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भारत में मां और शिशु के स्वास्थ्य में हो रहा सुधार, लेकिन असमानताएं अब भी बरकरार

अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि यदि सुविधाओं की बात की जाए तो इथोपिया और भारत के कुछ राज्यों में सुधार देखने को मिला।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 10:36 AM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 10:36 AM (IST)
भारत में मां और शिशु के स्वास्थ्य में हो रहा सुधार, लेकिन असमानताएं अब भी बरकरार
भारत में मां और शिशु के स्वास्थ्य में हो रहा सुधार, लेकिन असमानताएं अब भी बरकरार

नई दिल्ली, आइएएनएस। भारत, इथोपिया और नाइजीरिया के कुछ हिस्सों में सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम मां और नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य सुधार करने में सफल रहे हैं, लेकिन असमानताएं अब भी बरकरार हैं। शहरी क्षेत्रों में जहां देखभाल की अच्छी सुविधाएं हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। एक नए अध्ययन में यह दावा किया है। यह अध्ययन कनाडाई मेडिकल एसोसिएशन जर्नल (सीएमएजे) में प्रकाशित हुआ है।

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शोधकर्ताओं के अनुसार, स्वास्थ्य के क्षेत्र में असमानता का मतलब है कि ग्रामीणों क्षेत्रों में और अधिक काम करने की जरूरत है। स्वास्थ्य सुधार के कार्यक्रमों को उन गरीब परिवारों तक भी पहुंचाने की जरूरत है जो मां और नवजात की मृत्यु का सबसे बड़ा बोझ वहन करते हैं। ब्रिटेन के लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में भारतीय मूल की शोधकर्ता तान्या मर्चेंट ने कहा, ‘हमारे निष्कर्ष आशावादी और निराशावादी दोनों तरह की व्याख्या करते हैं। सभी सामाजिक-आर्थिक समूहों के परिवारों ने इन स्वास्थ्य कार्यक्रमों का लाभ जरूर उठाया है, लेकिन फिर भी असमानताएं बनी हुई हैं।

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों से जुड़े सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रभावों का आकलन करने के लिए शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने ग्रामीण भारत, इथोपिया और नाइजीरिया में मां और नवजात शिशुओं के आठ आवश्यक स्वास्थ्य संकेतकों का अध्ययन किया। इन संकेतकों में प्रसवपूर्व और प्रसव के बाद की देखभाल, जन्म के समय की सुविधाएं, हाइजीन और स्तनपान आदि शामिल थे।

बदल रही है स्थिति

अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि यदि सुविधाओं की बात की जाए तो इथोपिया और भारत के कुछ राज्यों में सुधार देखने को मिला। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2012 के मुकाबले 2015 में मातृत्व संबंधी कई सुविधाएं बेतहर हुई हैं।

सुविधाओं पर ध्यान देने की जरूरत

शोधकर्ताओं ने कहा, ‘सळ्विधाएं बेहतर होने के बाद भी कुछ क्षेत्रों में आमूलचूल बदलाव की जरूरत है। इस अध्ययन के मुख्य लेखक तान्या मर्चेंट ने कहा, ‘मां और बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार के लिए न केवल संरचनात्मक बदलाव की आवश्यकता होती है बल्कि देखभाल करने वाले लोगों के व्यवहार में सुधार जरूरी होता है।


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