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पास भी नहीं आए काम, तेज धूप में ढाई घंटे भटके बुजुर्ग और महिलाएं

बाहर सड़क और फुटपाथ पर सैकड़ों लोगों की भीड़। ज्यादातर प्रतिनिधि और अतिथि। वहीं कुछ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देखने और सुनने की इच्छा खींच लाई। तेज धूप में सबका एक जैसा हाल। वे ड्यूटी पर तैनात अफसरों से अंदर जाने की गुहार लगा रहे थे। पास भी दिखाते

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2015 08:36 AM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2015 08:59 AM (IST)
पास भी नहीं आए काम, तेज धूप में ढाई घंटे भटके बुजुर्ग और महिलाएं

भोपाल। समय: गुरुवार सुबह 9.40 बजे। स्थान: लाल परेड ग्राउंड का मुख्य प्रवेश द्वार। नजारा: बाहर सड़क और फुटपाथ पर सैकड़ों लोगों की भीड़। ज्यादातर प्रतिनिधि और अतिथि। वहीं कुछ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देखने और सुनने की इच्छा खींच लाई। तेज धूप में सबका एक जैसा हाल। वे ड्यूटी पर तैनात अफसरों से अंदर जाने की गुहार लगा रहे थे। पास भी दिखाते रहे, लेकिन अफसरों ने दो टूक कह दिया, एसपीजी की सुरक्षा व्यवस्था है। अब प्रधानमंत्री के जाने के बाद दोपहर 12.30 बजे ही अंदर जाने देंगे। और ऐसा ही हुआ। करीब ढाई घंटे तक लोग आते रहे और गेट से लौटा दिए गए। एक-दो बार ऐसी भी स्थिति बनी कि पुलिस ने भीड़ को लाठियों से कंट्रोलरूम तक धका दिया। यह भी नहीं देखा कि उनमें कई महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल थे।

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कंट्रोलरूम परिसर में बैठने तक नहीं दिया

कुछ तेज धूप में खड़े रहे। बाकी ने फुटपाथ पर ही डेरा जमा लिया। धूप परेशान करती रही पर विश्व हिंदी सम्मेलन देखे बगैर कोई लौटने को तैयार नहीं था। पुलिस कंट्रोल रूम परिसर में छांव और जगह तलाशने की कोशिश की तो पुलिसकर्मियों ने बैठने नहीं दिया। बोले, अफसरों का आदेश है।

ढाई घंटे बाद मिला प्रवेश, उमड़ी भीड़

प्रधानमंत्री के जाते ही करीब 12.10 बजे सभी के लिए गेट खोल दिए गए। सम्मेलन देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। सम्मेलन स्थल के प्रवेश द्वार पर लंबी कतारें लग गई।

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बच्चे को गोद में लिए इधर से उधर भटकती रही

विक्रम विवि की शोधार्थी मीनल मेहना और प्रियंका परस्ते बतौर अतिथि सम्मेलन में हिस्सा लेने आई थीं। बस ड्राइवर की लेटलतीफी की वजह से करीब दस बजे लाल परेड ग्राउंड पहुंच पाईं। उन्हें प्रवेश नहीं मिल पाया। मीनल गोद में छोटे से बच्चे को लिए इधर से उधर भटकती रही। बच्चा रोने लगा तो आखिर में थक कर कंट्रोल रूम के फुटपाथ पर बैठ गईं। पर वापस नहीं लौटी। मीनल ने कहा, यहां तक आने के बाद सम्मेलन में भाग लिए बगैर नहीं जाऊंगी।

सेवानिवृत्त आईएएस पूछते रहे, किससे बात करने पर मिलेगा प्रवेश

उत्तर प्रदेश के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी आईपी पांडे और उनकी पत्नी डॉ. शशिकला को हिंदी प्रेम भोपाल खींच लाया। डॉ. शशिकला काशी विद्यापीठ में हिंदी की शिक्षक हैं। बुजुर्ग दंपती वाराणसी से राजधानी के लाल परेड ग्राउंड तक पहुंच गए लेकिन सम्मेलन में प्रवेश के लिए ढाई घंटे तक इंतजार करना पड़ा। इस दौरान आईपी पांडे ट्रैफिक डीएसपी महेंद्र जैन से लेकर हर जिम्मेदार को पास दिखा कर पूछते रहे, किससे बात करने पर हमे प्रवेश मिल सकता है। सभी जगह से एक ही जवाब मिला, 12.30 बजे तक इंतजार करना होगा। उन्हें कंट्रोल रूम परिसर में बैठने के लिए बमुश्किल जगह मिल पाई।


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