'CPT का अंधाधुंध प्रयोग उचित नहीं': कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी पर ICMR
कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी पर ICMR ने अध्ययन किया। अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि हालांकि प्लाज्मा का उपयोग सांस और थकान की कमी के समाधान में सुधार करने के लिए लग रहा था मगर मृत्यु दर में कोई अंतर नहीं था।
नई दिल्ली, एएनआइ। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने बुधवार को कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी पर एक सलाह जारी करते हुए कहा कि CPT का अंधाधुंध उपयोग उचित नहीं है। शीर्ष चिकित्सा निकाय ने एक ओपन-लेबल चरण II बहुविकल्पी यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण किया है, जिसे PLACID ट्रायल के रूप में भी जाना जाता है, जो देश के 39 सरकारी और निजी अस्पतालों में कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी और कोरोना वायरस के संक्रमण के उपयोग पर रहा।
समाचार एजेंसी एएनआइ ने ICMR द्वारा जारी सलाह के बारे में बताया, 'यह निष्कर्ष निकाला गया कि कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी (CPT) ने कोरोना वायरस से संक्रमित होने और संक्रमण से होने वाली मौतों को घटाया नहीं है।' इस बीच, वायरस से संक्रमित रोगियों के लिए CPT अब तमिलनाडु में नैदानिक उपचार का एक हिस्सा बन गया है, जबकि ICMR के अध्ययन के मुताबिक प्लाज्मा उपचार से मृत्यु दर को कम करने में बहुत कम लाभ हो सकता है।
PLACID नामक अपने सबसे बड़े अध्ययन में, ICMR ने 262 दाताओं से 464 प्रतिभागियों को प्लाज्मा दिलाया था। रोगियों को दो समूहों में बांटा गया था - 235 एक ग्रूप में और 229 एक में। प्लाज्मा उपचार जब पहले ग्रूप में दिया गया तो वहां 34 (14.5%) रोगियों की अंततः मृत्यु हो गई जबकि दूसरे ग्रूप में 31 (13.5%) लोगों की मृत्यु हो गई।
अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि हालांकि प्लाज्मा का उपयोग सांस और थकान की कमी के समाधान में सुधार करने के लिए लग रहा था, मगर मृत्यु दर में कोई अंतर नहीं था। बता दें कि कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी में COVID-19 से ठीक हुए मरीज से रक्त निकाला जाता है। फिर सीरम को अलग किया जाता है और वायरस को बेअसर करने वाली एंटीबॉडी के लिए जांच की जाती है। सीरम जिसमें एंटीबॉडीज हैं को COVID-19 के रोगी को दिया जाता है, जिनमें गंभीर लक्षण पाए जाते हैं।
पहले भी प्लाज्मा थेरेपी को शोधकर्ताओं ने कहा था कि प्लाज्मा थेरेपी इतनी सरल नहीं होगी। COVID-19 के मामले में जी कि एक नई महामारी है जहां अधिकांश रोगी वृद्ध हैं और पहले से ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह इत्यादि जैसी अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं, इसलिए यह थेरेपी कितनी प्रभावशील होगी इस पर संदेह है।