Move to Jagran APP

नए वैरिएंट से भी मुकाबला कर सकते हैं कोरोना से उबरे मरीज, लंबे समय तक रहते हैं सुरक्षित

नेचर पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार वायरस से मुकाबले के लिए इम्यून सेल्स (प्रतिरक्षा कोशिकाओं) द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी लगातार विकसित होती रहती है। ऐसा गट (आंत) टिश्यू में वायरस के छिपे होने के कारण होता रहता है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 07:00 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 07:00 PM (IST)
नए वैरिएंट से भी मुकाबला कर सकते हैं कोरोना से उबरे मरीज, लंबे समय तक रहते हैं सुरक्षित
नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुआ है यह अध्ययन

न्यूयॉर्क, प्रेट्र। कोरोना वायरस (Covid-19) से उबरे लोगों में इस घातक वायरस के नए वैरिएंट से मुकाबला करने की भी क्षमता पाई गई है। एक नए अध्ययन का दावा है कि कोविड-19 को मात देने वाले लोग इस वायरस के खिलाफ छह माह या लंबे समय तक सुरक्षित हो जाते हैं। ऐसे लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट समेत कोरोना वायरस के नए रूपों को भी रोक सकती है।

loksabha election banner

नेचर पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, वायरस से मुकाबले के लिए इम्यून सेल्स (प्रतिरक्षा कोशिकाओं) द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी लगातार विकसित होती रहती है। ऐसा गट (आंत) टिश्यू में वायरस के छिपे होने के कारण होता रहता है।

संक्रमण खत्म होने के बाद भी एंटीबॉडी की गुणवत्ता में सुधार

अमेरिका की रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के जरिये इस बात के ठोस साक्ष्य मुहैया कराए हैं कि प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस को याद रखती है और संक्रमण खत्म होने के बाद भी एंटीबॉडी की गुणवत्ता में सुधार करती रहती है।

रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता मिशेल सी नुसेंजवेग ने कहा, 'यह बेहद उत्साहजनक खबर है। हम यहां देख सकते हैं कि प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावी सुरक्षा मुहैया करा सकती है।' पूर्व के अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी ब्लड प्लाज्मा में हफ्तों या महीनों तक बनी रहती है।

87 लोगों पर किए गए अध्ययन के बाद निकाला गया निष्कर्ष

हालांकि नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी का निर्माण करने के साथ ही मेमोरी बी सेल्स की उत्पत्ति भी करती है। यह बी सेल्स कोरोना वायरस की पहचान करती है और दूसरे दौर के संक्रमण की स्थिति में एंटीबॉडी को तेजी से सक्रिय करती है। शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष 87 लोगों पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर निकाला है। इनमें संक्रमण के एक माह बाद और फिर छह महीने बाद एंटीबॉडी रिस्पांस पर गौर किया गया था। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.