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मुंबई में मानसून से और बढ़ सकता है कोरोना का कहर, आईआईटी मुंबई की रिपोर्ट

आईआईटी मुंबई की एक रिपोर्ट में मानसून के साथ ही कोरोना का संक्रमण और तेजी से बढ़ने की आशंका जताई गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मुंबई कोलकाता गोवा जैसे शहर डेंजर जोन में हैं।

By Vineet SharanEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 09:44 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2020 03:28 PM (IST)
मुंबई में मानसून से और बढ़ सकता है कोरोना का कहर, आईआईटी मुंबई की रिपोर्ट
मुंबई में मानसून से और बढ़ सकता है कोरोना का कहर, आईआईटी मुंबई की रिपोर्ट

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। आईआईटी मुंबई की एक रिपोर्ट में मानसून के साथ ही कोरोना का संक्रमण और तेजी से बढ़ने की आशंका जताई गई है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ह्यूमिडिटी यानी नमी बढ़ने पर वातावरण में कोरोना वायरस अधिक समय तक जिंदा रह सकता है। इस स्टडी को आईआईटी मुंबई के दो प्रोफेसरों रजनीश भारद्वाज और अमित अग्रवाल ने तैयार किया है। इनका मानना है कि अधिक तापमान और कम नमी की वजह से खांसी या छींक के ड्रॉपलेट्स सूखने में कम समय लगता है, लेकिन मानसून के दौरान नमी रहेगी और लोगों की खांसी सूखने में ज्यादा वक्त लगेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि मुंबई, कोलकाता, गोवा जैसे शहर डेंजर जोन में हैं।

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इस तरह की स्टडी

आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर रजनीश भारद्वाज और अमित अग्रवाल ने कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर एक स्टडी की है। इस स्टडी को मार्च माह में शुरू किया गया था। इसके लिए उन्होंने कंप्यूटर मॉडल का इस्तेमाल किया। इसके लिए उन्होंने तापमान, ह्यमिडिटी और सरफेस को आधार बनाया। दोनों प्रोफेसर ने कोरोना वायरस मरीज की छींक से निकलने वाले ड्रॉपलेट को सुखाया। इसके बाद इसकी सूखने की गति और दुनिया के 6 शहरों में हर दिन होने वाले संक्रमण से इसकी तुलना की।

रजनीश भारद्वाज ने बताया कि इस स्टडी में हमने देखा कि खांसने या छींकने पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण पहुंच सकता है। हमने कंप्यूटर मॉडल से दुनिया भर के अलग-अलग शहरों के तापमान का भी अध्ययन किया। उन्होंने बताया कि स्टडी में पाया गया कि सूखे वातावरण के मुकाबले ह्यूमिडिटी वाले इलाके में वायरस के रहने की क्षमता 5 गुना तक ज्यादा थी। ऐसे में मुंबई में जल्द ही मानसून आने वाला है और वहां ह्यूमिडिटी का स्तर 80 प्रतिशत से ज्यादा हो जाता है। ऐसे में कोरोना के संक्रमण के मामले मानसून के दौरान और तेजी से बढ़ सकते हैं।

सिंगापुर औऱ न्यूयॉर्क का उदाहरण

रजनीश ने कहा कि सिंगापुर में मानसून जल्दी आता है। ऐसे में वहां बाद में कोरोना के कुछ मामले देखने में आए हैं। प्रोफेसर रजनीश भारद्वाज ने बताया कि सिंगापुर में ह्यूमिडिटी ज्यादा थी तो तापमान भी अधिक था, इसलिए यहां अधिक नहीं फैला। कोरोना ड्रॉपलेट को सूखने में सबसे ज्यादा समय न्यूयॉर्क में लगा। यही कारण है कि न्यूयॉर्क दुनिया में कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में से एक है। अमेरिकन इंस्‍टीट्यूट ऑफ फिजिक्स के पीर-रिव्‍यूड जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सिडनी, मियामी और लॉस एंजेल्‍स में भी ड्रॉपलेट्स जल्‍दी सूख रही थीं।

गर्म मौसम में सूखकर मर जाते हैं वायरस

रजनीश भारद्वाज ने बताया कि चूंकि खांसने और छींकने से इसका संक्रमण फैलने का ख़तरा होता है, इसलिए गर्म मौसम में ऐसा करते वक़्त ये वायरस तुरंत सूखकर मर सकते हैं। शोध में शामिल दूसरे प्रोफेसर अमित अग्रवाल ने बताया कि गर्म मौसम में ड्रॉपलेट तुरंत वाष्प बनकर सूख जाता है, इसलिए रिस्क रेट में कमी आ जाती है। हालांकि, भारतीय अनुविज्ञान परिषद और एम्स दोनों ने अभी तक इस तरह की किसी भी स्टडी के पक्ष में हामी नहीं भरी है। 


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