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माइक्रोबायोलॉजिकल जांच के बिना भी आसानी से मर्ज की होगी पहचान

आइआइटी गुवाहाटी के प्रोफेसर परमेश्वर के अय्यर ने कहा कि वर्तमान चिकित्सा प्रक्रियाएं समय लेने वाली होती हैं और कई बार इनके परिणामों से निराशा भी होती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 11:26 AM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 11:26 AM (IST)
माइक्रोबायोलॉजिकल जांच के बिना भी आसानी से मर्ज की होगी पहचान
माइक्रोबायोलॉजिकल जांच के बिना भी आसानी से मर्ज की होगी पहचान

गुवाहाटी, प्रेट्र। भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (आइआइटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी सस्ती और हाथों में पकड़ने योग्य डिवाइस विकसित की है, जो सेल कल्चर और माइक्रोबायोलॉजिकल जांच के बिना भी आसानी से बैक्टीरिया का पता लगा सकती है। विज्ञान पत्रिका ‘मैटेरियल्स केमिस्ट्री ए’ में प्रकाशित शोध के अनुसार, यह उपकरण बैक्टीरिया का तेजी से पता लगाने में सक्षम है। इससे न केवल स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में लाभ मिल सकता है, बल्कि बायोटेरेरिज्म यानी जीवाणुओं के आंतक से निपटने के साथ-साथ पर्यावरण की निगरानी करने में भी मदद मिल सकती है।

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बैक्टीरियल इंफेक्शन यानी जीवाणु संक्रमण दुनिया भर में अस्वस्थता और मृत्यु का एक सामान्य कारण है। कई एंटीबायोटिक दवाओं के विकास के बावजूद बैक्टीरियल इंफेक्शन का पता लगाने और उसके निदान की चुनौती आज भी बनी हुई है, क्योंकि वर्तमान में बैक्टीरिया की पहचान के लिए जो तकनीक उपलब्ध हैं वह काफी समय लेती हैं। भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (आइआइटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि ऑर्गेनिक फील्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर (ओएफईटी) आधारित बैक्टीरियल डायग्नोस्टिक डिवाइस में ऐसी क्षमता है कि वह बैक्टीरिया का पता लगाने के साथ-साथ उसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रकारों के बीच आसानी से अंतर कर सकती है। वर्तमान में शरीर के कभी भाग में बैक्टीरियल इंफेक्शन का पता करने के लिए मरीज के शरीर से कोशिकाओं के एक छोटे से टुकड़े को निकालकर प्रयोगशालाओं में उसका माइक्रोबायोलॉजिक परीक्षण किया जाता है। इस प्रक्रिया में कई बार काफी समय लगता है।

सेंसस की मदद से लगाएगा पता

आइआइटी गुवाहाटी के प्रोफेसर परमेश्वर के अय्यर ने कहा कि वर्तमान चिकित्सा प्रक्रियाएं समय लेने वाली होती हैं और कई बार इनके परिणामों से निराशा भी होती है। खासकर जब समय पर उपचार बहुत जरूरी हो। उन्होंने कहा कि नई तकनीक से पारंपरिक जांच के तरीकों की तुलना में तेजी से बैक्टीरिया का पता लगा सकती है। पारंपरिक तरीके महंगे तो होते ही हैं। साथ ही इसके लिए प्रशिक्षित कर्मियों की जरूरत भी होती है, जो कि सीमित हैं। उन्होंने कहा कि ब्लड शुगर की निगरानी और गर्भावस्था का पता लगाने के लिए आज छोटी और हाथों से पकड़े जाने वाली किट का इस्तेमाल किया जाता है। इसी से प्ररित होकर आइआइटी के शोधकर्ताओं ने एक पोर्टेबल बैक्टीरियल डिटेक्शन किट तैयार की है। यह सेंसर की मदद से कोशिकाओं में बैक्टीरिया की मौजूदगी का पता लगा सकता है।

कोशिकाओं में नहीं बदलेगा इलेक्ट्रॉन का प्रवाह

आइआइटी गुवाहाटी के प्रोफेसर सिद्धार्थ एस घोष ने कहा कि पॉजिटिव बैक्टीरिया जैसे एस निमोनिया के बैक्टीरिया की संरचना नकारात्मक बैक्टीरिया जैसे ई कोली के बैक्टीरिया की तुलना में काफी भिन्न होती है। कई बार ओएफईटी जांच के दौरान कोशिकाओं में इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह बदल सकता है। इससे समस्या और गहरा जाती है। ऐसे में नई डिवाइस बैक्टीरिया की पहचान करने में काफी मददगार सिद्ध हो सकती है।

क्या है बैक्टीरिया

बैक्टीरिया ऐसे सूक्ष्म जीव हैं, जिन्हें बिना माइक्रोस्कोप की मदद के देखा नहीं जा सकता है। वैसे तो पृथ्वी के अलावा हमारे शरीर पर लाखों बैक्टीरिया रहते हैं। इनमें से अधिकतर हमारे लिए हानिकारक नहीं होते। कुछ तो ऐसे होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बेहद जरूरी होते हैं। इसके बावजूद कुछ बैक्टीरिया घातक बीमारियों को जन्म देते हैं। बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया में विषैले तत्व होते हैं जिन्हें एंडोटॉक्सिन और एक्सोटॉक्सिन कहा जाता है। खतरनाक है बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस बैक्टीरिया से होने वाली इस बीमारी में हमारे ब्रेन और रीढ़ की हड्डी को ढंकने वाली एक परत मेनिनजिस में सूजन आ जाती है। अगर समय पर इलाज न हो तो यह घातक भी साबित हो सकती है। इससे ब्रेन डैमेज यहां तक कि मौत तक हो जाती है।

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