ज्यादा महिलाएं नौकरी करें तो भारतीय अर्थव्यवस्था में आ जाएगा इतना बदलाव
मौजूदा समय में एक समान परिस्थितियों वाले देशों की तुलना में भी भारत में महिलाओं के काम करने का प्रतिशत सबसे नीचे स्तर पर है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। भारत में महिलाओं के काम करने का प्रतिशत विश्व में सबसे कम है। 131 देशों की सूची में भारत 120 वें स्थान पर है। यहां तक की एक समान परिस्थितियों वाले देशों की तुलना में भी भारत में महिलाओं के काम करने का प्रतिशत सबसे नीचे स्तर पर है। अगर भारत में कामकाज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती है तो अर्थव्यवस्था काफी रफ्तार पकड़ सकती है। इससे जीडीपी ग्रोथ की दर दहाई अंक में पहुंच सकती है। ये आकलन है भारत की अर्थव्यवस्था पर विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट का।
कम भागीदारी से चिंता
विश्व बैंक ने इंडिया डेवलपमेंट अपडेट की जो रिपोर्ट जारी की है, उसमें विशेष तौर पर महिलाओं के कामकाज का चैप्टर शामिल किया गया है। रिपोर्ट में भारत में महिलाओं के काम करने की कम भागीदारी पर चिंता जताई गई है। इतना ही नहीं 2005 से इसमें गिरावट भी आई है। यहां तक कि एक समान माहौल वाले देशों में भारत निचले स्तर पर है।
27 फीसदी ही कामकाजी
रिपोर्ट बताती है कि भारत की एक तिहाई से कम यानी 27 फीसदी महिलाएं ही काम कर रही हैं या एक्टिवली नौकरी के लिए सक्रिय हैं इनकी उम्र 15 वषर्ष या इससे अधिक की हैं। आंकड़े बताते हैं कि काम की उम्र की (26 से 45 वर्ष आयु) की पांच में से तीन महिलाएं आर्थिक रूप से एक्टिव नहीं हैं यानि वे किसी तरह के रोजगार में नहीं हैं। रिपोर्ट में इसे चिंता का विषषय बताते हुए कहा गया है कि गरीबी उन्मूलन का प्राथमिक जरिया ज्यादा से ज्यादा कामगार होना होता है।
कुछ की हालत अच्छी
भारत में वर्ल्ड बैंक के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद बताते हैं कि महिलाओं के कामकाजी होने की संख्या में कमी के पीछे घर की माली हालत अच्छी होना भी है, जिसके चलते महिलाएं घर पर ही रहती हैं। इसके अलावा यह भी देखा गया है कि कृषि क्षेत्र में महिलाओं के लिए अवसरों की कमी के स्थान पर वैकल्पिक अवसर पैदा नहीं हैं। ग्रेजुएट महिलाएं नौकरी में कम रिपोर्ट के अनुसार, अन्य समकक्ष देशों की तुलना में भारत में 42 फीसदी के पास विज्ञान और तकनीक की उच्च डिग्री है, लेकिन पोस्ट सैकेंडरी डिग्री रखने वाली सिर्फ 34 फीसद महिलाएं ही कामकाजी हैं। भारत में महिलाओं के कामकाजी होने की दर कितनी कम है, इसका पता इसी से चलता है कि काॅलेज डिग्री रखने वाली 65 फीसद महिलाएं काम नहीं करतीं, जबकि बांग्लादेश में सिर्फ 41 फीसद और ब्राजील में 25 फीसद ऐसी महिलाएं ही काम नहीं करतीं।
कानूनी बाधाएं
रिपोर्ट में इसके कई कारण बताए गये हैं, जिसमें इंस्टीट्यूशनल चाइल्ड केयर न होना और महिलाओं की सुरक्षा के अलावा कानूनी बाधाएं शामिल हैं। रिपोर्ट में महिलाओं के लिए काम का माहौल और सुरक्षा देने के अलावा नौकरियां और काम सृजित करने की बात कही गई है। अभी जो भी काम सृजित होता है, उसमें ज्यादातर हिस्सा पुरषषों के पास चला जाता है।
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