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अब आप भी कर सकेंगे हलाल मीट की पहचान, वैज्ञानिकों ने निकाली ये तरकीब

हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में इस बात का दावा किया है कि इस टेस्ट के बाद वो बता देंगे कि ये मीट हलाल है या फिर नहीं।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 04:18 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 10:23 PM (IST)
अब आप भी कर सकेंगे हलाल मीट की पहचान, वैज्ञानिकों ने निकाली ये तरकीब
अब आप भी कर सकेंगे हलाल मीट की पहचान, वैज्ञानिकों ने निकाली ये तरकीब

नई दिल्ली, जेएनएन। क्या आपको मालूम है कि रेस्त्रां और दुकानों में आपकी थाली में परोसा जाने वाला मीट हलाल का है या फिर नहीं शायद नहीं, लेकिन दुकानदार और रेस्त्रां के मालिक आपको सुविधानुसार बताकर मीट परोस देते हैं कि ये हलाल है । क्या आपने कभी जानने की कोशिश की कि आप सही मीट खा रहे हैं? अब आप खुद इस बात का टेस्ट कर सकेंगे कि आपकी थाली में परोसा गया मीट हलाल है? हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में इस बात का दावा किया है कि इस टेस्ट के बाद वो बता देंगे कि ये मीट हलाल है या फिर नहीं। 

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हैदराबाद में स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन मीट (NRCM) ने दावा किया है कि पहली बार हलाल मीट को टेस्ट करने के लिए उन्होंने लैब टेस्ट का इजाद किया है। यह टेस्ट आपको बता देगा कि आपकी थाली में परोसा गया मीट हलाल का है या फिर नहीं।

NRCM के वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने हलाल मीट की पहचान कैसे की, उन्होंने बताया कि यह टेस्ट दो भेड़ों पर किया पहली एक हलाल की गई भेड़ और दूसरी बिजली के झटके से मारी गई भेड़। वैज्ञानिकों ने इस टेस्ट के बाद दोनों भेड़ों के मीट अलग-अलग हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि जब जानवरों को काटा जाता है तो उनमें तनाव उत्पन्न होता है इसके आधार पर भी मीट की पहचान की जा सकती है।

उन्होंने बताया कि इस टेस्ट के बाद मारी गईं दोनों भेड़ों के मीट में काफी अंतर है उन्होंने बताया कि सूक्ष्म स्तर पर दोनों के मीट में अंतर हैं। जहां पहली भेड़ जो कि हलाल की गई थी उसके मीट में प्रोटीन विशेष का समूह पाया गया जबकि दूसरी भेड़ के मीट में ऐसा नहीं था। अब इसी प्रयोग के आधार पर वैज्ञानिक ये बता सकेंगे कि आप की थाली में हलाल के नाम पर परोसा गया मीट वाकई हलाल का है या नहीं वैज्ञानिकों ने इस बात का भी दावा है कि हलाल मीट की पहचान करने के लिए यह दुनिया का सबसे पहला टेस्ट है।

हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने बताया कि रक्त जैव रासायनिक मानकों और प्रोटीन स्ट्रक्चर की जांच के आधार पर वो हलाल मीट की पहचान कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने इस टेस्ट को 'डिफरेंस जेल इलेक्ट्रोफॉरेसिस' टेस्ट का नाम दिया है। इसके आधार पर दोनों मीट के मांस प्रोटीन में असमानता देखी जा सकती है।


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