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Karnataka: कर्नाटक में मुस्लिम जोड़े ने हिंदू संत को घर बुलाकर की पद पूजा

कर्नाटक के गडग जिले में एक मुस्लिम दंपती ने हिंदू संत को घर आमंत्रित किया जिसके बाद परिवार के सदस्यों ने संत के चरणों की पूजा की और ओम नम शिवाय मंत्र का जाप किया। सेवानिवृत प्रोफेसर बड़ेखान कई वर्ष से स्वामीजी को अपने घर बुला रहे हैं।

By Sonu GuptaEdited By: Published: Fri, 19 Aug 2022 11:05 PM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2022 11:05 PM (IST)
Karnataka: कर्नाटक में मुस्लिम जोड़े ने हिंदू संत को घर बुलाकर की पद पूजा
मुस्लिम दंपती ने हिंदू संत को घर आमंत्रित किया। (फोटो-आईएएनएस)

गडग, एजेंसी। आए दिन हिंदू-मुस्लिमों के बीच बदला लेने के लिए हत्याएं और छूरेबाजी की घटनाओं से जूझ रहे कर्नाटक के गडग जिले में एक मुस्लिम दंपती ने हिंदू संत को घर आमंत्रित किया। परिवार के सदस्यों ने संत के चरणों की पूजा की और ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप किया। गडग शहर के हुडको कालोनी में रहने वाले सिकंदर बड़ेखान ने धारवाड़ जिले के क्याराकोप्पा में ओंकार आश्रम के स्वरूपानंद स्वामी को आमंत्रित किया। संत ने मुस्लिम परिवार के घर दोपहर भोज भी की।

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धार्मिक सहिष्णुता और भाई चारे के लिए जाना जाता है यह क्षेत्र

सेवानिवृत प्रोफेसर बड़ेखान कई वर्ष से स्वामीजी को अपने घर बुला रहे हैं। जिले के कई मुस्लिम परिवार स्वरूपानंद स्वामी के अनुयायी हैं। उत्तर कर्नाटक का यह क्षेत्र धार्मिक सहिष्णुता और भाई चारे के लिए जाना जाता है। यहां के अधिकांश गांवों में हिंदू और मुस्लिम एक दूसरे के अगल-बगल प्यार से रहते हैं। उल्लेखनीय है कि लोगों के एक समूह के विरोध के बावजूद अधिकारियों ने करगा उत्सव के दौरान बेंगलुरु में दरगाह तक धार्मिक जुलूस की परंपरा को बनाए रखा था। बेलुर की ऐतिहासिक चेन्नाकेश्वर रथ यात्रा शुरू करने से पहले कुरान का पाठ किया जाता है। इसका भी लोगों का एक समूह विरोध करता रहा है। समाज में एकता का संदेश देने के लिए लोग मुस्लिम परिवारों और हिंदू संतों का उत्साह से समर्थन करते हैं।

मुहर्रम के समय भी देखी गई सद्भावना

उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी जिले के सौनदत्ती तालुक के हिरेबिदानपुर गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं होने के कारण स्थानीय नेताओं ने रश्म के तौर पर मुहर्रम को मनाया था। मुस्लिम परिवार नहीं होने के कारण हिंदूओं ने इस परंपरा को कई सालों से कायम रखे हुए हैं। इस प्रकार की सद्भाव की परंपरा जिले के कई गांवों में देखी जाती है। इलाके में इस प्रकार के काम के धार्मिक सद्भाव के रूप में देखा जाता है।


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