कोलेजियम दोहराएगा सिफारिश तो सरकार को करनी होगी जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोलेजियम अपनी सिफारिश दोहराता है, तो सरकार जस्टिस केएम जोसेफ को SC में नियुक्त करने के लिए बाध्य होगी।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोलेजियम अपनी सिफारिश दोहराता है, तो सरकार उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने के लिए बाध्य होगी। हाई कोर्ट के पूर्व जजों एसएन ढींगरा और अजीत सिन्हा तथा वरिष्ठ वकीलों विकास सिंह और दुष्यंत दवे ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर कोई नाम पुनर्विचार के लिए भेजा जाता है, तो सरकार को उसे मानना होगा।
हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार के लिए कोलेजियम की सिफारिश पर कदम उठाने के लिए किसी समय सीमा का जिक्र नहीं है। इन सभी का कहना था कि सरकार को ऊपरी न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1993 और 1998 में दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना होता है। 1998 के दिशा-निर्देश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी नाम पर फिर से विचार करने के बाद यदि कोलेजियम सर्वसम्मति से दोबारा सिफारिश करता है, तो परंपरा के अनुसार सरकार को उस पर विचार करना होगा।
सरकार ने कोलेजियम की सिफारिश मानते हुए वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाने को मंजूरी दे दी है। लेकिन, उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ की सिफारिश पुनर्विचार के लिए वापस कर दी गई है। कोलेजियम ने इंदू मल्होत्रा और जस्टिस जोसेफ के नाम इसी साल जनवरी में सरकार को भेजे थे। जस्टिस केएम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति को लंबित रखने के पीछे की एक वजह केरल से पहले से ही पर्याप्त प्रतिनिधित्व को बताया गया है। सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही जस्टिस कुरियन जोसेफ हैं, जिन्हें केरल हाई कोर्ट से पदोन्नत किया गया है। सरकार का तर्क है कि ऐसे में केरल हाई कोर्ट से एक और पदोन्नति सुप्रीम कोर्ट में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व की सरंचना के हिसाब से ठीक नहीं होगी।