज्ञ डॉ. तुषार लोखंडे भी इस पर सहमत हैं। वे कहते हैं कि गर्मी का असर हो सकता है। वैसे सही स्थिति जांच रिपोर्ट आने पर ही पता चलेगी। डॉ. लोखंडे हीट स्ट्रोक से दूसरे परिंदों को नुकसान क्यों नहीं हो रहा, पूछने पर बताते हैं कि दूसरे परिंदों की मौत हो भी रही होगी, तो किसे पता है। अभी तो लोग चमगादड़ों को लेकर ज्यादा संवेदनशील हैं।
रिपोर्ट में कुछ नहीं निकला
पशुपालन विभाग के संचालक डॉ. राजेंद्र कुमार रोकड़े बताते हैं कि पिछले साल गुना में 2500 से अधिक चमगादड़ों की मौत हुई थी। उनके शवों से सैंपल लेकर जांच कराई गई थी। इसमें किसी बीमारी की पुष्टि नहीं हुई।
वन बल प्रमुख राजेश श्रीवास्तव ने कहा है कि बैतूल-सिंगरौली डीएफओ से चमगादड़ों की मौत की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अन्य सभी डीएफओ को चमगादड़ों के ठिकानों पर नजर रखने को कहा है। मौत होने पर तत्काल पोस्ट मार्टम कराकर सुरक्षित तरीके से शवदाह करने को कहा है।
पशुपालन विभाग के संचालक डॉ. राजेंद्र कुमार रोकड़े ने कहा है कि चमगादड़ों की मौत की घटनाओं पर नजर है। संबंधित जिलों के पशु चिकित्सकों को सतर्क किया है। पक्षी की मौत होने पर सैंपल विभिन्न लैबों को भेजने को कहा है। अभी किसी बीमारी की स्थिति नहीं दिखाई देती। जांच में कुछ आया तो उस हिसाब से व्यवस्थाएं करेंगे।