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खाड़ी के देशों में पिछले छह वर्षों में हर रोज गई दस भारतीय कामगारों की जान

एक अध्ययन के अनुसार, पिछले छह वर्षो में खाड़ी के देशों में रोजाना औसतन दस भारतीय कामगारों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। भारत में विदेश से भेजी गई कुल धनराशि का आधा हिस्सा इन कामगारों की कमाई का है। स

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 09:56 PM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 10:48 AM (IST)
खाड़ी के देशों में पिछले छह वर्षों में हर रोज गई दस भारतीय कामगारों की जान
खाड़ी के देशों में पिछले छह वर्षों में हर रोज गई दस भारतीय कामगारों की जान

 नई दिल्ली, प्रेट्र। खाड़ी के देशों से अनायास ही भारत में करोड़ों-अरबों डॉलर नहीं आ जाते हैं। इसके लिए वहां काम कर रहे भारतीयों को काफी खून-पसीना बहाना पड़ता है। जान तक की कुर्बानी देनी पड़ती है। एक अध्ययन के अनुसार, पिछले छह वर्षो में खाड़ी के देशों में रोजाना औसतन दस भारतीय कामगारों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।

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भारत में विदेश से भेजी गई कुल धनराशि का आधा हिस्सा इन कामगारों की कमाई का है। सरकार की तरफ से 26 अगस्त, 2018 को संसद में जानकारी दी गई कि वर्ष 2017 के दौरान खाड़ी के छह देशों में करीब 22.35 लाख भारतीय श्रमिक कार्यरत थे।

 स्वयंसेवी संस्था कॉमनवेल्थ ह्युमन राइट्स इनीसिएटिव (सीएचआरआइ) ने सूचना का अधिकार (आरटीआइ) कानून के तहत मिली जानकारियों का विश्लेषण कर उपरोक्त सच्चाई उजागर की है। इसके लिए दरअसल सीएचआरआइ के वेंकटेश नायक को काफी मेहनत करनी पड़ी।

अपनी आरटीआइ अर्जी में उन्होंने 1 जनवरी, 2012 से जून 2018 के बीच बहरीन, ओमान, कुवैत, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारतीय श्रमिकों की हुई मौत के आकड़ों के बारे में विदेश मंत्रालय से जानकारी मांगी थी। इस पर यूएई व कुवैत को छोड़कर बाकी देशों स्थित भारतीय दूतावासों ने आंकड़े मुहैया करा दिए। यूएई ने तो जानकारी देने से इन्कार कर दिया, जबकि कुवैत ने 2014 के बाद के आंकड़े अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी।

इस कमी को पूरा करने के लिए नायक ने लोकसभा व राज्य सभा में सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों का सहारा लिया। बकौल नायक, 'उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि 2012 से मध्य 2018 के बीच खाड़ी के छह देशों में कम से कम 24,570 भारतीय श्रमिकों की मौत हुई। अगर कुवैत और यूएई के पूरे आंकड़े सार्वजनिक कर दिए जाएं तो यह संख्या बढ़ भी सकती है।

इन आंकड़ों के आधार पर यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इस अवधि के दौरान खाड़ी के देशों में रोजाना तकरीबन दस से अधिक भारतीय कामगारों की मौत हुई।' उनका कहना था कि पूरी दुनिया से 2012 से 2017 के बीच विदेश से जितना धन देश में आया, उसका आधा से अधिक हिस्सा भारतीय कामगारों की कमाई का है।' नायक ने बताया, 'इस अवधि के दौरान पूरी दुनिया से 410.33 अरब डॉलर की धनराशि भारत भेजी गई, इसमें से खाड़ी के देशों के भारतीय श्रमिकों की कमाई का हिस्सा 209.07 अरब डॉलर का है।'


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