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अब मंत्री करेंगे स्पष्ट, नए कानून से अदालत में केस तो नहीं बढ़ेंगे

कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने लिखा रविशंकर प्रसाद को पत्र...

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Sun, 24 Sep 2017 09:54 PM (IST)Updated: Sun, 24 Sep 2017 09:54 PM (IST)
अब मंत्री करेंगे स्पष्ट, नए कानून से अदालत में केस तो नहीं बढ़ेंगे
अब मंत्री करेंगे स्पष्ट, नए कानून से अदालत में केस तो नहीं बढ़ेंगे

नई दिल्ली, प्रेट्र: भविष्य में अगर केंद्र सरकार कोई नया कानून लाना चाहती है या फिर किसी कानून में संशोधन करना चाहती है तो संबंधित मंत्री को यह स्पष्ट करना होगा कि इससे अदालतों में केस तो नहीं बढ़ेंगे।

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कानून मंत्रालय के राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने इस आशय का पत्र अपने वरिष्ठ मंत्री रविशंकर प्रसाद व कैबिनेट सचिव को लिखा है। सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावित बिल में इस बात को स्पष्ट करना होगा कि ऐसा विवादों से निपटने का अदालत के बाहर क्या तरीका होगा। अगर सरकार इस सुझाव को स्वीकृत कर लेती है तो भविष्य में जो भी बिल संसद में पेश किए जाएंगे, उनमें लिटिगेशन असेसमेंट क्लाज होगा। मंत्री को इसमें दर्ज करना होगा कि बिल के कानून बनने के बाद क्या कानूनी झमेले खड़े होने की संभावना है। इसका ध्येय यह भी है कि कानून बेवजह अदालती विवाद में न फंसे।

सूत्रों का कहना है कि जुलाई के आखिरी सप्ताह में कानून व न्याय मंत्रालय ने एक बैठक में इस बात पर विमर्श किया कि अदालतों में चल रहे जिन मामलों में सरकार पक्ष है, उन्हें कैसे कम किया जा सके। पिछले साल अक्टूबर में पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद भी माना था कि अदालतों में तीन करोड़ जो मामले लंबित हैं, उनमें से 46 फीसद केवल सरकारों से जुड़े हैं। उन्होंने इस बात की जरूरत जताई थी कि सरकार से जुड़े मामलों को अदालतों में कम से कम किया जाए। इसके लिए सुविचारित नीति के तहत काम होना जरूरी है। एक उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि अगर कोई शिक्षक सेवा संबंधी मामले में अदालत का रुख करता है और वह केस जीत जाता है तो उसके मामले को नजीर बनाकर दूसरों को लाभ दिया जा सकता है। इससे अपीलें कम होंगी।

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