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Positive India : कोविड के मरीजों के लिए वैज्ञानिकों ने बनाई यह लक्ष्मण रेखा

आईआईटी-मंडी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ आदित्य निगम ने कहा कि हमने लक्ष्मण रेखा मोबाइल एप्लीकेशन का पायलट वर्जन बनाया है। इसका हमने फिलहाल छोटे डाटासेट पर परीक्षण किया है। अब हम इसके फंक्शन स्केलिबिलिटी और उपयोगिता बढ़ाने पर काम कर रहे हैं।

By Vineet SharanEdited By: Published: Fri, 05 Feb 2021 08:58 AM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2021 08:59 AM (IST)
Positive India : कोविड के मरीजों के लिए वैज्ञानिकों ने बनाई यह लक्ष्मण रेखा
यह एप्लीकेशन बायोमैट्रिक, जियोफेंसिंग और आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस का साझा इस्तेमाल करता है। इसका इस्तेमाल अन्य कामों में भी संभव है।

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मंडी के शोधकर्ताओं ने लक्ष्मण रेखा का विकास किया है। यह लक्ष्मण रेखा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से संचालित होगी। मूल तौर पर यह सुविधा होम क्वारंटाइन मैनेजमेंट के लिए है। यह कोविड मरीजों की निगरानी करने और सटीक पहचान करने में सक्षम है।

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यह एप्लीकेशन बायोमैट्रिक वेरीफिकेशन, जियोफेंसिंग और आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस का साझा इस्तेमाल करता है। कोविड के अलावा इस एप्लीकेशन का इस्तेमाल कुछ अन्य कामों में भी किया जा सकेगा। उदाहरण के तौर पर इसे कर्फ्यू या राष्ट्रीय आपदा के दौरान भी प्रयोग किया जा सकेगा। यह इन स्थितियों में कानून तोड़ने वालों या उल्लंघन करने वालों की पहचान करेगा।

आईआईटी-मंडी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ आदित्य निगम ने कहा कि हमने लक्ष्मण रेखा मोबाइल एप्लीकेशन का पायलट वर्जन बनाया है। इसका हमने फिलहाल छोटे डाटासेट पर परीक्षण किया है। इसके परिणाम काफी अच्छे मिले हैं। अब हम इसके फंक्शन, स्केलिबिलिटी और उपयोगिता बढ़ाने पर काम कर रहे हैं, ताकि इसे व्यवहार में लाया जा सके।

मौजूदा निगरानी करने वाले अप्लीकेशन से ऐसे है अलग

वर्तमान में उपलब्ध क्वारंटाइन मैनेजमेंट मोबाइल अप्लीकेशन के तहत सेल्फ आइसोलेशन में लोगों को जियोफेंसिंग के जरिए नियमित रूप से अपनी तात्कालिक स्थिति को शेयर करना होता है। इतना ही नहीं, उन्हें हर घंटे या दिन में कई बार अपने चेहरे की सेल्फी को अपलोड करना पड़ता है। लेकिन ये जियोफेंसिंग एप्लीकेशन हर समय उपयोगकर्ता की पहचान सुनिश्चित नहीं कर पाते हैं, क्योंकि लोग सेलफोन आइसोलेशन जोन में छोड़कर अंदर या बाहर जा सकते हैं, जो सेल्फ-आइसोलेशन के नियमों का उल्लंघन है। इसी तरह हर घंटे उस व्यक्ति के चेहरे की सेल्फी अपलोड कर देने से यह सुनिश्चित नहीं होता है कि वह जियोफेंस एरिया में है, क्योंकि वे अपने रजिस्टर्ड चेहरे की तस्वीर का उपयोग कर सिस्टम की आंखों में धूल झोंक सकते हैं।

लक्ष्मण रेखा के फायदे

-लक्ष्मण रेखा किसी व्यक्ति के क्वारंटाइन के स्थान से उसके बायोमेट्रिक डाटा अपलोड करने के स्थान को मिलान करती है।

-यह एप्लीकेशन लगातार एक ऑथंटिकेशन स्कोर की गणना करता है।

-सुनिश्चता के साथ यह माप होगी कि क्वारंटाइन उपयोगकर्ता ही मोबाइल कर रहा है।

-एप्लीकेशन उपयोगकर्ता की पहचान बदलने का संकेत देता है तो सीधे अधिकारियों को यह सूचना पहुंच जाती है, ताकि वह उचित कदम उठाए। 


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