Move to Jagran APP

Positive India : IIT कानपुर ने विकसित किया अनोखा बीज, फसलों और बागवानी में मिलेगी मदद

आईआईटी कानपुर ने फसलों और बागवानी के लिए नायाब काम किया है। आईआईटी कानपुर ने एक बीज विकसित किया है जो कोरोना काल में काफी मददगार साबित हो सकता है।

By Vineet SharanEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 11:09 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 11:37 AM (IST)
Positive India : IIT कानपुर ने विकसित किया अनोखा बीज, फसलों और बागवानी में मिलेगी मदद
Positive India : IIT कानपुर ने विकसित किया अनोखा बीज, फसलों और बागवानी में मिलेगी मदद

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। आईआईटी कानपुर ने फसलों और बागवानी के लिए नायाब काम किया है। आईआईटी कानपुर ने एक बीज विकसित किया है, जो कोरोना काल में काफी मददगार साबित हो सकता है। यही नहीं, इससे गड्ढा खोदने के झंझट से भी मुक्ति मिल जाएगी। बीज को आईआईटी कानपुर के इमेजनरी लैब ने एग्निस वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड (आईआईटी कानपुर के स्टार्ट-अप) के सहयोग से बनाया है। इमेजनरी लैब को आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों- प्रोफेसर जे रामकुमार और डॉ अमनदीप सिंह ने मिलकर बनाया है।

loksabha election banner

आईआईटी कानपुर ने बीईईजी (बायोकम्पोस्ट समृद्ध इको-फ्रेंडली ग्लोबुले) नाम से स्वदेशी सीड बॉल को विकसित किया है। वैज्ञानिकों ने बताया कि मानसून के सीजन में इसे दूर से फेंका जा सकेगा। बारिश के संपर्क में आने पर यह बीज उर्वरक भी बन जाएगा। सीड बॉल में देशी किस्म के बीज, खाद और मिट्टी शामिल हैं। कोरोना के समय में इसके माध्यम से फिजिकल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए प्लांटेशन किया जा सकेगा। इससे गड्ढा खोदना और फिर उसमें पौधा लगाना आसान हो जाएगा। इसका एक बड़ा फायदा यह होगा कि प्लांटेशन के दौरान की जाने वाली तैयारियों में लगने वाला समय कम हो जाएगा। साथ ही इससे बड़ी संख्या में पेड़ लगाना भी संभव होगा। इसमें किसी पेड़ या वृक्ष के विकास के लिए जिन तत्वों की आवश्यकता होती है, वे प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं।

डॉ अमनदीप ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को बस इन सीड बॉल को बाहर फेंकने की जरूरत है और प्रकृति बाकी चीजों का ध्यान रखेगी। बारिश का मौसम इसके लिए सही समय है। इसकी कीमत काफी कम रखी गई है। इस पहल में उन बेरोजगार श्रमिकों और बागवानों को शामिल किया गया है, जो कोविड-19 लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हो गए थे। बीज को जल्द अंकुरित करने के लिए सही सामग्रियों से समृद्ध किया जाता है और यह मानसून इसके उपयोग करने का सबसे अच्छा समय है। इससे सामाजिक रूप से जीवन को खतरे में डाले बिना कई पेड़ लगाए जा सकते हैं।

कोरोना के खिलाफ वैज्ञानिकों ने स्मार्ट सुरक्षा उपकरण का किया अविष्कार

सुरक्षा उपायों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए और कोरोना वायरस के खिलाफ स्मार्ट सुरक्षा प्रदान करने के लिए एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों द्वारा स्मार्ट सुरक्षा उपकरणों का आविष्कार किया गया है। एमिटी के वैज्ञानिकों ने कोविड वायरस के संक्रमण को और अधिक फैलने से रोकने के लिए प्रयोगशाला में फिजिकल डिस्टैंसिंग बनाए रखने के लिए नए इलेक्ट्रॉनिक स्मार्ट उपकरण, सेल्फ सेंसिटाइजेशन सिस्टम के साथ स्मार्ट दस्ताने और संक्रमण को रोकने के लिए स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का अविष्कार किया गया है।

वैज्ञानिकों द्वारा बेहतरीन कार्य करने वाला, छोटे आकार का, कम लागत वाला और कम ऊर्जा उपयोग करने वाली बैटरी से संचालित इलेक्ट्रॉनिक उपकरण विकसित किया गया है। यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सिग्नल और प्रकाश संकेत अलार्म के माध्यम से दो व्यक्तियों के मध्य 6 फीट की दूरी बनाए रखने में मदद करता है। यह सामाजिक दूरी के नियमों का उल्लंघन करने पर जिन दो व्यक्तियों के पास यह इलेक्ट्रोनिक उपकरण है, उन्हें चेतावनी भी देता है। आरएफ आधारित कम ऊर्जा इलेक्ट्रॉनिक पोर्टेबल पॉकेट-फ्रेंडली उपकरण बैंड के रूप में कलाई घड़ी की तरह काम करेगा। इसकी लागत लगभग 400 से 500 रुपये है और रीर्चाजेबल बैटरी का विकल्प भी इन उपकरणों में आसानी से बनाया जा सकता है।

व्यक्तियों को बार-बार अपनी नाक एवं चेहरे को छूने की आदत होती है। इससे निजात दिलाने के लिए पहनने लायक छोटे साइज का, पोर्टेबल, कम लागत वाला एवं कम ऊर्जा युक्त बैटरी का उपयोग करने वाला इलेक्ट्रॉनिक उपकरण एमिटी के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है, जो अगर कोई व्यक्ति जब भी अपने चेहरे को छूने के लिए हाथ का उपयोग करेगा तो अलार्म बजा देता है और व्यक्ति के अंदर सकारात्मक आदतों को विकसित करने में सहायता करता है। इन सभी उपकरणों का आविष्कार एवं शोध एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एंडवास रिसर्च एंड स्टडीज (मैटेरियल एंड डिवाइस) के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रोफेसर डॉ वी के जैन के मार्गदर्शन में किया गया है, जिसमें उनकी टीम के डॉ सुमन नागपाल, डॉ देविंदर मधवाल और डॉ अभिषेक वर्मा भी शामिल हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.