Positive India: IIT मंडी और IIT गोवा ने बनाई कोरोना संक्रमण को रोकने वाली अनोखी डिवाइस
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने अल्ट्रावायलेट-सी (यूवी-सी) प्रकाश आधारित पोर्टेबल डिसइन्फेक्शन बॉक्स विकसित किया है। यह चीजों को संक्रमणमुक्त करता है।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने अल्ट्रावायलेट-सी (यूवी-सी) प्रकाश आधारित पोर्टेबल डिसइन्फेक्शन बॉक्स विकसित किया है। यह बॉक्स वॉलेट (पर्स), चाबी, चश्मे, बैग, कुरियर के पैकेज और पार्सल, प्लास्टिक और कार्डबोर्ड जैसी चीजों को संक्रमणमुक्त कर कोविड-19 फैलने का खतरा कम करेगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 से लड़ने के लिए सबसे जरूरी इसके संक्रमण का खतरा कम करना है, क्योंकि यह वायरस ऐसी चीजों की सतहों पर 3 दिनों तक रह सकता है। इससे स्वस्थ लोगों में संक्रमण का खतरा कम होगा। उपयोगी चीजों की सतहों को कीटाणुरहित करने के लिए यह बेहतर डिवाइस साबित हो सकती है।
शोधकर्ताओं की टीम में स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ हिमांशु पाठक, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सनी जफर, स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ हितेश श्रीमाली, स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रोसेनजीत मंडल, स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमित प्रसाद शामिल हैं।
ऐसा बना है बॉक्स
बॉक्स की संरचना यूवी-सी ओपेक कवर फ्रेम से की गई है। इसमें लकड़ी के बोर्ड (फर्नीचर ग्रेड) से बना क्यूबॉइड कंटेनर है, जिसमें दो-परत की अल्यूमीनियम फ्वॉयल कोटिंग है, जो यूवी-सी लाइट को बाहर जाने से रोक देगा। इसमें निर्धारित रेटिंग के दस यूवी-सी लैंप का उपयोग कर किसी वस्तु की सतहों पर यूवी-सी प्रकाश डाला जाता है। लैम्प में स्वचालित टाइमर कंट्रोल भी है, ताकि वस्तु के हिसाब से नियंत्रित मात्रा में यूवी-सी प्रकाश पड़े। आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हिमांशु पाठक और डॉ. सनी जफर ने नोवल कोरोना-19 वायरस का संक्रमण रोकने में यूवी-सी लाइट की क्षमता को पहचाना। उन्होंने कहा कि हमने जिस प्रोटोटाइप का विकास किया है, वह निर्जीव वस्तुओं जैसे कुरियर पैकेट, यात्रा बैग, मुद्रा, पर्स, कलाई घड़ी, मोबाइल फोन, लैपटॉप, किताबें, स्टेशनरी आदि को संक्रमण मुक्त करने में सक्षम है।
डॉ. सनी जफर ने बताया कि हम यूवी-सी डिवाइस के लिए ओजोन फ्री यूवी-सी लैम्प का उपयोग कर रहे हैं। इसलिए हमारे उपकरण के उपयोग में इंसान पर ‘एक्सपोजर’का खतरा नहीं के बराबर है।
पैर चलित हैंड सैनीटाइजर डिस्पेंसर
आईआईटी मंडी के टेक्निकल असिस्टेंट (सिविल) नविश शर्मा ने तिलक राज और हंस राज की अपनी टीम के साथ मिलकर कम लागत पर पैर चलित हैंड सैनिटाइजर डिस्पेंसर विकसित किया है। इसमें सैनिटाइजर की बोतल की संक्रमित हो सकने वाली सतह को हाथ नहीं लगाना होगा।
कोरोना की दवाई बनाने पर काम कर रही आईआईटी गोवा की टीम
आईआईटी गोवा की टीम कोरोना के लिए संभावित दवा बनाने के काम में जुटी है। आईआईटी गोवा की टीम यह काम जॉर्जिया यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कर रही है। आईआईटी गोवा के शोधकर्ताओं का कहना है कि इस प्रक्रिया में पहले प्री-क्लीनिकल स्टडीज की जाएगी। उसके बाद क्लीनिकल स्टडीज और फिर अन्य चरणों पर काम किया जाएगा। इन सभी के लिए एक निर्धारित समय है, जिसमें यह शोध होगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि नए स्मॉल ऑर्गेनिक मॉलिक्यूल का डिजाइन आईआईटी गोव़ा में किया गया है। यह डिजाइन इंटरनेशल रिसर्च कम्युनिटी द्वारा क्यूरेट और उपलब्ध बायोलॉजिकल डाटाबेस के आधार पर किया गया है।
आईआईटी गोवा के स्कूल ऑफ केमिकल एंड बायोलॉजिकल साइंस के प्रोफेसर ऋषिकेश नारायण का कहना है कि हमने लॉकडाउन के शुरुआती चरणों में ही ड्रग डिस्कवरी का काम शुरू कर दिया था। प्रोफेसर नारायण ने बताया कि जॉर्जिया यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर रितु अनेजा और मुकेश कुमार इस प्रोजेक्ट से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि ड्रग के निर्माण में कुछ साल लगेंगे। प्रोफेसर नारायण ने कहा कि हम मल्टीपल ड्रग के विकल्पों पर काम कर रहे हैं। इस आपदा से निपटने के लिए यह नितांत आवश्यक है।
आंकड़े (ऐसे हुए 1.5 लाख से तीन लाख)
-27 मई से 12 जून के दौरान 42890 मामले महाराष्ट्र से आए हैं, जो कि सभी राज्यों में सबसे अधिक है
-इस दौरान सबसे अधिक कोरोना मामलों की ग्रोथ दिल्ली में हुई
-27 मई से 12 जून के बीच सबसे अधिक रिकवरी केस महाराष्ट्र में रहे
-शीर्ष पांच राज्यों में महाराष्ट्र में 44.64%, दिल्ली में 20.48%, तमिलनाडु में 21.47%, पश्चिम बंगाल में 5.91% और गुजरात में 7.51% मामले हैं।
स्रोत- (यह आंकड़े 27 मई से 12 जून तक के हैं और https://projectbacklinks.com/" rel="nofollow से लिए गए हैं। प्रोजेक्ट बैक लिंक्स ने यह आंकड़े आरोग्य सेतु एप और कोविड-19इंडिया.ऑर्ग से लिए हैं)
नर्सों को प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम
युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए कार्यरत गैरलाभकारी संस्था जनरेशन इंडिया फाउंडेशन ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर नर्सों को प्रशिक्षित करने के लिए एक निरूशुल्क प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित किया। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य उन नर्सों को कुशल बनाना एवं प्रशिक्षित करना है जो कोविड-19 के मरीजों के बीच काम कर रही हैं या जो इन मरीजों के बीच काम कर सकती हैं। यह पाठ्यक्रम निम्न क्षेत्रों में व्यावहारिकए प्रदर्शन.आधारित और तत्काल सहायता प्रदान करता है। इस पाठ्यक्रम को https://www.generation.org/india-covid-19" rel="nofollow पर देखा जा सकता है।