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बैंकों के लिए कर्ज वसूली का कारगर तंत्र साबित हो रही आइबीसी

आखिरकार बैंकों को फंसे कर्ज की वसूली का कारगर तंत्र मिल गया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 28 Dec 2018 09:25 PM (IST)Updated: Fri, 28 Dec 2018 09:35 PM (IST)
बैंकों के लिए कर्ज वसूली का कारगर तंत्र साबित हो रही आइबीसी
बैंकों के लिए कर्ज वसूली का कारगर तंत्र साबित हो रही आइबीसी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आखिरकार बैंकों को फंसे कर्ज की वसूली का कारगर तंत्र मिल गया है। सरकार ने बैंकों के फंसे कर्ज की वसूली के लिए पहले लोक अदालतें बनायीं, फिर ऋण वसूली अधिकरण (डीआरटी) बनाए और उसके बाद सरफेसी कानून को भी आजमाया लेकिन नतीजा कुछ खास नहीं रहा।

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साल-दर साल फंसे कर्ज का बोझ बढ़ता ही गया। अब जाकर बैंकों को नए दिवालिया कानून आइबीसी (इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड) के रूप में बैंकों को एक ऐसा तंत्र मिल गया है जिसके बाद बैंकों से उधार लेने वाली कंपनियां कर्ज चुकाने में आनाकानी नहीं कर पाएंगी। रिजर्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट इस बात तस्दीक करती है कि आइबीसी कर्ज वसूली के प्रभावी तंत्र के रूप में उभर रहा है।

'रिपोर्ट ऑन ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया 2017-18' के अनुसार वर्ष 2017-18 में आइबीसी के तहत फंसे कर्ज की वसूली के लिए कुल 701 मामले भेजे गए जो 9,929 अरब रुपये के थे। इन मामलों में आइबीसी के जरिए 4925 अरब रुपये वसूल किए गए। इस तरह आइबीसी के तहत जितनी राशि वसूलने की कोशिश की गयी उसमें से लगभग 50 प्रतिशत राशि वसूल कर ली गयी।

आइबीसी के तहत वसूल की गयी राशि का अनुपात अन्य तंत्रों की तुलना में अधिक है। असल में आइबीसी के तहत दिवालियेपन के मामलों को समयबद्ध ढंग से 180 दिनों के भीतर सुलझाया जाता है। इस अवधि को अधिकतम 90 दिन के लिए बढ़ाया जा सकता है। इस तरह एक निर्धारित अवधि में आइबीसी के तहत फंसे कर्ज के मामले सुलझाए जाते हैं।

गौरतलब है कि बैंकों के फंसे कर्ज को वसूलने के मुख्यत: चार तंत्र हैं जिनमें लोक अदालतें, डैट रिकवरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी), सरफेसी कानून और आइबीसी शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक लोक अदालतों के तंत्र के माध्यम से फंसे कर्ज की जितनी राशि को वसूलने की कोशिश की गयी उसमें से मात्र चार प्रतिशत, डीआरटी के माध्यम से 5.4 प्रतिशत और सरफेसी कानून के तहत महज 25 प्रतिशत राशि वसूली हो पायी।

कुल मिलाकर वर्ष 2017-18 में इन चारों तंत्रों के माध्यम से फंसे कर्ज की वसूली के कुल 34,39,477 मामले पेश किये गए। ये सभी मामले 12,786 अरब रुपये के थे जिसमें से 5280 अरब रुपये वसूल हुए जो 41.3 प्रतिशत हैं।

 वर्ष 2017-18 में विभिन्न माध्यमों से फंसे कर्ज की वसूली

 वसूली तंत्र            मामले             राशि      वसूली        प्रतिशत

लोकअदालत        33,17,897        457      18             4.0

डीआरटी              29,551           1,333      72            5.4

सरफेसी कानून    91,330            1,067      265           25

आइबीसी            701                 9,929     4,925        50

                   (नोट: राशि व वसूली अरब रुपये में)


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