हैदराबाद ब्लास्ट: जांच की शुरुआत पर असमंजस में पुलिस
हैदराबाद, प्रेट्र : राष्ट्रीय जांच एजेंसी [एनआइए], राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [एनएसजी] और सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब हैदराबाद के दिलसुख नगर में दोहरे बम धमाके का निशाना बने घटनास्थलों से नमूने जुटा कर जांच के लिए भेज चुकी है। बावजूद इसके घटनास्थल के हालात कुछ ऐसे हैं कि पुलिस जांच की शुरुआत को लेकर असमंजस में है।
हैदराबाद। राष्ट्रीय जांच एजेंसी [एनआइए], राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [एनएसजी] और सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब हैदराबाद के दिलसुख नगर में दोहरे बम धमाके का निशाना बने घटनास्थलों से नमूने जुटा कर जांच के लिए भेज चुकी है। बावजूद इसके घटनास्थल के हालात कुछ ऐसे हैं कि पुलिस जांच की शुरुआत को लेकर असमंजस में है। शुक्रवार को केंद्र ने हैदराबाद में कानून व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए 500 सुरक्षाकर्मी भेज दि हैं। इस बीच पता चला है कि हैदराबाद शहर के पुलिस आयुक्त अनुराग शर्मा धमाकों की चपेट में आने से बाल-बाल बचे।
गुरुवार शाम घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वाले लोगों में शामिल एक पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि इससे पहले हम दोनों जगहों को खाली करा पाते वारदात स्थल पर लोगों की हलचल से काफी कुछ अस्त-व्यस्त हो गया था। मुख्यमंत्री सहित वीआइपी दौरे, मीडिया कर्मियों और स्थानीय लोगों के घटनास्थल पर घूमने के कारण काफी सुबूत कुचलकर कर नष्ट हो गए थे। बावजूद इसके हम काफी सुबूत जुटाने में सफल रहे, जिनसे जांच में मदद मिल सकती है। उन्होंने बताया कि धमाकों के लिए उच्च क्षमता वाले विस्फोटक का कम मात्रा में इस्तेमाल किया गया था। सरूर नगर पुलिस ने चश्मदीद जी. आनंद की शिकायत पर विस्फोटक सामग्री कानून की धारा-3 व 5, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून की धारा-16, 17 व 18 और आइपीसी की कई अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। दोहरे धमाके में मारे गए लोगों की संख्या 16 हो गई है, जबकि 117 घायल हुए हैं।
पुलिस दिलसुख नगर बस स्टैंड और एक बस शेल्टर के सीसीटीवी कैमरों के वीडियो फुटेज की जांच कर रही है। सीआइडी और राज्य पुलिस के विशेष दल ने भी जांच शुरू कर दी है। इस बीच पता चला है कि हैदराबाद शहर के पुलिस आयुक्त अनुराग शर्मा धमाकों से कुछ मिनट पहले ही दिलसुख नगर के साई बाबा मंदिर में पूजा कर लौटे थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक हैदराबाद में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और रैपिड एक्शन फोर्स के 500 जवान भेज दिए हैं। पुणे धमाकों के सिलसिले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार इंडियन मुजाहिदीन आतंकी सईद मकबूल और इमरान खान ने जुलाई 2012 में हैदराबाद के दिलसुख नगर और बेगम बाजार की रेकी की थी। मकबूल को 23 अक्टूबर 2012 को हैदराबाद से ही गिरफ्तार किया गया था।
2007 जैसे थे दोनों धमाके
दोहरे धमाकों की चपेट में आए लोगों के जख्मों से पता चला है कि ये धमाके 2007 में हुए विस्फोटों जैसे ही हैं। शुक्रवार को फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने बताया कि मारे गए लोगों के पोस्टमार्टम के दौरान चोटों के निरीक्षण से स्पष्ट है कि इनकी चोटें 2007 के पीड़ितों जैसी ही हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि 21 फरवरी, 2013 और 2007 दोनों ही धमाकों में मृतकों के शरीर में लोहे के टुकड़ों के अलावा नट-बोल्ट, कीलें और कांच के टुकड़े मिले।
देश भर से कई संदिग्ध हिरासत में
नई दिल्ली। हैदराबाद धमाके की जांच के सिलसिले में देश के कई हिस्सों में धड़पकड़ का सिलसिला शुरू हो गया है। सुरक्षा एजेंसियां कई संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। गृह मंत्रालय ने जांच में अहम प्रगति का दावा किया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान स्थित आतंकी गुटों के चार शहरों [हैदराबाद, बेंगलूर, कोयंबटूर व हुबली] और दो राज्यों [गुजरात व महाराष्ट्र] में हमले की योजना की पुख्ता खुफिया जानकारी थी। संबंधित राज्यों को तत्काल अलर्ट भी जारी कर दिया था।
गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमला भले ही अफजल गुरु की फांसी के बाद हुआ है, लेकिन साफ है कि इसकी तैयारी कई महीने से की जा रही होगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी [एनआइए] के साथ मिलकर राज्य पुलिस की जांच सही दिशा में बढ़ रही है। इसीलिए जांच को पूरी तरह एनआइए को सौंपने का विचार स्थगित कर दिया गया है। अगले हफ्ते इस संबंध में फैसला लिया जाएगा। धमाके के पहले नजदीकी सीसीटीवी के तार काटे जाने की खबरों का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि जांच में सीसीटीवी वीडियो की मदद ली जा रही है। हमले के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठन के बारे में पूछे जाने पर गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी कुछ कहना संभव नहीं है, लेकिन उन्होंने इंडियन मुजाहिद्दीन की भूमिका की आशंका से इन्कार नहीं किया। उनके अनुसार इंडियन मुजाहिद्दीन लश्कर-ए-तैयबा का भारतीय संस्करण है और निश्चित रुप से इसके लिए निर्देश सीमा पार से लश्कर के आतंकी आकाओं की ओर से आया है।
हमले के बारे में स्पष्ट सूचना नहीं देने में खुफिया एजेंसियों की विफलता के आरोपों को गृह मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि खुफिया सूचनाएं कई तरह की होती हैं। सभी में आतंकी हमले की तैयारी की विस्तृत जानकारी होना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि खुफिया एजेंसियों ने चार शहरों और दो राज्यों में आतंकी हमले के बारे में आगाह किया कर दिया था और लेकिन इसके अनुरूप सुरक्षा बंदोबस्त नहीं बढ़ाए जा सके।
फिर एजेंडे पर आया एनसीटीसी
नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]
हैदराबाद में हुए बम धमाकों से केंद्र सरकार को राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केंद्र [एससीटीसी] के अपने प्रस्ताव को आगे करने का मौका मिल गया है। केंद्र ने रिटेल एफडीआइ और वैट की तर्ज पर कुछ राज्यों के एतराज के बावजूद एनसीटीसी पर आगे बढ़ने का मन बना लिया है।
ताजा धमाकों के मद्देनजर एनसीटीसी की जरूरत के संबंध में विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, 'इस घटना ने पूरे देश के सामने फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि हम ऐसी वारदातों के आगे किस तरह खड़े होते हैं। यह जरूरी है कि राज्य सरकारें, केंद्र सरकार और साथ ही पूरा समाज आतंकवाद के मुद्दे पर एक साथ खड़ा दिखे। इस मामले पर छोटे-छोटे हितों के लिए एक-दूसरे के खिलाफ सियासी अंक बटोरने की कोशिशों से कोई नतीजा नहीं निकलेगा।'
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा, 'हम एनसीटीसी को लागू करना चाहते हैं। कुछ राज्यों से हमें पत्र मिले हैं कि वे मौजूदा स्वरूप में इस पर आगे नहीं बढ़ सकते। प्रस्तावित एनसीटीसी पर सहमति बनाने के लिए हम इसमें कुछ संशोधन करने को भी तैयार हैं।' एनसीटीसी पर राज्यों के बीच सहमति बनाने की कोशिशों में जुटे गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी कहते हैं कि राज्यों का विरोध राजनीतिक ज्यादा है। आतंकियों की धरपकड़ के मामले पर इक्का-दुक्का मामलों को छोड़ दें तो गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों को किसी भी राज्य में कोई कानूनी अड़चन नहीं पेश आई। ऐसे में विरोध करने वाले राज्यों को छोड़कर एनसीटीसी की परियोजना को लागू किया जा सकता है। सरकार ने राज्यों के विरोध के बाद मल्टी ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) को मंजूरी का फैसला लागू करने का अधिकार भी राज्यों पर छोड़ दिया है। इसी तरह का विकल्प सरकार ने वैट (मूल्य वर्धित कर) लागू करते वक्त भी राज्यों को दिया था।
सूत्र कहते हैं कि हैदराबाद धमाकों के बाद एनसीटीसी को अमली जामा पहनाने का यह सही वक्त है। महत्वपूर्ण है कि एनसीटीसी को लेकर खासतौर पर गैर कांग्रेस शासित सरकारों और केंद्र के बीच तीखे मतभेद हैं। एनसीटीसी पर सहमति बनाने के लिए केंद्र ने मुख्यमंत्रियों की बैठक भी बुलाई थी। लेकिन, दिसंबर, 2012 में हुई राष्ट्रीय विकास परिषद की इस बैठक में राज्यों और केंद्र के बीच समाधान का कोई ठोस फार्मूला नहीं निकल पाया था। पश्चिम बंगाल, गुजरात, तमिलनाडु, ओडिशा और राजग शासित राज्य खासतौर पर एनसीटीसी के मुखर विरोधी हैं। ये राज्य इसे अपने क्षेत्राधिकार में दखल मानते हैं।
केंद्र की ओर से एनसीटीसी के लिए दी जा रही राष्ट्रीय एकता की दुहाई पर भाजपा प्रवक्ता व सांसद बलबीर पुंज का कहना था कि संप्रग सरकार आतंकवाद के मुद्दे पर सियासत कर रही है। एक ओर आतंकियों के खिलाफ लड़ रहे पुलिस अधिकारियों पर फर्जी मुठभेड़ के मामले चलाए जाते हैं। दूसरी ओर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का चेहरा दिखाने का प्रयास हो रहा है। ऐसे में जरूरी है कि केंद्र सरकार पहले वोट बैंक की सोच से संचालित राजनीति बंद करे।
मुंबई आतंकी हमले (26/11) के बाद से ही अमेरिका की तर्ज पर भारत में भी एक राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केंद्र बनाने की कोशिशें चल रही हैं। प्रस्तावित योजना में केंद्र के पास खुफिया सूचनाओं के आधार पर सीधे गिरफ्तारी, पूछताछ और छापे डालने का भी अधिकार होगा।
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