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सरकार के लिए कोरोना के बढ़ते मामले और टीकाकरण की राह में आ रही चुनौतियां बनी समस्‍या

एक तरफ जहां कुछ राज्‍यों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं वहीं कोरोना की वैक्‍सीन को लेकर सामने आ रही लोगों की झिझक भी सरकार के लिए समस्‍या बन रही है। ऐसे लोगों को समझाकर कर सेंटर पर भेजना एक चुैनाती है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 09:47 AM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 09:47 AM (IST)
सरकार के लिए कोरोना के बढ़ते मामले और टीकाकरण की राह में आ रही चुनौतियां बनी समस्‍या
सरकार के लिए वैक्‍सीनेशन बना चुनौती का सबब

अलका आर्य। भारत अब कोरोना टीके की दूसरी खुराक के दौर में काफी आगे बढ़ चुका है, मगर कोरोना संक्रमण को लेकर चिंता कम होती नहीं दिखाई देती। महाराष्ट्र में कोरोना के नए मामलों को बढ़ते देख वहां के मुख्यमंत्री को लॉकडाउन की चर्चा करनी पड़ी है। केरल में भी हालत गंभीर है। सरकार के सामने कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर इस समय कई चुनौतियां हैं। सरकार टीकाकरण की रफ्तार को लेकर भी चिंतित है। सवाल यह है कि मौजूदा रफ्तार से व टीकाकरण को लेकर बनी झिझक को देखते हुए सरकार तय समय सीमा में टीकाकरण अभियान वाला लक्ष्य हासिल कर पाएगी।

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दरअसल सरकार ने अपनी प्राथमिकता सूची में सबसे पहले मुल्क के एक करोड़ हेल्थवर्कर्स व दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीका लगाने के लिए रखा। लेकिन हकीकत यह है कि डॉक्टर, नर्स, आशा वर्कर्स, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ही टीका लगवाने के लिए उम्मीद के मुताबिक आगे नहीं आ रहे तो तब क्या होगा, जब सरकार 50 साल से अधिक उम्र वाले व गंभीर बीमारियों से पीड़ित 27 करोड़ लोगों के लिए टीका लगवाने का अभियान अगले माह से शुरू करेगी।

राजस्थान, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश ने टीके के पहले चक्र में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है तो वहीं चंडीगढ़, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा असम, गोवा, दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बंगाल में भी टीकाकरण की रफ्तार धीमी है। इस समय सरकार कोविड टीकाकरण कार्यक्रम बाबत कई चुनौतियों का सामना कर रही है। पहली खुराक नहीं लेने वाले स्वास्थ्यकíमयों को कैसे समझाया जाए और उन्हें टीकाकरण केंद्र तक कैसे लाया जाए। बड़ी चुनौती इस वैक्सीन के दुष्प्रभावों को लेकर फैली झूठी अफवाहों को दूर करने व सबका विश्वास जीतने की है। इस वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में जो झिझक है, उसे लेकर कारगर संचार तंत्र को ठोस बनाने की भी चुनौती है।

हालांकि अब राज्य इसके लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं। दिल्ली सरकार के परिवार कल्याण निदेशालय ने ऐसे स्वास्थ्यकíमयों को कोविड टीके की पहली खुराक लगवाने के लिए 21 से 25 फरवरी के बीच कोविड मॉप अप राउंड के जरिये एक मौका देने की घोषणा की है। इसी तरह सरकार दूसरी डोज लगवाने के लिए नहीं आने वालों की काउंसलिंग भी करेगी। बंगाल ने पहली खुराक लगवाने से चूके स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 26 फरवरी तारीख तय की है। इंडियन नìसग काउंसिल ने देशभर की नर्सो व नर्सिंग कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों से कोविड वैक्सीन अभियान में मदद करने की अपील की है। सरकार ने वैक्सीन वार्ता भी शुरू कर दी है, ताकि आमजन वैक्सीन को लेकर सरकार से संवाद कर सके।

जहां तक इस टीके को लेकर दुष्प्रभावों की बात है, उस पर भारत सरकार की ओर से गठित समिति एडवर्स इफेक्‍ट इफॉलिंग इम्युनाइजेशन (एईएफआइ) के सदस्य डॉ. राजीवदास गुप्ता का कहना है कि एईएफआइ को लेकर विश्व में जो प्रक्रिया है, उसी प्रक्रिया का पालन भारत भी करता है। कोविड वैक्सीन के एईएफआइ को लेकर भारत सरकार विशेष रूप से सक्रिय है। यह टीका व्यस्क को दिया जा रहा है, लिहाजा इसकी निगरानी टीम में एडल्ट मेडिसिन एक्सपर्ट भी शामिल किए गए हैं। निगरानी तंत्र की सक्रियता के चलते ही अगर देशभर में कहीं भी कोई दुष्प्रभाव होता है तो उसकी जानकारी 24 घंटे के भीतर ही मिल जाती है।

तमाम सर्वे रिपोर्ट के अनुसार लोगों का टीके पर भरोसा बढ़ रहा है। टीके के प्रति आशावाद कोरोना वैक्सीन की तुलना में अधिक तेजी से फैल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रारंभिक दिक्कतों से अधिक निराश होने की जरूरत नहीं है। सरकार का लक्ष्य जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने का है और इस समय सरकार पर टीकाकरण को व्यापक स्तर पर ले जाने और टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने का दबाव है। सरकार के साथ-साथ हेल्थवर्कर्स और फ्रंटलाइनवर्कर्स को भी टीका लगवाने के लिए आगे आकर आम जन के लिए रोल मॉडल की भूमिका निभानी चाहिए, ताकि लोगों में इसकी प्रति रुचि बढ़े।

(सामाजिक मामलों की जानकार)


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