'न्यायालय के आदेशों की अवहेलना जारी रही तो न्याय से भरोसा उठ जाएगा'
जस्टिस संजय द्विवेदी की पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि न्यायालय के आदेशों की इस तरह अवहेलना की जाएगी तो जनता का न्याय पर से भरोसा ही उठ जाएगा। कोर्ट ने उक्त अधिकारियों की सजा पर सुनवाई 23 अक्टूबर तक स्थगित कर दी।
जबलपुर, जेएनएन। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने तकनीकी शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव केरलिन देशमुख, आयुक्त पी. नरहरि व प्राचार्य शासकीय पॉलिटेक्निक, जबलपुर आरसी पांडे को प्रथम दृष्ट्या अवमानना का दोषषी पाया। जस्टिस संजय द्विवेदी की पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि न्यायालय के आदेशों की इस तरह अवहेलना की जाएगी तो जनता का न्याय पर से भरोसा ही उठ जाएगा।
कोर्ट ने उक्त अधिकारियों की सजा पर सुनवाई 23 अक्टूबर तक स्थगित कर दी। साथ ही चेतावनी दी कि आदेश का पालन न किए जाने पर पुलिस महानिदेशक को इन सभी अधिकारियों को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश किए जाने के निर्देश दिए जाएंगे। यह निर्देश जबलपुर निवासी प्रवीण चंद्र चौबे की याचिका पर दिया गया।
उन्हें व्याख्याता ([प्रिंटिंग)] के पद से जनवरी 2018 में 62 वषर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त कर दिया गया था। इसके खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने 28 जून, 2018 को उन्हें सेवा में वापस लिए जाने का निर्देश दिया। इसके विरद्घ सरकार की ओर से दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट से भी खारिज कर दी, फिर भी हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया।
भगवानपुरा विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय विधायक केदार डावर ने भाजपा सरकार को समर्थन दिया है। उन्होंने बुधवार को भोपाल में यह घोषषणा की। प्रदेश सरकार के मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने डावर से मुलाकात की। डावर के इस निर्णय से खरगोन जिले की राजनीति में भी हलचल है। विधानसभा चुनाव 2018 में डावर ने कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय रूप में ट्रैक्टर चुनाव चिन्ह से चुनाव ल़़डा था।
उन्होंने भाजपा और कांग्रेस के दोनों प्रत्याशियों को पछाड़ते हुए नौ हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी। चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र के विकास के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया था, परंतु उन्होंने प्रदेश में हो रहे विधानसभा उपचुनावों के पहले ब़़डा निर्णय लेते हुए अपना ट्रैक्टर भाजपा सरकार की ओर मो़़ड दिया है।
डावर ने कहा कि क्षेत्र के विकास और जनता की समस्याओं के समाधान के लिए उन्होंने सरकार को समर्थन दिया है। क्षेत्र में अब तक शासकीय महाविद्यालय नहीं खुल पाया है। इससे हर साल करीब तीन हजार विद्यार्थी प्रवेश से वंचित रह जाते हैं। डावर ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी समाधान का आश्वासन मिला है। डावर के पिता चिड़ाभाई डावर कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। वे चार बार विधायक भी रहे। केदार डावर की पत्नी कमला डावर पिछले जिला पंचायत चुनाव में अध्यक्ष चुनी गई थीं।