अदालत में हेलमेट पहनकर आएंगे जज!
अदालत परिसरों में वकीलों द्वारा हिंसा के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यही हाल रहा तो आने वाले वर्षो में न्यायाधीशों को सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनकर आना होगा। सर्वोच्च अदालत ने ऐसी घटनाओं में शामिल वकीलों का रजिस्ट्रेशन रद करने पर विचार करने के संकेत दिए हैं। जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस एसजे
नई दिल्ली। अदालत परिसरों में वकीलों द्वारा हिंसा के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यही हाल रहा तो आने वाले वर्षो में न्यायाधीशों को सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनकर आना होगा। सर्वोच्च अदालत ने ऐसी घटनाओं में शामिल वकीलों का रजिस्ट्रेशन रद करने पर विचार करने के संकेत दिए हैं।
जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने जमानत न मिलने पर कोर्ट परिसर में ही एक मजिस्ट्रेट को थप्पड़ मारने की घटना का जिक्र करते हुए तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और इलाहाबाद में अदालत परिसर में वकीलों के उपद्रव का भी हवाला दिया। पीठ ने इस बात पर अफसोस जताया कि लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले ही हिंसक गतिविधियों में लिप्त हो रहे हैं।
तेलंगाना आंदोलन के दौरान मारे गए और घायल लोगों के लिए मुआवजे की याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां कीं। याचिकाकर्ता वी कृष्णैया ने बताया कि सितंबर 2010 की एक घटना में हाई कोर्ट परिसर में वकीलों ने न्यायाधीशों पर कोर्ट रूम में हमला बोला और सुनवाई नहीं करने दी। आंध्र सरकार को फटकार लगाते हुए खंडपीठ ने कहा, 'क्या आप गुंडागर्दी और हिंसा पर उतारू लोगों की मदद कर रहे हैं? आप उन्हें बल प्रयोग कर रोक सकते थे। हाई कोर्ट परिसर में ऐसी घटना सरासर गुंडागर्दी है। वकील जज को भी मार सकते थे और आप मूकदर्शक बनकर देखते रहे।' वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकटरमणि ने बेंच को भरोसा दिलाया कि हिंसक घटनाओं में शामिल वकीलों पर मुकदमा चलाया जा रहा है। अदालत ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के उपायों को लेकर आंध्र सरकार से और आंदोलन के दौरान हुए नुकसान पर रेलवे से भी रिपोर्ट मांगी है।
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