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वायु सेना ने विदेशी विमान खरीद के आठ हजार करोड़ रुपये के तीन प्रोजेक्ट से खींचे हाथ

भारतीय वायु सेना ने आठ हजार करोड़ रुपये के तीन बड़े खरीद सौदे से हाथ खींच लिए हैं। इसके पीछे स्वदेशीकरण पर जोर दिया जाना माना जा रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 19 May 2020 09:11 PM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 09:11 PM (IST)
वायु सेना ने विदेशी विमान खरीद के आठ हजार करोड़ रुपये के तीन प्रोजेक्ट से खींचे हाथ
वायु सेना ने विदेशी विमान खरीद के आठ हजार करोड़ रुपये के तीन प्रोजेक्ट से खींचे हाथ

नई दिल्ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशीकरण पर जोर दिया है, इसको देखते हुए भारतीय वायु सेना ने आठ हजार करोड़ रुपये के तीन बड़े खरीद सौदे से हाथ खींच लिए हैं। वायु सेना की स्विटजरलैंड से 38 पाइलटस बुनियादी प्रशिक्षण विमान, ब्रिटेन से 20 अतिरिक्त हॉक विमान खरीदने और अमेरिकी इंजन के साथ 80 उन्नत जगुआर लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने की योजना थी। लेकिन अब इन सौदों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

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वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने कहा, 'हम अतिरिक्त पाइलटस बुनियादी प्रशिक्षण विमान खरीदने के सौदे पर आगे नहीं बढ़ रहे हैं। अतिरिक्त हॉक (प्रशिक्षण विमान) खरीदने की योजना थी, लेकिन फिलहाल इसे रोक दिया गया है। जगुआर को भी विदेशी इंजन के साथ अपग्रेड करने की योजना थी, इस परियोजना को रद कर दिया गया है।' इन तीनों परियोजनाओं को मेक इन इंडिया के साथ ही कुछ अन्य वजहों से भी रोक दिया गया है।

वायु सेना प्रमुख ने कहा कि हम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की मदद से लड़ाकू विमानों को अपग्रेड किया जाएगा। उल्‍लेखनीय है कि बीते दिनों पीएम मोदी ने 'वोकल फॉर लोकल' और 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' (Atmanirbhar Bharat Abhiyan) की बात कही थी। इसके बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) ने दिल्ली में एक साक्षात्‍कार में कहा था कि तेजस जैसे विमान हमारे पुराने होते फाइटरों के बेड़े की क्षमता को बढ़ाएंगे।

रावत ने यह भी कहा था कि भारतीय वायुसेना (IAF) भारत में बने लड़ाकू विमान और मेड इन इंडिया पर जोर देगी। माना जा रहा है कि उक्‍त फैसला विदेशी कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका है। यह फैसला एक इशारा भी है कि भारत अब महंगे विदेशी विमानों की बजाए स्‍वदेशी फाइटर जेट पर जोर देगी। इस फैसले से यह भी तय है कि रक्षा मंत्रालय को अब हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की क्षमता को और बढ़ाना होगा ताकि वायुसेना की मांग पूरी की जा सके।  


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