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पर्यावरण दिवस: अगर ग्रीन हाऊस गैसों का उत्सर्जन जारी रहा तो भयावह होगी भारत की गर्मी

चीन यूरोप और अमेरिका के वैज्ञानिकों के एक खास अध्ययन में सामने आया है कि आने वाले 50 सालों में भारत में मौसम का मिजाज और गड़बड़ाएगा।

By Vineet SharanEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 11:02 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 05:18 PM (IST)
पर्यावरण दिवस: अगर ग्रीन हाऊस गैसों का उत्सर्जन जारी रहा तो भयावह होगी भारत की गर्मी
पर्यावरण दिवस: अगर ग्रीन हाऊस गैसों का उत्सर्जन जारी रहा तो भयावह होगी भारत की गर्मी

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। चीन, यूरोप और अमेरिका के वैज्ञानिकों के एक खास अध्ययन में सामने आया है कि आने वाले 50 सालों में भारत में मौसम का मिजाज और गड़बड़ाएगा। स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन की यही स्थिति रही और वायुमंडलीय गैसों का तापमान ऐसे ही बढ़ता रहा तो भारत का तापमान सहारा रेगिस्तान जितना गर्म हो जाएगा।

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नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में छपे अध्ययन में कहा गया है कि आने वाले सालों में भारत में 1.2 अरब लोग इस गर्मी का सामना करेंगे, जबकि पाकिस्तान में 100 मिलियन, नाइजीरिया में 485 मिलियन लोग गर्मी के इस प्रकोप का सामना करेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा समय में दुनिया भर में मानव आबादी औसत सालाना तापमान छह डिग्री सेंटीग्रेड से लेकर 28 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान में रहती है, जो कि लोगों की सेहत और खाद्य उत्पादन के लिहाज से बेहतर है। पर यदि यह तापमान बढ़ता रहा तो इसका आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक असर होगा। इसकी वजह से मानव आबादी के लिए आजीविका, रहन-सहने से लेकर खाद्यान्न संकट की समस्या उत्पन्न होगी।

कोरोना के प्रकोप जैसी हो सकती है स्थिति

रिसर्च पेपर के लेखक मार्टिन सेफर ने कहा कि कोरोना ने पूरी दुनिया को ऐसी मुश्किल में डाला है, जिसकी कल्पना भी मुश्किल है। कमोबेश ऐसी ही स्थिति क्लाइमेट चेंज कर सकता है। आने वाले समय में दुनिया के कई हिस्से रहने लायक नहीं रह जाएंगे और ये दोबारा ठंडे नहीं होंगे। इसका विनाशकारी प्रभाव होगा। समाज को इस आपदा से निपटने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इस समस्या का मूल समाधान कॉर्बन उत्सर्जन में कटौती करना है। साफ तौर पर हमको एक ग्लोबल पहल करनी होगी, ताकि हम बच्चों को इस सामाजिक, वैश्विक आपदा से बचा सकें। शोधकर्ता ने कहा कि ये आंकड़े हमारे लिए भी चौंकाने वाले थे, लेकिन हमने इनका दोबारा आकलन किया। सेफर ने कहा कि हम जानते हैं कि कई प्राणी अलग-अलग तापमान में खुद को समायोजित करते हैं। मसलन पेंग्विन बहुत ठंडे तापमान में रहती है तो कोरल गर्म पानी में। पर मानव के संदर्भ में यह बात नहीं कही जा सकती है। हम मौसम के अनुरूप गर्म कपड़े और एयरकंडीशन का इस्तेमाल करते हैं। आने वाले 50 सालों में मौसम में बड़ा भयावह बदलाव होने वाला है। उन्होंने कहा कि ऐसे में नीति निर्माताओं को इस बारे में जल्दी विचार करना होगा, वरना बड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। हमें पर्यावरण बचाने के उपायों पर गौर करना होगा, क्योंकि तापमान का 1 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ना लाखों लोगों की जान के लिए मुश्किल हो जाएगा।

कहां कितने लोग होंगे प्रभावित

भारत 1.2 बिलियन

पाकिस्तान 185 मिलियन

इंडोनेशिया 146 मिलियन

थाईलैंड 62 मिलियन

फिलीपींस 99 मिलियन

बांग्लादेश 98 मिलियन

नाइजीरिया 485 मिलियन 


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