आइसीएआइ ने सदस्यों से काम में हिंदी को अपनाने को कहा, शुरू हो गई आलोचना
इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स आफ इंडिया (आइसीएआइ) के प्रेसिडेंट निहार एन जंबूसरिया ने अपने सदस्यों से हिंदी को बढ़ावा देने अपने काम में इसे अपनाने और दूसरे हितधारकों के साथ बातचीत के दौरान इसका प्रयोग करने को कहा है। हालांकि उनके इस आह्वान की आलोचना शुरू हो गई है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स आफ इंडिया (आइसीएआइ) के प्रेसिडेंट निहार एन जंबूसरिया ने अपने सदस्यों से हिंदी को बढ़ावा देने, अपने काम में इसे अपनाने और दूसरे हितधारकों के साथ बातचीत के दौरान इसका प्रयोग करने को कहा है। हालांकि उनके इस आह्वान की आलोचना शुरू हो गई है। कुछ लोगों ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से कहा कि यह कदम एक विशेष भाषा को थोपने जैसा है।
आलोचना हुई तो बोले, बाध्यता नहीं है
हाल में प्रकाशित संस्थान के मासिक समाचार पत्र में जंबूसरिया ने कहा, 'मातृभाषा हिंदी की शक्ति को समझते हुए आइसीएआइ अपनी कार्य संस्कृति में हिंदी के अधिकाधिक उपयोग को शामिल करने की कोशिश कर रहा है।' उनके इस कदम को लेकर कुछ लोगों द्वारा चिंता व्यक्त करने पर जंबूसरिया ने कहा कि सदस्यों के लिए हिंदी भाषा का उपयोग कोई बाध्यता नहीं है। यह एक विकल्प है। उन्होंने यह भी कहा कि वह अगले मासिक समाचार पत्र में इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे।
हिंदी हमारे जीवन का हिस्सा होना चाहिए
समाचार पत्र में 'हिंदी भाषा को बढ़ावा देना' उपशीर्षक के तहत जंबुसरिया ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में चिह्नित किए जाने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि हिंदी के लिए कोई विशेष दिन नहीं होना चाहिए, बल्कि हिंदी हमारे जीवन का हिस्सा होना चाहिए। यह दिन हमें हमारी विरासत और भाषाई पहचान की याद दिलाता है। हमें किसी भी अवसर पर गर्व से अपनी राजभाषा बोलनी चाहिए।
अपनी मातृभाषा हिंदी की शक्ति को महसूस करते हुए आईसीएआई अपनी कार्य संस्कृति में हिंदी के अधिक उपयोग को शामिल करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि पेशेवर व्यवहार के हिस्से के रूप में सभी कर्मचारियों ने इस दिन हमारे जीवन में हिंदी के उपयोग और प्रचार के लिए राजभाषा शपथ ली। सदस्यों को अपने काम और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत में हिंदी भाषा को अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है।
भाषा में आत्मनिर्भर होने की जरूरत
उनके अनुसार ऐसे समय में जब पूरी दुनिया भारत को एक वैश्विक नेता, उत्तराधिकारी और पथ प्रदर्शक के रूप में देख रही है, हमारी भाषा भी एक वैश्विक प्रकाशस्तंभ होनी चाहिए। उन्होंने समाचार पत्र में कहा कि भारत को 'आत्मनिर्भर भारत' बनाने पर सरकार के ध्यान के साथ यह हमें अपनी मातृभाषा और इसके राष्ट्रवादी दृष्टिकोण के साथ 'आत्मनिर्भर' होने पर भी ध्यान केंद्रित करता है। कुछ आईसीएआई सदस्यों और अन्य ने टिप्पणी के खिलाफ सोशल मीडिया का सहारा लिया है। यह देखते हुए महत्वपूर्ण है कि देश के दक्षिणी हिस्सों में हिंदी एक आम भाषा नहीं है। आइसीएआइ की स्थापना संसद द्वारा पारित कानून के तहत की गई है। चार्टर्ड एकाउंटेंट के लिए यह देश का सर्वोच्च निकाय है। इसके तीन लाख से अधिक सदस्य हैं।