एस.के. सिंह, नई दिल्ली। देश के कृषि क्षेत्र में काम करने वाले 5057 टेक्नोलॉजी (एग्रीटेक) स्टार्टअप हैं। इनमें से उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) में रजिस्टर्ड एग्रीटेक स्टार्टअप की संख्या 2423 है। ये कृषि इनपुट से लेकर मार्केटिंग तक के बिजनेस में हैं। लेकिन निवेशक हर बिजनेस में पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं होते। यहां हम उन 10 प्रमुख एग्रीटेक बिजनेस मॉडल के बारे में बता रहे हैं, जिनमें बीते पांच वर्षों के दौरान सबसे ज्यादा निवेश हुआ है। साथ ही, इस सेगमेंट के प्रमुख निवेशकों के हवाले से यह भी बता रहे हैं कि फंड जुटाने के इच्छुक स्टार्टअप्स को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, कौन से बिजनेस अगले 10 वर्षों में ज्यादा चलेंगे और किस तरह के भारतीय स्टार्टअप ग्लोबल मार्केट में जा सकते हैं।

स्टार्टअप्स में फंडिंग पर नजर रखने वाली कंपनी ट्रैक्सन टेक्नोलॉजीज ने इस बारे में जागरण प्राइम को एक्सक्लूसिव जानकारी उपलब्ध कराई है। इसके मुताबिक, बीते पांच वर्षों के दौरान टेक्नोलॉजी इनेबल्ड सर्विसेज उपलब्ध कराने वाली 34 कंपनियों ने सबसे अधिक 45.3 करोड़ डॉलर का निवेश जुटाया है। पांच साल से ज्यादा अवधि की बात करें तो इस सेगमेंट में अभी तक 36 कंपनियां 62.4 करोड़ डॉलर का निवेश जुटा चुकी हैं। आश्चर्यजनक रूप से मीट-मछली का ऑनलाइन ऑर्डर लेने और डिलीवरी का बिजनेस निवेश जुटाने में दूसरे स्थान पर है। इस सेगमेंट में 9 कंपनियों ने 5 वर्षों में 29.8 करोड़ डॉलर की फंडिंग हासिल की है। उपभोक्ताओं को फल-सब्जी खरीदने का प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने वाली कंपनियां तीसरे स्थान पर हैं। इस सेगमेंट की 19 कंपनियों ने 5 वर्षों में 15.1 करोड़ डॉलर का निवेश जुटाया है।

निवेश हासिल करने वाले टॉप-10 बिजनेस मॉडल में विक्रेताओं और खरीदारों को जोड़ने वाले प्लेटफॉर्म चौथे स्थान पर तथा सैटेलाइट इमेज आधारित एनालिटिक्स उपलब्ध कराने वाली कंपनियां पांचवें स्थान पर हैं। किसानों को कर्ज उपलब्ध कराने वाली कंपनियां छठे स्थान पर तथा क्वालिटी कंट्रोल सॉल्यूशन देने वाली कंपनियां सातवें स्थान पर हैं। फील्ड क्रॉप मैनेजमेंट का सेगमेंट आठवें और रेशम कीट पालन सेगमेंट निवेश जुटाने में नौवें स्थान पर है। दसवें स्थान पर हाइड्रोपोनिक्स क्षेत्र भी निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। इस तकनीक से फल-सब्जी की इनडोर फार्मिंग के साथ नर्सरी भी तैयार की जा रही हैं।

निवेश हासिल करने के नजरिए से वर्ष 2021 एग्रीटेक कंपनियों के लिए सबसे अच्छा साबित हुआ था। ट्रैक्सन के मुताबिक 2021 में कुल 122 राउंड में एग्रीटेक कंपनियों ने 1.3 अरब डॉलर की फंडिंग जुटाई थी। जनवरी 2018 से इस वर्ष 20 अप्रैल तक इनमें कुल 3.34 अरब डॉलर का निवेश हुआ है। राउंड के हिसाब से देखें तो 2020 में सबसे अधिक 127 राउंड की फंडिंग हुई थी, लेकिन उस वर्ष निवेश का आकार छोटा था। इसलिए कुल 39.45 करोड़ डॉलर का ही निवेश हुआ। वर्ष 2022 में 117 राउंड में कुल निवेश मुश्किल से 93 करोड़ डॉलर तक पहुंचा।

स्टार्टअप संस्थापक निवेश के लिए किन बातों का रखें ख्याल

एग्रीटेक सेक्टर के सबसे बड़े निवेशकों में से एक, ओमनीवोर वेंचर फंड के मैनेजिंग पार्टनर मार्क कान के अनुसार वेंचर फंडिंग के लिए स्टार्टअप के पास एक बेहतरीन टीम, मजबूत प्रोडक्ट, दूसरों से बेहतर टेक्नोलॉजी तथा एक बड़ा बाजार होना चाहिए।

