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रास्ते में फंसे मजदूरों के खाने-पीने और परिवहन की तत्काल मुफ्त व्यवस्था हो: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने केन्द्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर इस मामले में तत्काल ध्यान देने को कहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 09:39 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 09:39 PM (IST)
रास्ते में फंसे मजदूरों के खाने-पीने और परिवहन की तत्काल मुफ्त व्यवस्था हो: सुप्रीम कोर्ट
रास्ते में फंसे मजदूरों के खाने-पीने और परिवहन की तत्काल मुफ्त व्यवस्था हो: सुप्रीम कोर्ट

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना लाकडाउन के कारण रास्ते में फंसे, सड़कों पर पैदल चलते, हाईवे, स्टेशन और राज्य सीमाओं पर फंसे मजदूरों की दयनीय दशा पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने केन्द्र और राज्य सरकारों से कहा है कि रास्ते में फंसे प्रवासी मजदूरों के परिवहन, खाने पीने और आश्रय की तत्काल मुफ्त व्यवस्था हो। कोर्ट ने केन्द्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी करते हुए प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए उठाए गए कदमों पर गुरुवार तक जवाब मांगा है। मामले पर गुरुवार को फिर सुनवाई होगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरों की दयनीय दशा पर लिया स्वत: संज्ञान

ये आदेश न्यायमूर्ति अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की पीठ ने प्रवासी मजदूरों की दशा बयां करती मीडिया रिपोर्ट और विभिन्न लोगों की ओर से कोर्ट को भेजे गए पत्रों पर संज्ञान लेते हुए जारी किये। कोर्ट ने कहा कि विभिन्न अखबारों और मीडिया में रास्ते में फंसे मजदूरों की दयनीय दशा की रिपोर्ट आ रही है। जिनमें बताया गया है कि वे लंबी दूरी पैदल या साइकिल से तय कर रहे हैं।

वे लोग शिकायत कर रहे हैं कि रास्ते में हाईवे पर या जहां वे पैदल, साइकिल से या किसी साधन से जाते हुए फंस गए हैं, वहां प्रशासन की ओर से उन्हें खाना पानी मुहैया नहीं कराया जा रहा है।

कोर्ट ने कहा कि देश में लाकडाउन की मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस वर्ग को सरकारों की ओर से मदद दिये जाने की जरूरत है। इस दिशा में जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की दिक्कतें आज भी जारी हैं और बहुत बड़ा वर्ग अभी भी सड़क, हाईवे, स्टेशन या राज्य की सीमा पर फंसा है। केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा तत्काल इन लोगों को मुफ्त खाना पानी व परिवहन की व्यवस्था करनी चाहिए। पीठ ने आदेश में कहा हालांकि केन्द्र और राज्य सरकारों ने इस दिशा में उपाय किये हैं लेकिन वे नाकाफी हैं। इस स्थिति को खत्म करने के लिए संगठित प्रभावी प्रयास करने की जरूरत है।

केन्द्र और राज्यों को नोटिस जारी कर गुरुवार तक मांगा जवाब

कोर्ट ने केन्द्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर इस मामले में तत्काल ध्यान देने को कहा है। मामले को गुरुवार को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश देते हुए कोर्ट ने सालिसिटर जनरल से मामले की सुनवाई में मदद करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई पर केन्द्र सरकार कोर्ट को बताए कि प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने रजिस्ट्री को आदेश दिया है कि वह इस आदेश को सालिसिटर जनरल और सरकारों को भेजे ताकि सरकार उचित जवाब दे सकें।


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