कड़े प्रावधानों के साथ जल्द आएगा मानव तस्करी रोधी कानून
कानून के मसौदे पर विचार करने को मंगलवार को मंत्रिसमूह की बैठक भी प्रस्तावित है जिसमें इसके कड़े प्रावधानों पर विचार होगा।
नितिन प्रधान, नई दिल्ली। मानव तस्करी जैसे अपराध पर अंकुश लगाने को सरकार कड़े प्रावधान करने जा रही है। इसके लिए एक अलग से कानून बनाने की कवायद चल रही है जिसमें पेनल्टी के अतिरिक्त अपराधियों के लिए सात से दस साल की कड़ी सजा का प्रावधान होगा। कानून के मसौदे पर विचार करने को मंगलवार को मंत्रिसमूह की बैठक भी प्रस्तावित है जिसमें इसके कड़े प्रावधानों पर विचार होगा।
ट्रैफिकिंग ऑफ पर्सन्स (प्रिवेंशन, प्रोटेक्शन एंड रिहैबिलिटेशन) एक्ट के नाम से बन रहे इस कानून में पीडि़तों खासतौर पर महिलाओं को नौकरी दिलाने के नाम पर वेश्यावृति में धकेलने जैसे कार्यो को भी मानव तस्करी के दायरे में शामिल करने पर विचार हो रहा है। इसके अतिरिक्त ऐसी सभी प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए इस कानून के तहत पंजीकरण कराना आवश्यक होगा जो महिलाओं के लिए रोजगार उपलब्ध कराने का काम करती हैं। मसौदे में इस बात का भी प्रावधान किया जा रहा है कि जिस पीडि़ता को वेश्यावृति के धंधे में धकेला जाता है उसे मानव तस्करी का शिकार माना जाए। मौजूदा कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
यह पहला मौका है जब देश में इस तरह का कानून बनाया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से तैयार इस कानून के मसौदे में दो बार बदलाव किया जा चुका है। संशोधित मसौदे पर मंगलवार को मंत्रियों का समूह विचार कर सकता है। मसौदे में एक एंटी ट्रैफिकिंग फंड बनाने का प्रस्ताव भी किया गया है जिसका इस्तेमाल पीडि़तों के पुनर्वास के लिए किया जा सकेगा।
दोषियों को कड़ी सजा के प्रावधान वाले इस कानून को जल्दी ही संसद में पेश किये जाने की संभावना है। हालांकि मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि मौजूदा शीतकालीन सत्र में इसके सदन में आने की संभावना नहीं है। इसलिए अब इसके बजट सत्र में ही संसद में आने की उम्मीद है। सात से दस साल की सजा के अतिरिक्त दोषियों के लिए एक लाख रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।
मानव तस्करी पर रोक लगाने के उद्देश्य से मसौदे में जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर पर देश भर में एंटी ट्रैफिकिंग कमेटियां गठित करने का उपाय किया गया है। केंद्र के स्तर पर एक केंद्रीय एंटी ट्रैफिकिंग एडवाइजरी बोर्ड के गठन का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा पीडि़तों को तुरंत संरक्षण देने के उद्देश्य से देश भर में प्रोटेक्शन होम स्थापित करने का प्रावधान भी कानून में किया जा रहा है। पीडि़तों के स्थायी पुनर्वास के लिए राज्यों से ऐसी स्कीमें बनाने की अपेक्षा कानून में की गई है जिससे मानव तस्करों के चंगुल से निकाली गई पीडि़ताओं को पुनर्वासित किया जा सके।
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