वेंचर फर्म अंकुर कैपिटल की मैनेजिंग पार्टनर रीमा सुब्रमण्यम चार प्रमुख बातें बताती हैं। पहली, वैल्यू प्रपोजिशन और समस्या दोनों आपको स्पष्ट हो और यह आपको प्रतिद्वंद्वियों से अलग करती हो। दूसरी, आपके पास एक प्रतिभाशाली और अनुभवी टीम हो जो समस्याओं को अच्छी तरह समझ सके और बिजनेस प्लान को अमल में ला सके। तीसरी, आपके प्रोडक्ट का बड़ा बाजार हो या उस बाजार में ग्रोथ रेट अधिक हो। चौथी, ग्राहकों की संख्या अथवा रेवेन्यू ग्रोथ जैसे बाजार से संबंधित आंकड़े होने चाहिए, जिससे आपके बिजनेस की क्षमता साबित होती हो।

ट्राईफैक्टा कैपिटल के डायरेक्टर सौरभ सिंह के अनुसार, एक निवेशक के तौर पर किसी स्टार्टअप की फंडिंग से पहले हम जिन पहलुओं को देखते हैं, उनमें सबसे पहले है टीम। स्टार्टअप संस्थापकों को सेगमेंट का पर्याप्त अनुभव होना चाहिए। एक-दूसरे को जानने-समझने वाले दो-तीन संस्थापक हों तो बेहतर। सीड स्टेज में बाकी टीम ज्यादा मायने नहीं रखती, लेकिन सीरीज ए तथा बाद की सीरीज में फंड जुटाने के लिए संस्थापकों के अलावा ऑपरेशंस, फाइनेंस और टेक्नोलॉजी जैसे महत्वपूर्ण वर्टिकल में अनुभवी टीम होनी चाहिए।

स्टार्टअप जिस समस्या का समाधान करना चाहता है, ग्राहकों के लिए वह महत्वपूर्ण होनी चाहिए। उस समस्या से ग्रस्त लोगों की संख्या भी अधिक हो ताकि स्टार्टअप का सॉल्यूशन अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके। ग्राहक पैसे देते हैं, इसलिए मामूली बदलाव वाला सॉल्यूशन वे पसंद नहीं करेंगे।

स्टार्टअप का मार्केट बड़ा होना चाहिए। आदर्श स्थिति यह है कि बाजार एक अरब डॉलर या उससे बड़ा हो। सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा कम होनी चाहिए। अगर उस सेगमेंट में पहले से मोटी जेब वाले स्टार्टअप या बड़ी कंपनियां हैं और उसी तरह के समाधान उपलब्ध करा रही हैं, तो फंडिंग की संभावना कम हो जाती है।

किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस को लॉन्च करने का एक सही समय होता है। उदाहरण के लिए अगर किसी प्रोडक्ट में 5जी कनेक्शन की आवश्यकता है और उस बाजार में 5G का पेनिट्रेशन बहुत कम है अथवा पर्याप्त 5G हैंडसेट नहीं हैं तो उस बाजार में वह सॉल्यूशन कारगर साबित नहीं होगा। इनके अलावा कोई भी प्रोडक्ट अथवा सर्विस यूनिट स्तर पर फायदेमंद होनी चाहिए।

ट्रैक्सन टेक्नोलॉजीज की सह-संस्थापक नेहा सिंह कहती हैं, भारतीय कृषि बाजार का आकार बहुत बड़ा है। इसमें अनेक संभावनाएं भी हैं, लेकिन साथ में कई चुनौतियां भी हैं। जैसे क्रॉप फार्मिंग में क्षेत्रीय और मौसमी विविधता, फाइनेंसर, बिचौलिए, रिटेलर, होलसेलर आदि के रूप में प्लेयर्स की लंबी चेन। फंड की तलाश कर रहे स्टार्टअप्स को इन बाधाओं को दूर करने का एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करना चाहिए। सिर्फ टेक्नोलॉजी में इनोवेशन के जरिए बाजार में मौजूदगी दर्ज कराने पर फोकस करने के बजाय हाल में आई सप्लाई चेन की दिक्कतों का भी समाधान निकालना चाहिए।

अन्य सेक्टर की तुलना में एग्रीटेक सेक्टर में बिजनेस खड़ा करने में ज्यादा समय लगता है। इसलिए निवेशकों को भी अपने निवेश पर रिटर्न लेने के लिए इंतजार करना पड़ता है। स्टार्टअप अगर इस अवधि को कम करने का रोडमैप बनाएं तो निवेशकों को आकर्षित करने में उन्हें मदद मिल सकती है।

