राजस्थान में भगवान की संपत्तियों पर अवैध कब्जे, 9.60 करोड़ रुपये किराया बाकी
मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने बताया कि इन संपत्तियों के लिए नई किराया नीति भी शीघ्र लागू की जाएगी।
जयपुर, मनीष गोधा। अवैध कब्जों और अतिक्रमण के मामले में लोग भगवान को भी नहीं छोड़ते। राजस्थान में देवस्थान विभाग के अधीन आने वाली संपत्तियों पर भी कई जगह अवैध कब्जे हैं। यही नहीं 9.64 करोड़ रुपए का किराया भी बकाया चल रहा है। राज्य के देवस्थान विभाग के अधीन 59 हजार 260 मंदिर हैं। राजस्थान के बाहर भी 153 मंदिर हैं। इन मंदिरों की 2,281 किराए योग्य सम्पत्तियां हैं। किराए योग्य संपत्तियों में से 2090 राजस्थान में और 191 अन्य राज्यों में।
राज्य विधानसभा में भाजपा के विधायक अशोक लाहोटी ने देवस्थान विभाग की संपत्तियों पर हुए कब्जों और किराए के बारे में ब्यौरा मांगा था। इसका जवाब देते हुए देवस्थान विभाग के मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने बताया कि करीब 160 संपत्तियों पर अवैध कब्जा है। इनमें से 41 संपत्तियां तो अकेले जयपुर में है। जो संपत्तियां किराए पर हंै उनसे वित्तीय वर्ष 2018-19 में 3 करोड़ 95 लाख 76 हजार 216 रपये एवं वर्ष 2019-20 में 31 जनवरी, 2020 तक 3 करोड़ 95 लाख 98 हजार 980 रपये की आय हुई।
वहीं वित्तीय वर्ष 2018-19 में 8 करोड़ 54 लाख 25 हजार 221 रपये व चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में 31 जनवरी, 2020 तक 9 करोड़ 64 लाख 02 हजार 319 रपये किरायेदारों पर बकाया है।
खाली कराने और किराया वसूली के प्रयास जारी : मंत्री विभाग के मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने बताया कि संपत्तियां खाली कराने और किराए वसूली के प्रयास चल रहे हैं। बकाया वसूली के लिए सक्षम न्यायालय में केस दायर किए गए हंै और बेदखली की कार्रवाई भी की जा रही है। जयपुर में बड़ी चौपड़ स्थित श्री लक्ष्मीनारायण जी बाई जी मंदिर का कब्जा 2020 में लिया गया है। इसी प्रकार श्री रामचन्द्र जी मंदिर, श्री गोपाल जी मंदिर, श्री गोवर्धन नाथ जी मंदिर, बड़ी चौपड़ का कब्जा भी लिया गया है। अलवर के तीन, खेतड़ी तथा कोटा के एक-एक, अजमेर के चार, ऋषभदेव जी मंदिर की 10 तथा उदयपुर की एक संपत्ति का कब्जा भी राज्य सरकार द्वारा प्राप्त कर लिया गया है।
नई किराया नीति जल्द बनेगी: मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने बताया कि इन संपत्तियों के लिए नई किराया नीति भी शीघ्र लागू की जाएगी। वर्ष 2000 की किराया नीति के अनुसार प्रति तीन वर्ष के बाद किराए में 15 प्रतिशत की वृद्घि का प्रावधान किया गया था। इस नीति पर उच्च न्यायालय द्वारा स्टे लगाए जाने के कारण राज्य सरकार द्वारा शीघ्र ही नई किराया नीति जारी की जाएगी। इसका कैबिनेट प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है।