2014 में तीन युवकों ने शुरू किया था स्टार्टअप, आज बनी अरबों की ऑनलाइन कंपनी
ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी ने 2014 में काम करना शुरू किया था। आज 4 सालों में यह अरबों की कंपनी बन गई है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग और डिलिवरी सेवा कंपनी स्विगी का इस्तेमाल तो आप सबने किया होगा। लेकिन इस कंपनी की सफलता के पीछे की कहानी शायद ही आपको पता होगी। एक स्टार्टअप से शुरू हुई इस कंपनी ने आज दक्षिण अफ्रीकी इंटरनेट दिग्गज नैस्पर्स और रूसी अरबपति यूरी मिल्नर की अगुआई वाली निवेश फर्म डीएसटी ग्लोबल आदि से 21 करोड़ डॉलर (14.28 अरब रुपये) जुटा लिए हैं। इसके साथ ही अब तक कंपनी की तरफ से जुटाई गई रकम 50 करोड़ डॉलर के आसपास पहुंच गई है। इसके बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे कंपनी की कीमत 89 अरब तक पहुंच जाएगी। हालांकि कंपनी ने अभी इस संबंध में आधिकारिक जानकारी नहीं दी है।
ऐसे एक स्टार्टअप बनी आज अरबों की कंपनी
इस कंपनी की शुरुआत तीन लोगों ने की थी। ये तीन नाम हैं, राहुल जैमिनी, श्रीहर्ष और नंदन रेड्डी। इनमें राहुल ने आईआईटी खड़गपुर से पढ़ाई की है, श्रीहर्ष ने आईआईटी कलकत्ता और बिट्स पिलानी और नंदन रेड्डी ने बिट्स से पढ़ाई की है। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद इन तीनों ने इस कंपनी को शुरू किया और आज उनकी इस कंपनी की कीमत अरबों में है।
इस प्रॉमिस के साथ शुरू की थी कंपनी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी ने 2014 में काम करना शुरू किया था। योर स्टोरी वेबसाइट के अनुसार स्विगी के सीईओ और को-फाउंडर श्रीहर्ष मजेटी ने एक वादे के साथ अपनी कंपनी की शुरूआत की थी कि उनकी कंपनी आने वाले समय में भारत में खाने के प्रचलन को ही बदल देगी वहीं उन्होंने ये भी बताया कि उनकी कंपनी ने 5 राइडर्स के साथ शुरूआत की थी और अब वर्तमान में कंपनी के साथ 20 हज़ार राइडर्स जुड़े हुए हैं, जो फूड डिलीवरी का काम करते हैं।'
इस तरह होती है कंपनी की कमाई
बता दें कि स्विगी के साथ बड़े-बड़े रेस्टोरेंट के अलावा छोटे फूड आउटलेट्स भी जुड़े हुए हैं। इस काम के लिए कई छोटे-बड़े वेंडर्स भी जुड़े हुए हैं। जानकारी के मुताबिक, कंपनी की कमाई का जरिया इस प्रकार है। फिलहाल स्विगी हर ऑर्डर पर 30 प्रतिशत का शेयर कमाता है। स्विगी को रेस्तरां से कमीशन मिलता है और वह उपभोक्ताओं से डिलिवरी फीस चार्ज करता है।