IIT Guwahati के शोधकर्ताओं ने घर-घर पानी से बिजली बनाने का रास्ता तलाशा
आइआइटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने ऐसा पदार्थ विकसित किया है जो बहुत थोड़े पानी से बिजली बनाने में मददगार हो सकता है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने नल से बहते और ठहरे हुए पानी से बिजली बनाने की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। शोधकर्ताओं ने ऐसा पदार्थ विकसित किया है जो बहुत थोड़े पानी से बिजली बनाने में मददगार हो सकता है। इससे भविष्य में बिजली उत्पादन की विकेंद्रित व्यवस्था बनाने में मदद मिल सकेगी। इस व्यवस्था के तहत लोग घरों में भी अपनी जरूरत की बिजली पैदा कर सकेंगे।
आइआइटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने 'इलेक्ट्रोकाइनेटिक स्ट्रीमिंग पोटेंशियल' कही जाने वाली प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हुए नल के बहते जल से पानी बनाने के प्रयोग को अंजाम दिया। इसी तरह एक अन्य प्रक्रिया के इस्तेमाल से अलग-अलग सेमीकंडक्टर मैटेरियल के जरिये स्थिर जल से बिजली बनाई गई।
काम के लायक बिजली बनाई जा सकती है
वैज्ञानिकों ने बताया कि नदियों के पानी से बिजली बनाने का काम दशकों से हो रहा है। इलेक्ट्रोकाइनेटिक स्ट्रीमिंग की मदद से बहुत छोटे पैमाने पर बहते पानी से इलेक्टि्रक वोल्टेज पैदा किया जा सकता है। इसी तरह ग्रेफीन फ्लेक्स की मदद से ठहरे हुए पानी से बिजली बनाना संभव है। इन धातुओं को पानी में मात्र डुबाकर इलेक्टि्रक वोल्टेज पैदा होता है। अगर इसी प्रक्रिया को कई गुना बढ़ा दिया जाए, तो काम के लायक बिजली बनाई जा सकती है।
दूसरी प्रक्रिया का इस्तेमाल भी किया
शोधकर्ताओं ने एक दूसरी प्रक्रिया का इस्तेमाल भी किया। इस प्रक्रिया को कॉन्ट्रास्टिंग इंटरफेशियल एक्टिविटीज कहते हैं। इसमें रुके हुए पानी से बिजली पैदा करने के लिए कई तरह के अर्धचालक पदार्थों का इस्तेमाल हुआ।
वर्तमान में ऊर्जा संकट के कारण शोध पर विचार किया गया
शोधकर्ताओं के अनुसार आइआइटी गुवहाटी के के रसायन विज्ञान विभाग में रिसर्चर कल्याण रैडोंगिया के नेतृत्व में एक शोध दल ने पाया कि जीवाश्म ईंधन भंडार की कमी और पर्यावरण से जुड़े समस्याओं के कारण वर्तमान में ऊर्जा संकट पैदा हुई है। इसकी कारण से उन्होंने प्रकाश, उष्मा, हवा, समु्द्र की लहरों आदि वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर शोध करने का विचार किया। शोधकर्ताओं की टीम में जूमी डेका, कुंदन साह, सुरेश कुमार और हेमंत कुमार श्रीवास्तव शामिल थे।