अगले 10 वर्षों में कौन से बिजनेस की रहेगी मांग

ओमनीवोर के मार्क कान के मुताबिक ऐसे समय जब भारत टेक्नोलॉजी संचालित ऑनलाइन और ऑफलाइन रिटेल वाले भविष्य की तरफ बढ़ रहा है। इसलिए विभिन्न कैटेगरी में ज्यादा स्पेशलाइज्ड डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) स्टार्टअप की संभावनाएं बनेंगी। भारतीय कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव भी अगले एक दशक में इस क्षेत्र को आकार देगा। जलवायु परिवर्तन से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका एग्री फूड लाइफसाइंस में निवेश है। भारत इस क्षेत्र में पीछे है, लेकिन सरकार की मदद और निवेशकों की रुचि को देखते हुए कहा जा सकता है कि देश इस दिशा में काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है।

ट्रैक्सन की नेहा कहती हैं, महामारी के बाद ग्राहकों के व्यवहार में कई बदलाव देखने को मिले हैं। उदाहरण के लिए महंगे कृषि उत्पादों की मांग काफी बढ़ गई है। फल-सब्जी जैसी ताजी उपज की डिलीवरी करने वाली कंपनियों का बिजनेस बढ़ा है। इसके अलावा पूंजी, डाटा और बाजार की उपलब्धता जैसे किसानों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करने वाले बिजनेस में भी बढ़ोतरी आई है। कृषि क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्मार्टफोन का प्रयोग बढ़ने और इंटरनेट के विस्तार से इस सेक्टर में टेक्नोलॉजी को अपनाने की गति और उसकी मांग में इजाफा होगा। इसलिए आने वाले वर्षों में इस तरह के बिजनेस में ग्रोथ अच्छी रहेगी।

अंकुर कैपिटल की रीमा सुब्रमण्यम चार विशेष क्षेत्रों के बारे में बताती हैं। वे कहती हैं, “एग्री बायोटेक ऐसा ही एक प्रमुख क्षेत्र है। प्लांट जीनोम तथा जलवायु परिवर्तन को बेअसर करने वाले इनपुट में सुधार लाकर कृषि में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं। इस टेक्नोलॉजी के प्रयोग से बीमारियों-कीटों के हमलों तथा विपरीत जलवायु परिस्थितियों में प्रतिरोधी क्षमता वाली फसलें तैयार की जा सकती हैं। चावल, गेहूं और सरसों जैसी फसलों की वैरायटी में सुधार के लिए यहां पहले से काफी अनुसंधान एवं विकास कार्य किए जा रहे हैं।”

विशेष प्रोडक्ट वाले मार्केटप्लेस के साथ किसानों को खरीदारों से जोड़ने, उन्हें बड़े बाजार तक पहुंच और बेहतर मूल्य दिलाने जैसे प्लेटफॉर्म की भी डिमांड रहेगी। इस तरह के प्लेटफॉर्म बिचौलियों की भूमिका कम करते हैं जिससे किसानों का मुनाफा बढ़ता है। बिगहाट, कैप्टनफ्रेश जैसे स्टार्टअप इस तरह एंड-टू-एंड सर्विस देने वाले मार्केटप्लेस खड़ा कर रहे हैं।

हाइड्रोपोनिक्स में पानी का इस्तेमाल घटाकर और उत्पादकता बढ़ाकर कृषि क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन लाने की गुंजाइश है। इस विधि से महंगी बिकने वाली फसलों की नियंत्रित वातावरण में पूरे साल खेती की जा सकती है। इसकी सप्लाई चेन में में भी काफी संभावनाएं हैं। एग्रीफिनटेक क्षेत्र किसानों को कर्ज, बीमा तथा अन्य वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराकर कृषि क्षेत्र में बदलाव ला सकता है। विभिन्न प्लेटफॉर्म जोखिम के आकलन तथा उन्हें मैनेज करने के लिए डाटा एनालिटिक्स का प्रयोग करते हैं। ये प्लेटफॉर्म टेक्नोलॉजी की मदद से किसानों को उनकी मुख्य आजीविका के लिए बेहतर वित्तीय स्रोत उपलब्ध करा सकते हैं।

ट्राईफैक्टा के सौरभ सिंह बताते हैं, “किसानों को फसलों के बारे में सलाह, उच्च क्वालिटी तथा सस्ते इनपुट के साथ उपज की बेहतर कीमत दिलाने, सस्ता कर्ज और अनिश्चितताओं से निपटने में मदद की जरूरत पड़ती है। ये समस्याएं फसल, डेयरी और एक्वाकल्चर सभी सेक्टर में देखने को मिलती हैं। जो स्टार्टअप इन समस्याओं का समाधान करेंगे उनके आने वाले दशक में सफल होने की उम्मीद अधिक होगी।”

