11वीं और 12वीं में हुआ फेल, फिर लगातार तीन बार कर डाली पीएचडी
जगदीश त्रिवेदी ने पहली पीएचडी दिवंगत साहित्यकार देवशंकर मेहता पर की वहीं दूसरी हास्य कलाकार शाहबुद्दीन राठौर पर और तीसरी आध्यात्मिक गुरू मोरारी बापू पर की।
राजकोट। परीक्षा परिणाम आने के बाद हर साल ऐसी खबरें आती है कि परीक्षा में फेल होने वाले बच्चे ने तनाव में आकर खुदकुशी कर ली लेकिन गुजरात के राजकोट में एक छात्र जब 11वीं और 12वीं में लगातार फेल हुआ तो उसने ठान लिया कि वो कमजोर विद्यार्थी नहीं है और फिर क्या था उस बच्चे ने एक नहीं तीन-तीन बार अलग-अलग विषयों पर पीएचडी कर डाली
49 साल के जगदीश त्रिवेदी के मुताबिक जब वो 11वीं और 12वीं में फेल हुए तो उन्हें लगा कि वो साइंस नहीं पढ़ पाएंगे और उन्होंने आर्टस एडमिशन ले लिया। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक तीन विषयों पर पीएचडी कर डाली।
जगदीश त्रिवेदी ने पहली पीएचडी दिवंगत साहित्यकार देवशंकर मेहता पर की वहीं दूसरी हास्य कलाकार शाहबुद्दीन राठौर पर और तीसरी आध्यात्मिक गुरू मोरारी बापू पर की।
जगदीश त्रिवेदी कहते हैं कि इन तीनों लोगों की वजह से उनके जीवन के विभिन्न चरणों में परिवर्तन आया और इस तरह उनके जीवन पर पीएचडी करके उन्होंने उनके प्रति आभार व्यक्त किया। जगदीश ने हरिवंश राय बच्चन की मशहूर कविता मधुशाला का गुजराती में भी अनुवाद किया है।
फेल होने के बाद जिंदगी से निराश होने वाले बच्चों के लिए जगदीश कहते हैं कि जीवन बहुत अनमोल है और हमें अपनी नाकामियों से ही सीखने की जरूरत है। वो कहते हैं कि वो अपनी नाकामियों से ही सीखे हैं।
आपको बता दें कि जगदीश त्रिवेदी को 7 पुरस्कार मिल चुके हैं जिनमें गुजरात साहित्य परिषद द्वारा दिया जाने वाला ज्योतिंद्र दावे पारितोषक पुरस्कार भी शामिल है।
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