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Coronavirus Immunity: डर के खिलाफ भी जरूरी है इम्यूनिटी, एक रक्षात्मक ढाल बनाना समय की मांग

Coronavirus Immunity कोरोना काल में कोशिश करें कि डर पर आप हावी हो जाएं उसके प्रभाव को कम से कम करें। जिससे जीवन आसान हो जाए।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 20 Aug 2020 09:29 AM (IST)Updated: Thu, 20 Aug 2020 09:38 AM (IST)
Coronavirus Immunity: डर के खिलाफ भी जरूरी है इम्यूनिटी, एक रक्षात्मक ढाल बनाना समय की मांग
Coronavirus Immunity: डर के खिलाफ भी जरूरी है इम्यूनिटी, एक रक्षात्मक ढाल बनाना समय की मांग

नई दिल्ली, सीमा झा। हमारी भावनाएं-संवेदनाएं एक दूसरे से प्रभावित होती हैं। इसीलिए हम हैं सामाजिक प्राणी। पर यदि आप इन दिनों परिवेश में फैले डर के प्रभाव में आकर परेशानहो रहे हैं तो बिना भावुक हुए इनका सामना करें। डर के प्रति भी आपको अपनी इम्यूनिटी मजबूत करनी होगी। यह सही नहीं कि आप दिन भर सोशल मीडिया या फेसबुक-इंस्टाग्राम या ट्विटर स्क्रॉल करते रहें और खुद को डर की चपेट में डालकर चुपके से बड़े खतरे पैदा कर लें। डर एक शक्तिशाली भाव है पर ऐसा बिल्कुल नहीं कि आप इस पर विजय नहीं प्राप्त कर सकते। आपको पता है डर हमारे लिए एक हद तक बेहद जरूरी चीज है। किसी भी संकट में यह आपको उससे लड़ने के लिए तैयार करता है। हां, आप पर यह हावी होने लगे तो इससे बचने की पहल भी खुद करनी होगी।

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कोशिश करें कि डर पर आप हावी हो जाएं, उसके प्रभाव को कम से कम करें। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कौन- सा तरीका है जिसकी मदद से आप डर को खत्म कर सकते हैं। बेशक कई तरीके हैं। कुछ लोगों को आपने देखा होगा जो लोगों की मदद करते हैं या कल्याणकारी कार्यों में संलग्न हैं। ऐसे लोग समान वातावरण में रहकर भी भयमुक्त महसूस करते हैं।

हमारे मन के दो हिस्से हैं। एक, जो डर से परेशान है। इससे ज्यादा नहीं सोच पाता और दूसरा, अपने मूल्यों, नीयत, नेक कार्यों, बुद्धि और करुणा आदि भावों के कारण खुद को भय से ऊपर मानता है। इस कोलाहल भरे परिवेश में जब आपको समझ में न आए कि आप क्या हैं तो दो काम करें। पहला, खुद से सवाल करें कि इस संकट भरे समय में भी मुझे क्या बनना है। भयग्रस्त बने रहना है या मन के दूसरे हिस्से को महसूस करना है यानी अपने मूल्य, अपनी नीयत पर भरोसा रखना है।

दूसरा, उक्त सवाल से आपको जो जवाब मिल रहे हैं, उन्हें लिख लें। कुछ ही समय में आप देखेंगे कि भय पर काबू हो रहा है। आप समझ पाएंगे कि मन में डर का जो संक्रमण हो चुका है उसके प्रति एक रक्षात्मक ढाल बन गया है। फलत:, आप अधिक चुस्त और एकाग्र महसूस करेंगे। खुद से जुड़ाव बढ़ता जाएगा। इस समय हमें इन्हीं चीजों की जरूरत है।

लेखक हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की सुसेन डेविड हैं।

(आइडियाज टेड डॉटकॉम से साभार)


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