घर से काम करने वाले लाखों लोगों के लिए अहम जानकारी, गलत पोश्चर कहीं ना कर दें आपको बीमार
डॉ. आर. के. सिंह ने बताया कि लॉकडाउन ने बेशक घर में रहने के कारण कोविड-19 से बचने का सुरक्षा कवच दिया लेकिन वर्क फ्रॉम होम में गलत पोश्चर बन सकता है स्लिप डिस्क का कारण...
नई दिल्ली। कोविड-19 के संक्रमण ने जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित किया है। लॉकडाउन के कारण कामकाजी लोगों को वर्क फ्रॉम होम का फार्मूला अपनाना पड़ा। ढाई माह से मार्निंग वॉक, जिम और घर से बाहर निकलना बंद रहा। ऐसे में विशेषकर सर्विस सेक्टर से जुड़े लोगों के सही ढंग से बैठने-उठने या ठीक पोश्चर अपनाने की आदत भी बिगड़ गई। ऑफिस में चेयर पर सलीके से बैठकर काम करने वाले लोग घर में सोफे, बेड, पलंग या आराम से बेड पर तकिया लगाकर काम निपटाने के आदी बनने लगे।
इसी का परिणाम है कि इस दौरान अधिसंख्य लोगों ने रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं को पाल लिया। फिट रहना है तो व्यायाम के साथ ही सही पोश्चर की आदत को न भूलें। क्योंकि भले ही अनलॉक-1 का चरण शुरू हो गया है मगर शारीरिक दूरी के अनुपालन में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर अभी लंबा चलने वाला है। जाने क्या कहते है कानपुर के ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. आर. के. सिंह।
नजरअंदाज न करें इन लक्षणों को
- कुछ समय के लिए दिमाग खाली लगना या आंखों के सामने अंधेरा छा जाना।
- पीठ, गर्दन और शरीर के निचले हिस्से में बहुत तेज दर्द। सिर चकराने के साथ ही किसी अंग का सुन्न हो जाना।
- शरीर के निचले हिस्से में कमजोरी या अचानक लड़खड़ा जाना। अचानक कमर या गर्दन में दर्द। उठने के साथ ही कुछ क्षणों के लिए बेहोशी में चले जाना।
- गिरने या किसी दुर्घटना में गर्दन और कमर में दर्द होने पर प्राथमिक उपचार के बाद भी राहत न मिले और दर्द बढ़े तो संभावित है यह रीढ़ की हड्डी से ही जुड़ी समस्या है।
सही हो पोश्चर: यह एक बड़ी सामान्य बात है कि जब आप ऑफिस में रहकर काम निपटाते हैं तो मन में अनुशासन का भाव होता है और आपके उठने-बैठने का तरीका या पोश्चर सही रहता है लेकिन जब आप घर में होते हैं तो कामकाज का तरीका बदल जाता है। लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्रॉम होम में आप काम तो करते रहे या अभी भी कर रहे हैं लेकिन कभी तकिया लगाकर बेड पर लैपटॉप से या सोफे पर आराम से घंटों मोबाइल में बिजी रहकर समय बिता रहे हैं। देश-दुनिया की खबर भी टीवी के सामने अपनी सुविधानुसार लेटकर या बैठकर देखी जा रही है पर आपने यह नहीं सोचा कि इससे हमारे शरीर के जोड़ों या रीढ़ की हड्डी पर कितना बुरा प्रभाव पड़ रहा है। रीढ़ की हड्डी हो या जोड़ों की कोई परेशानी, इसका पहला कारण हमारा सही पोश्चर, रीढ़ सीधी न रखने और व्यायाम से दूर रहना होता है।
कैसे रखें गर्दन का ध्यान
कंप्यूटर पर काम करने का सीधा असर आंखों के बाद गर्दन पर पड़ता है।
तीन से चार घंटे तक यदि की-बोर्ड पर काम कर रहे हैं, तो कंप्यूटर से की-बोर्ड की दूरी एक फीट होनी चाहिए।
गर्दन के दर्द से बचने के लिए काम करते हुए टाई की जगह लूज कॉलर के शर्ट अधिक आरामदेह माने गए हैं।
सोते हुए भी रखें ध्यान
- कम से कम मोटे गद्दे का प्रयोग करें।
- तकिया कंधे को सपोर्ट देते हुए नहीं, बल्कि गर्दन को सपोर्ट देते हुए लगाएं।
- लेटते हुए कमर व घुटने के नीचे तकिया लगाकर मांसपेशियों के स्ट्रेस को कम किया जा सकता है।
- सोने से पहले कम से कम पांच बार गहरी सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें। इससे जल्दी नींद आएगी।
उठाएं लॉकडाउन की राहत का लाभ: अब लॉकडाउन में काफी नरमी आई है, इसलिए नियमों का पालन करते हळ्ए व्यायाम और मॉर्निंग वॉक पर निकलिए। वर्क फ्रॉम होम जारी है तो ऑफिस की तरह ही सही पोश्चर अपनाएं। हां, स्लिप डिस्क की समस्या से पीड़ित रहे हैं अथवा फीजियोथेरेपी लेते रहे हैं तो चिकित्सक की सलाह पर ही व्यायाम करें।