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नोटबंदी के बाद नई करेंसी की सप्लाई में 29.41 करोड़ खर्च, IAF ने सरकार को भेजा बिल

नोटबंदी के बाद नई करेंसी की सुप्लाई में 29.41 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आया है। एयरफोर्स ने इसका बिल सरकार को भेज दिया है।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 07:35 AM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 08:00 AM (IST)
नोटबंदी के बाद नई करेंसी की सप्लाई में 29.41 करोड़ खर्च, IAF ने सरकार को भेजा बिल
नोटबंदी के बाद नई करेंसी की सप्लाई में 29.41 करोड़ खर्च, IAF ने सरकार को भेजा बिल

नई दिल्ली (प्रेट्र)। नोटबंदी के बाद नई करेंसी की सप्लाई में करोड़ों रुपयों का खर्चा आया है। जानकारी के मुताबिक नोटबंदी के बाद जारी किए गए 2000 और 500 रुपये के नए नोटों की ढुलाई में भारतीय वायु सेना के अत्याधुनिक परिवहन विमान सी-17 और सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस का इस्तेमाल किया गया। इसमें 29.41 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आया है। एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी की ओर से दाखिल आरटीआइ अर्जी के जवाब में भारतीय वायुसेना ने यह जानकारी दी है। एयरफोर्स ने इसका बिल सरकार को भेज दिया है। वायुसेना की ओर से बताया गया कि उसके विमानों ने सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस और टकसालों से देश के विभिन्न हिस्सों में नोटों की सप्लाई के लिए 91 चक्कर लगाए।

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आरटीआइ कानून के तहत दिए गए जवाब के अनुसार, सरकार के 8 नवंबर, 2016 को 1000 और 500 रुपये के पुराने नोटों को अचानक प्रचलन से बाहर करने के बाद नए नोटों की आपूर्ति के लिए वायुसेना के विमानों की सेवाएं ली गई थीं। ध्यान रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की इस घोषणा से 86 फीसद नोट व्यवस्था से बाहर हो गए थे। इसकी भरपाई 2000 और 500 रुपये के नए नोटों से अविलंब करने की आवश्यकता थी। इसके लिए वायुसेना की सहायता ली गई।

सेवानिवृत्त कमोडोर लोकेश बत्रा की आरटीआइ अर्जी के जवाब में वायुसेना ने बताया है कि उसने सरकारी स्वामित्व वाले सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड को अपनी सेवाओं के बदले में 29.41 करोड़ रुपये का बिल भेजा है। कमोडोर बत्रा ने कहा, 'मेरी राय है कि सरकार को रक्षा परिसंपत्ति के इस्तेमाल से बचना चाहिए था और इसकी जगह असैन्य परिवहन विमान की सेवाएं आसानी से ली जा सकती थीं।'

उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने नोटबंदी की घोषणा करने से पहले खुद को पूरी तरह तैयार किया होता तो इस तरह की स्थिति से बचा जा सकता था। आधिकारिक आकड़ों के अनुसार, नोटबंदी के बाद सरकार ने 2016-17 में 500 तथा 2000 रुपये और अन्य मूल्य के नए नोटों की छपाई पर 7,965 करोड़ रुपये खर्च किए थे।


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