सब्सिडी समय पर मिलती तो 35,701 करोड़ बचा सकता था एफसीआई
रिपोर्ट के मुताबिक औसतन सरकार ने पिछले 5 साल में केवल 67 प्रतिशत सब्सिडी दावा जारी किया।
नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई को यदि सब्सिडी की रकम समय पर दी जाती तो वह 2011-16 के दौरान 35,701.81 करोड़ रुपए ब्याज की बचत कर सकता था। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने ऐसा कहा है। सीएजी ने सुझाव दिया है कि निगम को सब्सिडी का पूरा आबंटन किया जाना चाहिए।
ऑडिटर ने यह भी सुझाव दिया कि एफसीआई को नकद कर्ज सीमा खत्म होने से पहले अल्पकालीन कर्ज के इस्तेमाल की अनुमति देने के लिए खाद्य मंत्रालय के जरिए समूह से संपर्क करना चाहिए। सीएजी ने संसद में पेश अपनी ताजा रिपोर्ट में सुझााव दिया है कि एफसीआई को बॉन्ड जारी करने के लिए फिर से मंजूरी लेनी चाहिए, ताकि उसके पास सस्ते कर्ज की पहुंच हो सके।
रिपोर्ट के मुताबिक औसतन सरकार ने पिछले 5 साल में केवल 67 प्रतिशत सब्सिडी दावा जारी किया। इसके कारण एफसीआई को अन्य महंगे स्रोत से कर्ज लेना पड़ा, जिससे 2011-16 के दौरान ब्याज का बोझ बढ़कर 35,701.81 करोड़ रुपए हो गया।
एफसीआई ने 2011-16 के दौरान 4,45,809.59 करोड़ रुपए की सबसिडी का दावा किया। इसमें से उसे मंत्रालय की तरफ से 3,00,675.88 करोड़ रुपए मिले। हालांकि इस दौरान निगम के लिए अनाज खरीद, वितरण और अन्य प्रशासनिक लागत 6,33,788 करोड़ रुपए की रही।
सीएजी के प्रधान निदेशक एवं ऑडिटर आशुतोष शर्मा ने कहा, 'यदि सरकार उसी वित्त वर्ष सब्सिडी की पूरी राशि का भुगतान कर देती तो बाजार से धन लेने की जरूरत नहीं होती और अतिरिक्त ब्याज की बचत की जा सकती थी।
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