मार्केट लिंकेज उपलब्ध कराने वाले देहात, एक्वाकनेक्ट और वेकूल जैसे स्टार्टअप के भी तेजी से आगे बढ़ने की संभावना है। फसल तैयार होने के बाद उसका भंडारण करके और जब उसकी सप्लाई कम हो तो उस समय बिक्री करके किसान बेहतर कीमत पा सकते हैं। इस तरह किसानों को उनकी उपज पर आधारित फाइनेंसिंग सस्ती दरों पर उपलब्ध कराई जा सकती है। ग्रामीण आबादी में मौसम, बीमारी, स्वास्थ्य तथा अन्य क्षेत्रों के लिए बीमा पेनिट्रेशन बहुत कम है। स्टार्टअप इस तरह के समाधान उपलब्ध कराने पर भी विचार कर सकते हैं।

आने वाले समय में बिजनेस-टू-बिजनेस-टू-कंज्यूमर (B2B2C) मॉडल के सफल होने की संभावना है। इस मॉडल में ग्रामीण क्षेत्रों के दुकानदार और डीलर भी होते हैं, जिनके पास स्थानीय इलाके की जानकारी होती है। वे स्टार्टअप को उनका सॉल्यूशन लोगों को उपलब्ध कराने में मदद कर सकते हैं। ये लोग स्टार्टअप के प्रति स्थानीय समुदाय में भरोसा बनाने में भी मदद करते हैं। बिजनेस-टू-कंज्यूमर (B2C) मॉडल की तुलना में इस मॉडल में ग्राहक बनाने की लागत काफी कम होती है। किसी फाइनेंस प्रोडक्ट के लिए ये लोग संग्रह केंद्र भी बन सकते हैं।

ग्लोबल मार्केट में संभावनाएं

मार्क कान के अनुसार, डीपटेक सॉल्यूशन उपलब्ध कराने वाले भारतीय एग्रीटेक स्टार्टअप के सामने ग्लोबल मार्केट में जाने का बड़ा मौका है। अभी हम क्लाइमेट स्मार्ट हार्डवेयर, ऑन फील्ड सेंसर तथा एग्री ऑटोमेशन के क्षेत्र में यह ग्लोबलाइजेशन देख रहे हैं। एक्वाकल्चर आईओटी उपकरण बनाने वाली इरुवका (Eruvaka), जिससे हाल ही ओमनीवोर ने एग्जिट किया है, इस ट्रेंड का बेहतरीन उदाहरण है। यह मुख्य रूप से लैटिन अमेरिका के श्रिंप किसानों को अपने प्रोडक्ट बेचती है।

नेहा कहती हैं, किसानों को टेक्नोलॉजी इनेबल्ड सर्विसेज उपलब्ध कराने वाले बिजनेस बीते कुछ वर्षों में तेजी से बढ़े हैं। इनमें सैटेलाइट फीड अथवा इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) आधारित सॉल्यूशन के माध्यम से मौसम का पूर्वानुमान और फसल से संबंधित नियमित जानकारी देने की टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराने वाले बिजनेस भी शामिल हैं। इसके अलावा, फाइनेंशियल सर्विसेज और बाजार तक किसानों को आसान पहुंच उपलब्ध कराने वाले बिजनेस भी बढ़े हैं। उपभोक्ताओं को कृषि उपज उपलब्ध कराने वाली कंपनियों की डिमांड भी बढ़ रही है। इन चुनिंदा बिजनेस में घरेलू और वैश्विक, दोनों स्तर पर आने वाले समय में अच्छी ग्रोथ देखने को मिल सकती है।

अंकुर कैपिटल की रीमा इसके लिए तीन प्रमुख क्षेत्र बताती हैं। पहला है प्रिसीजन एग्रीकल्चर। ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट आफ थिंग्स जेसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ने के साथ प्रिसीजन खेती लोकप्रिय होती जा रही है। भारतीय एग्रीटेक कंपनियां अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल ग्लोबल मार्केट में प्रिसीजन खेती के लिए नए सॉल्यूशन बनाने में कर सकती हैं।

सप्लाई चेन मैनेजमेंट में भी संभावनाएं हैं। कृषि क्षेत्र में सप्लाई चेन का काफी महत्व होता है। भारतीय एग्रीटेक कंपनियां ग्लोबल मार्केट में सप्लाई चेन का बेहतरीन इस्तेमाल करने और बर्बादी कम करने के समाधान ला सकती हैं। इसी तरह मशीनरी भी एक सेगमेंट है। भारतीय एग्रीटेक कंपनियां उत्पादकता बढ़ाने और श्रम लागत कम करने के लिए इनोवेटिव मशीनरी विकसित कर सकती हैं। ये निराई-छंटाई करने, पौधे रोपने, हार्वेस्टिंग और प्रोसेसिंग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा मशीन लर्निंग क्षमता वाले नए जमाने के उपकरण हो सकते हैं।