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राफेल डील: राहुल गांधी के आरोप पर दासौ सीईओ का बड़ा बयान, कहा- मैं झूठ नहीं बोलता...

दासौ एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा कि मैं झूठ नहीं बोलता। मैंने पहले जो बयान दिया वो सच है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 10:55 AM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 12:54 AM (IST)
राफेल डील: राहुल गांधी के आरोप पर दासौ सीईओ का बड़ा बयान, कहा- मैं झूठ नहीं बोलता...
राफेल डील: राहुल गांधी के आरोप पर दासौ सीईओ का बड़ा बयान, कहा- मैं झूठ नहीं बोलता...

जेएनएन, नई दिल्ली। राफेल विमान सौदे पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब फ्रांसीसी कंपनी दासौ के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने मोर्चा संभाला है। समाचार एजेंसी एएनआइ को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने सौदे से जुड़े हर पहलू पर बात की। विमान की कीमत से लेकर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से सौदा टूटने और रिलायंस डिफेंस से करार होने के कारणों पर भी उन्होंने प्रकाश डाला।

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कीमत को लेकर कांग्रेस के आरोपों पर उन्होंने बताया कि भारत को इस सौदे में विमान पहले के मुकाबले नौ फीसद सस्ता मिल रहा है। उन्होंने कहा, 'नए सौदे में 36 विमानों की कीमत पुराने सौदे के 18 फ्लाईअवे (उड़ने के लिए तैयार) विमानों जितनी ही है। सीधे तौर पर सौदे की राशि दोगुनी हो जानी चाहिए थी, लेकिन सरकार से सरकार के बीच हुए करार के चलते हमने कीमत में नौ फीसद की कटौती की है। भारत को विमान कम कीमत पर मिल रहे हैं।' कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा खुद को झूठा कहे जाने पर भी ट्रैपियर ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'मैं झूठ नहीं बोलता। मेरी जगह इस पद पर आप भी होते, तो झूठ नहीं बोल पाते।'

एचएएल से क्यों टूटा करार?
एचएएल के साथ करार टूटने के सवाल पर ट्रैपियर ने बताया कि जब 126 राफेल विमान की बात चल रही थी, तब एचएएल से करार की ही बात थी। अगर वह सौदा आगे बढ़ता तो एचएएल से करार होता। वह सौदा आगे नहीं बढ़ पाने पर जब 36 विमान की डील पर चर्चा हुई तब रिलायंस के साथ बात बढ़ी। आखिरी दिनों में एचएएल ने खुद कहा था कि वह इस ऑफसेट में शामिल होने का इच्छुक नहीं है। इससे रिलायंस के साथ करार का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया। इस दौरान अन्य कंपनियों से करार पर भी विचार हुआ था, जिसमें टाटा ग्रुप भी शामिल है। लेकिन बाद में बात रिलायंस के साथ अंतिम नतीजे तक पहुंची।

ऑफसेट में किसका-कितना हिस्सा?
दासौ के सीईओ ने बताया कि 40 फीसद ऑफसेट अरेंजमेंट्स के लिए 30 कंपनियों से करार हुआ है। इसमें से 10 फीसद हिस्से पर रिलायंस डिफेंस से समझौता हुआ है। इसके लिए रिलायंस के साथ एक ज्वाइंट वेंचर बनाया गया है, जिसमें दासौ की 49 फीसद और रिलायंस की 51 फीसद हिस्सेदारी है। इस ज्वाइंट वेंचर में कुल 800 करोड़ रुपये का निवेश होगा। यह राशि दोनों कंपनियां आधा-आधा लगाएंगी। अभी दासौ ने जो पैसा लगाया है, वह इसी संयुक्त उद्यम में लगा है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि दासौ ने रिलायंस को 284 करोड़ रुपये मदद के लिए दिए थे।

राहुल ने कब-कब मुंह की खाई
- संसद के मानसून सत्र में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि भारत और फ्रांस सरकार के बीच हुए करार में गोपनीयता की कोई शर्त नहीं है। उन्होंने दावा किया था यह बात फ्रांस दौरे पर खुद वहां के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उन्हें बताई थी। हालांकि जिस वक्त राहुल संसद में यह दावा कर रहे थे, उसी समय फ्रांस की सरकार ने उनके दावे का खंडन कर दिया था।

- सौदे में रिलायंस के शामिल होने को लेकर राहुल ने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान का हवाला देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि मोदी ने खुद रिलायंस का नाम सौदे में शामिल करने का दबाव बनाया था। हालांकि राहुल के बयान के अगले ही दिन ओलांद ने उनके दावे का खंडन कर दिया था।

सामने आया राफेल का फ‌र्स्ट लुक
भारत को मिलने वाले राफेल विमान ने फ्रांस में पहली उड़ान भरी है। मंगलवार को फ्रांस के इस्त्रे-ले-ट्यूब एयरबेस पर भारतीय वायुसेना को मिलने वाले राफेल लड़ाकू विमान के बेड़े में से पहले विमान का परीक्षण किया गया है। विमान को रनवे पर उतारा गया और उसके विभिन्न परीक्षण किए गए।

बेहद शक्तिशाली है राफेल

1. राफेल विमान एक बार में करीब 26 टन वजन के साथ उड़ान भरने में सक्षम है

2. यह विमान 3,700 किलोमीटर के रेडियस में कहीं भी हमला करने में सक्षम है

3. यह 36 हजार से 60 हजार फीट की अधिकतम ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है और यहां तक महज एक मिनट में पहुंच सकता है

4. एक बार ईधन भरने पर यह लगातार 10 घंटे की उड़ान भर सकता है

5. इस विमान से हवा से जमीन और हवा से हवा में हमला किया जा सकता है

6. राफेल पर लगी गन एक मिनट में 125 फायर करने में सक्षम है और यह हर मौसम में लंबी दूरी के खतरे को भांप लेता है।

'झूठ राहुल गांधी की विफल राजनीति का विकल्प नहीं बन सकता है। यह जानने के बाद कि हमने यूपीए की तुलना में सस्ते में सौदा किया है, विरोधी बाल की खाल निकाल रहे हैं।'

- अरुण जेटली, वित्त मंत्री


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