फरवरी में सरकारी चंगुल से मुक्त हो जाएंगे आइआइएम
मानव संसाधन विकास मंत्रालय में स्वायत्ता से जुड़े नियम जनवरी के अंत तक तैयार हो जाएंगे। आईआईएम की स्वायत्तता से जुड़े इस बिल को हाल ही में राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश भर के आइआइएम (भारतीय प्रबंध संस्थान) एक फरवरी तक सरकारी चंगुल से मुक्त हो जाएंगे। सरकार ने इन्हें स्वायत्तता देने की समय सीमा तय कर दी है। फिलहाल मौजूदा समय में इससे जुड़े नियमों को तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय में स्वायत्ता से जुड़े नियम जनवरी के अंत तक तैयार हो जाएंगे। आईआईएम की स्वायत्तता से जुड़े इस बिल को हाल ही में राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है।
आइआइएम को स्वायत्तता देने का यह कानून पहले ही संसद से पारित हो चुका है। इसके तहत आइआइएम से सरकार का हस्तक्षेप पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। इनमें पढ़ने वाले छात्रों को अब डिप्लोमा की जगह डिग्री मिला करेगी। साथ ही वह पीएचडी भी कर सकेंगे। अभी तक आइआइएम जैसे संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को डिप्लोमा दिया जाता था। जबकि इसके समकक्ष विदेशी संस्थानों की ओर से डिग्री दी जाती थी। इसके साथ ही आइआइएम के पास निदेशकों की भर्ती करने का भी अधिकार होगा। गौरतलब है कि उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए सरकार का जोर इन दिनों ऐसे सभी संस्थानों को ज्यादा से ज्यादा स्वायत्तता देने को लेकर है। सरकार का मानना है कि स्वायत्तता से ही संस्थानों को विकास होगा। देश में मौजूदा समय में कुल 20 आइआइएम है।
संस्थानों को मिलेंगे यह लाभ
-आईआईएम अब अपने चेयरमैन और डायेक्टर का चुनाव खुद ही करेंगे। इसके तहत चेयरमैन की नियुक्ति चार साल के लिए होगी, जबकि डायरेक्टर की नियुक्ति पांच साल के लिए होगी। इन पदों पर नियुक्ति अधिकतम दो कार्यकाल के लिए होगी।
-निदेशकों की नियुक्ति के लिए संस्थानों को अब मंत्रालय की अनुमति की जरुरत नहीं होगी।
-संस्थानों से विजिटर का पद खत्म हो जाएगा। अब तक संस्थानों में विजिटर का एक पद होता था। जो राष्ट्रपति होते थे।
-आईआईएम जैसे संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को अब डिप्लोमा की जगह डिग्री मिलेगी। यहां पढ़ने वाले छात्र पीएचडी भी कर सकेंगे।
-आईआईएम के खातों का आडिट का अधिकार कैग के पास होगा।