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रोहिंग्‍या मुद्दे पर भड़के ओवैसी, पीएम मोदी पर साधा निशाना

एआइएमआइएम प्रमुख ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करते हुए सवाल उठाया कि यदि भारत में दूसरे रिफ्यूजी को जगह दी जा सकती है तो रोहिंग्‍या को क्‍यों नहीं।

By Monika minalEdited By: Published: Fri, 15 Sep 2017 11:49 AM (IST)Updated: Fri, 15 Sep 2017 12:47 PM (IST)
रोहिंग्‍या मुद्दे पर भड़के ओवैसी, पीएम मोदी पर साधा निशाना
रोहिंग्‍या मुद्दे पर भड़के ओवैसी, पीएम मोदी पर साधा निशाना

हैदराबाद (एएनआई)। रोहिंग्‍या मुद्दे पर भड़के ऑल इंडिया मजलिस-ए-इतेहादुल मुसलीमिन (एआइएमआइएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को जबर्दस्‍त तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला। श्रीलंका, चीन, पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश के भारत में रहने वाले रिफ्यूजियों का मुद्दा उठाते हुए ओवैसी ने रोहिंग्‍या को भी भारत में रहने देने की वकालत की। पीएम मोदी को मिस्‍टर मोदी कहकर संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा, ‘जब तस्‍लीमा आपकी बहन बन कर रह सकती है तो रोहिंग्‍या आपके भाई क्‍यों नहीं।‘

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बांग्‍लादेश, पाकिस्‍तान और श्रीलंका के भारत निवासी शरणार्थियों का उदाहरण देते हुए ओवैसी ने कहा कि रोहिंग्‍या शरणार्थियों को देश में वैसे ही अनुमति मिलनी चाहिए जैसे अन्‍य देश के शरणार्थियों को दी जाती है। ओवैसी ने बांग्‍लादेशी लेखक तस्‍लीमा नसरीन का भी जिक्र किया जो 1994 से निष्‍कासन के बाद भारत में रह रहीं हैं ।

जनसमूह को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा, ‘हुकूमत कहती है बीजेपी की हम तमाम रोहिंग्‍या को उठाकर वापिस भेजे देंगे हिंदुस्‍तान के वजीर-ए-आजम हम आपसे पूछना चाहते हैं, ‘कौन सा कानून है जिसके तहत आप इन्‍हें बाहर भेज देंगे। आप मुझे बताइए कौन सा कानून है। मिस्‍टर मोदी आप हिंदुस्‍तान की पर्मानेंट मेंबरशिप चाहते हैं तो क्‍या यह आपका मिजाज होगा एक सुपर पावर का।‘ 

ओवैसी ने संरा सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्‍यता प्राप्‍त करने की मंशा पर भी सवालिया चिन्‍ह लगाया। ओवैसी ने कहा, ‘भारत सरकार संरा सुरक्षा परिषद में स्‍थायी सदस्‍यता चाहती है। सुपर पावर के तौर पर क्‍या यही रवैया है? क्‍या केंद्र उन मुस्‍लिम को वापस भेज सकती है जिनके पास यहां रहने के लिए ह्यूमन राइट्स काउंसिल की अनुमति भी है।‘

इसके बाद तमिलनाडु में श्रीलंकाई रिफ्यूजियों के रहने का मुद्दा उठाते हुए ओवैसी ने कहा कि आतंक फैलाने का आरोप लगने के बाद भी उन्हें भारत में रहने की अनुमति है। बांग्‍लादेश से 1971 में भारत आकर अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले ‘चकमा लोगों’ के साथ तिब्‍बती धर्म गुरु दलाई लामा के बारे में कहा कि उन्‍हें भारत में मेहमान का दर्जा दिया गया।

उन्‍होंने कहा, ‘क्‍या तमिलनाडु के कैंपों में शरणार्थी नहीं रह रहे हैं जबकि इनके बारे में दावा किया गया है कि ये आतंक फैला रहे हैं? उन्‍हें वापस श्रीलंका क्‍यों नहीं भेजा गया? बांग्‍लादेश के गठन के बाद चकमा भारत आए और उन्‍हें रिफ्यूजी का दर्ज मिला।‘

ओवैसी ने एनडीए सरकार से आग्रह किया कि वे रोहिंग्‍या को मुस्‍लिम के तौर पर नहीं बल्‍कि रिफ्यूजी की तरह देखें। उन्‍होंने आगे कहा, ‘हम उम्‍मीद करते हैं कि भारत सरकार उन्‍हें शरण के साथ सम्‍मानपूर्वक जीने का मौका और बच्‍चों को बेहतर भविष्‍य देगी।‘

9 अगस्त की रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा आंकड़ों के हवाले से सरकार ने संसद को बताया, ‘संरा रिफ्यूजी एजेंसी (UNHCR) के साथ रजिस्टर्ड 14,000 से अधिक रोहिंग्या मुसलमान अभी भारत में रह रहे हैं।‘ UNHCR ने बताया था कि कम से कम 2,70,000 रोहिंग्या रिफ्यूजी म्यांमार के हिंसा प्रभावित राखिने से जान बचाकर भागे हैं और बांग्लादेश में शरण ले रहे हैं जहां की सीमित क्षमता पहले से ही समाप्त हो चुकी है।

यह भी पढ़ें: रोहिंग्या शरणार्थियों पर हलफनामा अंतिम नहीं, गलती से SC भेजा गया: केंद्र


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