आइसीएमआर ने दी चेतावनी, कहा- लॉकडाउन में जरा सी ढील हुई तो फिर सकता है पानी
यदि लॉकडाउन को कड़ाई से लागू किया गया और लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया तो कोरोना के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी अभी रुक सकती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लॉकडाउन को लेकर अभी भी कुछ स्तरों पर दिख रही सुस्ती व लापरवाही के बीच आइसीएमआर ने चेतावनी दी है कि लॉकडाउन के कड़ाई पालन के जरिए ही इसे रोका जा सकता है। इसमें जरा सी ढील भी सारे प्रयासों पर पानी फेर देगा। वहीं इस आरोप को भी खारिज कर दिया है कि कम जांच होने के कारण कोरोना के मरीजों की संख्या कम दिख रही है।
लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने से कोरोना को हरा सकते हैं
डाक्टर रमन गंगाखेड़कर के अनुसार फिलहाल यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि कोरोना का प्रभाव देश में चरम पर पहुंच गया है और अब इसमें गिरावट आना तय है। उन्होंने कहा कि यदि लॉकडाउन को कड़ाई से लागू किया गया और लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया, तो कोरोना के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी अभी रुक सकती है। लेकिन इसमें चूक हुई तो इसे फैलने से रोकना मुश्किल होगा।
कोरोना वायरस को हराने के लिए लॉकडाउन, सरकार के निर्देशों का सौ फीसदी पालन करना होगा
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि कोरोना वायरस को पूरी तरह से हराने के लिए लॉकडाउन और सरकार के अन्य दिशानिर्देशों का सौ फीसदी पालन करना होगा। इसमें 99 फीसदी से भी काम नहीं चलेगा।
कोरोना की जांच आइसीएमआर के 113 लैब में की जा रही है
डाक्टर गंगाखेड़कर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया कि भारत में कोरोना की जांच कम होने के कारण मरीजों की संख्या कम दिख रही है। उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में हमारी आधारभूत संचरना मौजूद है और आइसीएमआर के 113 लैब में जांच की जा रही है। इसके अलावा 45 लैब चेन को भी जांच की अनुमति जा चुकी है।
किट की कमी
हकीकत यह है कि आइसीएमआर के 113 लैब की कुल क्षमता का 30 फीसदी का उपयोग हो रहा है। वहीं देश में 1400 टेस्ट प्रतिदिन की क्षमता वाले दिल्ली और भुवनेश्वर में दो रैपिड टेस्ट मशीन तैयार तो है, लेकिन किट की कमी के कारण काम शुरू नहीं किया है। डाक्टर गंगाखेड़कर ने कहा कि कंपनी से किट सप्लाई में थोड़ी देर हो रही है, लेकिन यह जल्द ही काम करने लगेगा।
कोरोना वायरस के खतरे को लेकर पीपीई और एन-95 मास्क की कमी
कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर पीपीई और एन-95 मास्क की बड़े पैमाने पर जरूरत की तुलना में बहुत कम उपलब्ध होने के बारे में पूछे जाने पर लव अग्रवाल ने कहा कि हम लगातार बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखकर आपूर्ति पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल इंवेस्ट इंडिया नाम के एक सरकारी संगठन ने अनुमान लगाया है कि देश में एन-95 मास्क 91 लाख उपलब्ध हैं, जबकि जरूरत 3.8 करोड़ की है। इसी तरह 62 लाख पीपीई की जरूरत है, लेकिन उपलब्ध केवल आठ लाख ही हैं।
देश में ही 10 कंपनियों ने पीपीई मास्क का उत्पादन शुरु कर दिया
लव अग्रवाल ने कहा कि इंवेस्ट इंडिया ने केंद्र और राज्यों में मौजूद सभी स्टॉक को शामिल नहीं किया है। इसीलिए उसके आंकड़े सही नहीं हो सकते हैं। वहीं इन सामानों की जरूरत के अनुमान लगातार बदलते रहते हैं। एक महीना पहले जितनी जरूरत महसूस की जा रही थी, आज की तारीख में वह बदल चुकी है। उन्होंने कहा कि देश में पीपीई और एन-95 मास्क के जरूरी कपड़े व अन्य सामान की आपूर्ति विदेश से होती थी। लेकिन जनवरी में संकट को भांपते हुए सरकार ने निजी निर्माताओं और विशेषज्ञों के साथ मिलकर देश के भीतर पीपीई के उत्पादन का फैसला किया और आज 10 कंपनियों ने उत्पादन शुरु कर दिया है। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय विदेशों में इनकी उपलब्धता का पता लगाकर उन्हें आयात करने की कोशिश भी कर रही है।
तीन हफ्ते का लॉकडाउन 130 करोड़ लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है
तीन हफ्ते का लॉकडाउन देश के 130 करोड़ लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। घर की चारदीवारी में कैद लोगों के व्यवहार के आक्रमक होने के साथ-साथ अन्य लक्षण भी सामने आ सकते हैं। यातायात पर प्रतिबंध होने और अस्पतालों के केवल जरूरी सेवाओं के लिए चालू होने कारण लोगों के लिए लॉकडाउन के तनाव से निपटना आसान नहीं होगा।
मानसिक परेशानियों के लिए टॉल फ्री नंबर
इसे देखते हुए सरकार ने निम्हांस, बेंगलुरू की मदद से एक देशव्यापी टोलफ्री नंबर (8046110007) जारी किया है। कोई भी व्यक्ति इस दौरान अपने व्यवहार में चिड़चिड़ापन, आक्रमकता या अन्य किसी तरह के बदलाव को देखते हुए इस टोलफ्री नंबर पर संपर्क कर डाक्टरों की सलाह ले सकता है। लव अग्रवाल ने कहा कि यह टोलफ्री नंबर सातों दिन 24 घंटे चालू रहेगा।